निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
पहले में पद में भक्त ने ईश्वर के प्रति अपने भक्ति भाव को व्यक्त करने के लिए कई चीजों के बीच तुलना की है। रैदास के पहले पद में भगवान और भक्त की चंदन-पानी, घन-वन-मोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सोना-सुहागा आदि से तुलना की गयी है| भक्त भगवान की भक्ति में किसी भी प्रकार से राम जाना चाहता है और इसीलिये वह किसी भी प्रकार अथवा रूप में भगवान से जुड़ना चाहता है|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे- पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
पानी-समानी, मोरा-चकोरा, बाती-राती, धागा-सुहागा, दासा-रैदासा।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए।
चंदन-पानी, चंद्र-चकोरा, दीपक-बाती, मोती-धागा, दिन-राती, स्वामी-दास।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
कवि ने दूसरे पद में गरीब निवाजु भागवान (ईश्वर) को कहा है। ईश्वर की कृपा से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इतना ही नहीं, नीच से नीच व्यक्ति पर भी अगर ईश्वर की कृपा हो जाए तो उसका भी निश्चित ही उद्धार हो जाता है। संसार में जिन लोगों को छुआछूत या अस्पृश्यता की दृष्टि से देखा जाता है, प्रभु उन पर भी द्रवित होते हैं। दुखियों पर दया करने वाले प्रभु नीच को भी ऊंची पदवी प्रदान करते हैं। प्रभु के लिए सभी लोग समान हैं|
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
इस पंक्ति का अभिप्राय है कि संसार में नीच जाति में पैदा होने वाले जिन लोगों को अछूत समझा जाता है, प्रभु की कृपा उन पर भी समान रूप से होती है। प्रभु की दृष्टि में भक्त की भक्ति से बढ़कर कुछ नहीं है, इसलिए वो उनका भी उद्धार कर देते हैं जिन्हें समाज में निम्न जाति का समझा जाता है। ईश्वर अपने भक्तों में भेदभाव किए बिना सबके दुखों को कम करते हैं। दुनिया में भले ही कोई किसी भी जाति या धर्म का क्यों न हो, भगवान के लिए सभी लोग एक समान हैं। उनका प्रेम सबसे ऊंचा होने के कारण उन्हें पतित पावन, भक्ति वत्सल और दीनानाथ कहा जाता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
कवि ने अपने स्वामी को कई नामों से पुकारा है। वह ईश्वर को गरीब निवाजु, लाल, गोबिंद गोसाईं, आदि नामों से संबोधित करता है। प्रभु के नाम भले ही अनेक हों, लेकिन गरीबों का उद्धार करने वाला वो ईश्वर एक ही है, जो बिना किसी भेदभाव के अपने भक्तों पर समान रूप से कृपा बरसाता है। कवि ईश्वर के प्रति अपने भक्ति भाव को प्रकट करने के लिए उसे कई अलग-अलग नामों से पुकार रहा है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिएः
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसईआ
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी अँग-अँग बास समानी
इस पंक्ति से आशय है कि भक्त और ईश्वर इतने समीप आ जाते हैं कि भक्त के तन-मन में भक्ति का भाव प्रवेश कर लेता है। ईश्वर की भक्ति से उसका रोम-रोम प्रसन्न हो जाता है। इस पंक्ति में भी कवि अपने रोम-रोम में प्रभु के बसने की बात कह रहा है। भक्त के अंग-अंग में प्रभु की भक्ति की सुगंध उसके जीवन को महका देने में सहायक है।
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जैसे चितवत चंद चकोरा
इस पंक्ति का अर्थ है जैसे चकोरा दिन-रात चांद को निहाने की इच्छा रखता है, ठीक उसी प्रकार रैदास क्षण भर भी प्रभु की भक्ति से अपना मन नहीं हटाना चाहता। इस वजह से वह प्रभु को चंद और खुद को चकोर बता रहा है, जो हमेशा प्रभु को निहारने की इच्छा रखता है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रभु बिना भक्त का जीवन कितना अधूरा है।
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती
प्रभु के प्रति रैदास की भक्ति एक ऐसे दीप के समान है जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहे। इसमें कवि ने खुद को बाती और प्रभु को दीपक बताया है, जिसकी भक्ति की ज्योति हमेशा भक्त के मन में जलती रहती है। अपने मन में ईश्वर की भक्ति की ज्योति को निरंतर जलाए रखने के लिए वह दिन-रात प्रभु की भक्ति में खोया रहता है।
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
इस पंक्ति का अर्थ है कि प्रभु की दृष्टि में संसार के सभी लोग एक समान है। प्रभु ही तो हैं जो समाज में भेदभाव किए बिना सबका उद्धार करते हैं सबको एक समान नजर से देखता हैं| समाज में नीच एवं अछूत समझे जाने वाले लोगों पर भी ईश्वर की कृपा बनी रहती है और वह उनका भी कल्याण करते हैं। ऐसा सिर्फ एकमात्र ईश्वर ही कर सकते हैं।
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै
इसका आशय है कि ईश्वर बिना किसी से डरे नीच को भी ऊंची पदवी प्रदान करता है। गरीबों का दुख दर्द समझने वाले प्रभु उन्हें संकटों से मुक्त करता है। ईश्वर की भक्ति करने वाले प्रत्येक मानव उसकी नजर में समान है। इस पंक्ति में उसने ईश्वर को गोबिंद के नाम से संबोधित करते हुए कहा है कि भगवान बिना किसी से डरे नीच को भी ऊंचा बना सकते हैं।
रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
रैदास ने पहले पद में अलग-अलग चीजों की तुलना कर प्रभु के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त किया है। कवि प्रभु की भक्ति में इस कदर डूबे हुए हैं कि उनके बिना वह अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते। कवि के अनुसार इस सृष्टि में इंसान के उद्धार का एकमात्र माध्यम प्रभु की भक्ति है। अपने दूसरे भाव में कवि ने अपने प्रभु को अलग-अलग नाम देकर उनका गुणगान किया है। कवि के अनुसार प्रभु संसार में मौजूद ऊंच-नीच को नहीं मानते, बल्कि वह दीन-दुखियों पर अपनी दया-दृष्टि बनाए रखते हैं।
भक्त कवि कबीर, गुरु नानक, नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए।
कबीर-साखी, सबद, रमैनी
गुरु नानक- गुरु ग्रन्थ साहब, जपजी, सोहिला
नामदेव- शबद, अभंगवाणी(हिंदी), अभंगवाणी(मराठी)
मीराबाई-नरसी का मायरा, गीत गोविन्द टीका, रास गोविन्द, राग सोरठा
पाठ में आए दोनों पदों को याद कीजिए और कक्षा में गाकर सुनाइए।
छात्र इन्हें याद करें और गुनगुनाने की कोशिश करें|