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Vaakh

Class 9th Hindi क्षितिज भाग 1 CBSE Solution

Exercise
Question 1.

‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?


Answer:

यहाँ ‘रस्सी’ शब्द का प्रयोग मनुष्य की ‘सांस’ या ‘प्राण’ के लिए हुआ है, जिसके सहारे मनुष्य अपनी शरीर-रूपी नाव को खींच रहा है। यह सांस अथवा प्राण रुपी रस्सी बहुत कमजोर है, कब टूट जाए अर्थात कब इन्सान मृत्यु को प्राप्त हो जाए कोई भरोसा नहीं|



Question 2.

कवियत्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?


Answer:

कवयित्री इस संसार में आकर संसारिकता अर्थात् लोभ, मोह,माया आदि में उलझ गयी और वह इस संसारिकता से मुक्त नहीं हो पाई। वह कोरी प्रभु भक्ति के सहारे भवसागर पार करना चाहती है। उसकी सांसों की डोर जो इस शारीर-रूपी नाव को खींच रही है, अत्यंत कमजोर है, इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के लिए जा रहे सभी प्रयास विफल होते जा रहे हैं|



Question 3.

कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?


Answer:

कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से तात्पर्य है ईश्वर से मिलन, इस भवसागर से मुक्ति पाकर अपने ईश्वर की शरण में जाना। वह परमात्मा की शरण को ही अपना वास्तविक घर मानती है और यही उसके घर जाने की चाह का अभिप्राय है|



Question 4.

भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।

(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी।


Answer:

(क) भाव- कवियत्री ने अपना सम्पूर्ण जीवन सांसारिक विषयों में फंसकर गंवा दिया। उसने जीवन के अंतिम समय में अपने जीवन का लेखा-जाखा देखा तो उनके पास ईश्वर को देने के लिए सद्कर्म/पुण्य कार्य जैसा कुछ भी न था।

(ख) भाव- इन पंक्तियों में कवियत्री ने मनुष्य को सांसारिक भोग तथा त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाने की सलाह दी है कि विषय-वासनाओं के अधिकाधिक भोग से कुछ मिलनेवाला नहीं है तथा भोगों से विमुखता एवं त्याग की भावना से मन में अहंकार पैदा होगा, इसलिए मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। माध्यम मार्ग का अभिप्राय है कि सीमित मात्रा में एवं जरूरत के हिसाब से संसाधनों का उपभोग किया जाए|



Question 5.

बंद-द्वार की सांकल खोलने के लिए लल्दय ने क्या उपाय सुझाया है?


Answer:

बंद द्वार की सांकल खोलन के लिए कवियत्री ने निम्नलिखित उपाय अपनाने का सुझाव दिया है-

1- मनुष्य को सांसारिक विषयों अर्थात् भोग-उपभोग में न अधिक लिप्त रहना चाहिए और न इनसे पूर्णतः विमुख होना चाहिए। उसे बीच का रास्ता अपनाकर अपना जीवन संयमपूर्ण तरीके से जीना चाहिए।


2- मनुष्य को सभी प्राणियों को समान दृष्टि या समान भाव से देखना चाहिए। ऐसा करने से वह सारी दुनिया के लिए अपने ह्रदय के द्वार खोल सकता है|


3- प्रभु की सच्ची भक्ति करनी चाहिए। मनुष्य को अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने के अभ्यास करना चाहिए|



Question 6.

ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है-


Answer:

उपर्युक्त भाव निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त हुआ है-

आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।


सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!


जेब टटोली, कौड़ी न पाई


माझी को दूँ, क्या उतराई?



Question 7.

‘ज्ञानी’ से कवियत्री का क्या अभिप्राय है?


Answer:

ज्ञानी से कवियत्री का अभिप्राय एक ऐसे व्यक्ति से है जो हिंदू-मुसलमान दोनों में कोई अंतर न करे सरल भाषा में कहें तो ऐसा व्यक्ति जो धार्मिक आधार पर इंसानों में भेदभाव न करता हो क्योंकि देानेां ही उसी एक प्रभु की रचना है| साथ ही वह व्यक्ति अपने आप को पहचानने या आत्म-ज्ञान रखनेवाला भी हो। आत्म-ज्ञान को पहचानने वाला मनुष्य ही ज्ञानी होता है क्योंकि वह अपने आपको ठीक से समझ पाता है और उसमें आत्म संयम भी होता है| कवियत्री ने ऐसे व्यक्ति को ही आत्म ज्ञानी कहा है|




Rachna Aur Abhivyakti
Question 1.

हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है-

(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?

(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।


Answer:

(क) वर्तमान समाज में भेदभाव की भावना के कारण हमारे राष्ट्र और समाज को निम्न हानियाँ हो रही हैं| उदहारण के तौर पर देखें तो-

1. सामाजिक भेदभाव के कारण वर्तमान समाज वर्गीकृत हो गया है और इस कारण से समाज की एकता समाप्त हो गयी है|


2. समाज में भेदभाव के कारण लोगों के बीच आपसी भेदभाव पैदा हो गए हैं इससे सामाजिक शान्ति पर असर पड़ता है|


3. सामाजिक भेदभाव के कारण समाज का एक वर्ग दूसरे वर्ग को हीन दृष्टि से देखता है और इसी कारण से उनके बीच झगडे, आंतरिक कलह आदि समस्याएँ पैदा हो जाती हैं|


4. धर्म, जाति आदि के आधार पर भेदभाव के कारण उनके मध्य त्यौहारों, रीति-रिवाजों के आधार समस्याएं पैदा हो जाती हैं


5. समाज में विभिन्न वर्गों के बीच आपसी भेदभाव के कारण एक वर्ग दूसरे वर्ग को संदेह और अविश्वास की दृष्टि से देखता है और इस कारण से उन वर्गों के बीच खींचतान बढ़ती है|


6. हमारी सहिष्णुता समाप्त होती जा रही है। आक्रोश बढ़ता जा रहा है, जिसका परिणाम उग्रवाद तथा अलगाववाद के रूप में हमारे सामने आ रहा है।


(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं-


1- समाज में रहने वाले विभिन्न वर्ग, धर्म, जाति के लोगों को अपने नाम के साथ अपनी धार्मिक, जातिगत, वर्गगत पहचान को लिखना बंद कर देना चाहिए| जिससे समाज में भेदभावपूर्ण वर्गीकरण में कमी आएगी|


2- अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार और समाज को आगे आना चाहिए ताकि विभिन्न जातियों के बीच मधुर संबंधों का निर्माण हो जोकि समाज में शान्ति स्थापित करने में सहायक है|


3- विद्यालयों के शिक्षा पाठ्यक्रम में जातिगत, धार्मिक एवं अन्य प्रकार के भेदभाव के कारण समाज में उत्पन्न समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया जाना चाहिए ताकि भविष्य के नागरिक उस तरीके का व्यवहार न करें|


4. धार्मिकता, जातीयता, क्षेत्रीयता, भाषावाद के आधार पर राजनीति करने वाले लोगों को मत देना बंद कर देना चाहिए ताकि इस प्रकार की राजनीतिक विचारधाराओं पर रोक लगाई जा सके|


5. शिक्षा इस समस्या से निपटने का सबसे कारगर तरीका है| अतः राष्ट्र के सभी नागरिकों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सुनुश्चित की जानी चाहिए|