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Nana Sahab Ki Putri Devi Maina Ko Bhasm Kar Diya Gaya

Class 9th Hindi क्षितिज भाग 1 CBSE Solution
Exercise
  1. बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?…
  2. मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?…
  3. सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया भाव के क्या कारण थे?
  4. मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय…
  5. बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएं आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?…
  6. ‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था- ‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दांत…
Rachna Aur Abhivyakti
  1. स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?…
  2. कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के…
  3. इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप् की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें…
  4. आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।…
Bhasha Adhyayan
  1. भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिंदी गद्य का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ…

Exercise
Question 1.

बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?


Answer:

सेनापति ‘हे’ से मैना कहती है कि दोषी तो वो लोग थे जिन लोगों ने आपके खिलाफ शस्त्र उठाए एवं आपका विरोध किया था। आपको इस मकान की रक्षा करना चाहिए क्योंकि इस मकान ने आपका कुछ नहीं बिगाड़ा, कोई अपराध नहीं किया। मैना सेनापति ‘हे’ को अपने और उनकी पुत्री मेरी के साथ अपने प्रेम एवं स्नेहपूर्ण संबंधों की याद दिलाती है एवं वह कहती है कि मेरी की मृत्यु से वह बहुत दुखी हुई थी। मैना ने मेरी की याद के रूप में उसका एक पत्र भी संभाल कर रखा था। मैना ने सेनापति 'हे’ को उसके परिवार के संबंधों की याद दिलाकर तथा उनके घरेलू संबंध याद दिलाकर भी मकान की रक्षा के लिए प्रेरित किया।



Question 2.

मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?


Answer:

मैना जड़ पदार्थ मकान को इसलिए बचाना चाहती थी क्योंकि यह मकान उसे बहुत प्रिय था| वह मकान उसके पिता का था और इसी मकान में वह पल-बढ़कर बड़ी हुई थी एवं उसकी बहुत सारी यादें इस मकान से जुड़ी हुई थी। अंग्रेज इस मकान को इसलिए नष्ट करना चाहते थे क्योंकि यह मकान नाना साहब का था जिन्होंने कानपुर में अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाए थे तथा विद्रोह का नेतृत्व किया था। वे नाना साहब को पकड़ नहीं सके और इसी कारण से अंग्रेज नाना साहब से अत्यधिक क्रोधित थे। वे नाना साहब से संबंधित हर वस्तु को नष्ट कर देना चाहते थे।



Question 3.

सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया भाव के क्या कारण थे?


Answer:

सर टामस के मन में एक छोटी सी बालिका के प्रति दया का भाव उत्पन्न हो गया क्योंकि वह तो एक छोटी, ईमानदार और प्यारी बालिका थी| सर टामस हे स्वभाव से कुछ दयालु थे क्योंकि वे स्वयं एक पुत्री के पिता थे। सर टामस के नाना साहब से घरेलू संबंध थे क्योंकि वह नाना साहब के घर आते जाते रहते थे एवं उसके नाना साहब के घर के साथ पारिवारिक संबंध भी थे| साथ ही मैना और उसकी पुत्री मेरी की अच्छी दोस्ती थी। वह मैना को भी मेरी के समान ही प्यार एवं स्नेह देता था। इन सब बातों को याद कर उसे मैना पर दया आ गई थी और उसने मैना को कहा था कि मैं तुम्हारी रक्षा की पूर्ण कोशिश करूंगा।



Question 4.

मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?


Answer:

मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद पर बैठकर जी भरकर रोना चाहती है परंतु क्रूर हृदयवाले जनरल अउटरम ने उसकी इच्छा पूरी न होने दी क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं मैना भी नाना साहब की तरह भाग न जाए। यदि मैना भी भाग जाती तो जनरल अउटरम की नौकरी जा सकती थी। नाना साहब से जुड़ी हुई हर चीज को नष्ट कर देना ब्रिटिश सरकार का आदेश था। जनरल अउटरम ने मैना को तुरंत हथकड़ी पहना दी क्योंकि पहले पहल की तलाशी लेने पर उसे मैना कहीं नहीं मिली पाई थी।



Question 5.

बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएं आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?


Answer:

मैना एक निडर, साहसी, स्वाभिमानी, स्वदेश प्रेमी, स्पष्टवादी तथा भावुक बालिका

है। मैना में देश-प्रेम तथा देशभक्ति की भावना भरी थी। वह अपने देश के लिए कुछ भी


करने को तैयार थी। मैना ने अपनी वाक्पटुता से अंग्रेज सेनापति ‘हे’ को महल न गिराने


के लिए सोचने पर विवश कर दिया। इसके चरित्र की इन विशेषताओं को हम अपनाना


चाहेंगे। इससे हमारा व्यक्तित्व निखरता है और हमें अपने देश के प्रति आत्म बलिदान की


प्रेरणा भी मिलती है। हम निडरता पूर्वक हर स्थिति का सामना कर सकते हैं। वही व्यक्ति


जीवन में आगे बढ़ सकता है और सफलता को प्राप्त कर सकता है जिनमें यह विशेषताएं


हों|



Question 6.

‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था- ‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दांत नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।’ इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से क्या आशय है?


Answer:

‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था- ‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दांत नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।’ इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से आशय भारत में चल रही अंग्रेजों की हुकूमत क्योंकि भारत में उस समय वही शासन कर रहे थे।




Rachna Aur Abhivyakti
Question 1.

स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?


Answer:

ऐसे लेखों से स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों को अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए आत्म बलिदान देने की प्रेरणा प्राप्त होती होगी एवं राष्ट्रप्रेम की भावना बलवती हो उठती होगी। इन लेखों को पढ़कर जनसमूह अंग्रेजों की निर्दयता से परिचित होकर उसके विरोध से भर जाता होगा। अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना उनके मन में भी जागकर उनमें जोश भर देती होगी| अनेक भारतवासी ऐसी लेखों को पढ़कर स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े होंगे। इसी कारण उन्होंने निडरता पूर्वक विदेशी शक्तियों का डटकर मुकाबला किया| इस प्रकार के लेखन से आम आदमी भी अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए प्रेरित हो उठता है और अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफलता प्राप्त करता है। इस तरह के लेखों ने स्वतंत्रता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी|



Question 2.

कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।


Answer:

यह आकाशवाणी का नोएडा चैनल है, सुबह के 9 बज रहे हैं और मैं सुरेश आ गया हूँ सुबह की सबसे ताजा ख़बरों को लेकर| आज की महत्वपूर्ण खबर मैना के बलिदान से जुड़ी हैं। आज ज्ञात हुआ कि स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के सेनानी नाना साहब की पुत्री मैना को कानपुर के किले में जीवित जलाकर भस्म करने की योजना। मैना को अंग्रेजी सेना के जनरल अउटरम ने नाना साहब के महल के पास से बंदी बनाया था। 6 सितंबर को हाउस ऑफ लॉर्ड्स में सर टामस की अध्यक्षता में नाना के परिवारजनों तथा संबंधियों को मार डालने का निर्दयी निर्णय लिया गया था। उनके इस बलिदान से प्रेरणा लेकर सम्पूर्ण राष्ट्र को क्रान्ति के लिए तैयार रहना चाहिए|



Question 3.

इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप् की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप-

(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाए।

(ख) अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।


Answer:

(क) हिंदुस्तान ०६ दिसंबर, २०१९ से समाचार

जम्मू-कश्मीर: किश्तवाड़ में मिनी बस खाई में गिरी; 17 की मौत, 11 घायलों को एयरलिफ्ट किया।


श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के ठाकरी में शुक्रवार सुबह एक मिनी बस फिसलकर 300 फीट गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई, 16 जख्मी हुए। गंभीर रूप से जख्मी हुए 11 लोगों को हेलिकॉप्टर से जम्मू के अस्पताल ले जाया गया।


पुलिस अधीक्षक राजिंदर गुप्ता ने बताया कि हादसा सुबह करीब 10 बजे हुआ। बस किश्तवाड़ से केशवान जा रही थी। इसी दौरान ड्राइवर ने बस से नियंत्रण खो दिया। वह 300 फीट गहरी खाई में गिर गई।


तेंदुए का शव मिला, जबड़ा, पंजे व पूंछ गायब; इटारसी से जांच के लिए आज आएगा डॉग स्क्वॉयड


सेंधवा/बड़वानी. एबी रोड पर शहर से 15 किमी दूर जामन्या के पास उमरियापानी गांव के पहाड़ी क्षेत्र में 1 किमी नीचे तेंदुआ मृत अवस्था में मिला। शव क्षत-विक्षत हो चुका था। जबड़ा, पंजे और पूंछ गायब थे। मंगलवार को वन विभाग का अमला शव को ऊपर लेकर आया। डॉग स्क्वॉड बुलाने के कारण बुधवार को पोस्टमार्टम होगा। इसके बाद मौत का कारण सामने आएगा। वन विभाग के कर्मचारियों को तेंदुआ मृत अवस्था में पड़े होने की सूचना मिली। मंगलवार सुबह अमला मौके पर पहुंचा। अफसरों का रास्ता देखा। डीएफओ केएस पट्‌टा और एसडीओ सेंधवा पहुंचे। नीचे उतरकर मौके पर पहुंचे। इसके बाद शव को ऊपर लाया गया। शव क्षतविक्षत हो गया था। पंजे, जबड़ा और पूंछ नहीं थी। दुर्गंध आ रही थी। इस दौरान तीन पशुचिकित्सक भी मौजूद रहे। अफसरों के अनुसार मौत 15 दिन पहले हुई होगी। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि यह सामान्य मौत है या किसी ने शिकार किया है। हालांकि हकीकत पोस्टमार्टम के बाद ही सामने आएगी।


(ख) वह दिन इस शहर के हर इंसान के लिए काला दिन बन चुका था। गुरुवार का दिन था जब पूरे शहर में यह खबर हवा की तरह फैल गई थी कि एक सोलह मंजिलों की इमारत हवा की तरह भस्म हो गई। जैसे ही यह खबर फैली वैसे ही लोग मदद के लिए दौड़े| उस दलदल में सौ से अधिक लोगों के दबे रहने की आशंका थी। पुलिस, बचाव दल, अस्पताल की गाड़ियाँ आदि बड़ी तेजी से इस ओर भागते हुए मदद के लिए आ रहे थे। बच्चे, बुजुर्ग एवं युवा सभी तरह के लोग इस दलदल में दबे थे। जैसे जैसे दलदल हटाया जा रहा था वैसे वैसे इंसान के शव मिलने लगे थे। इस प्रकार अंत तक मरने वालों की संख्या सौ से अधिक हो चुकी थी एवं जख्मी लोगों को अस्पताल ले जाया जा रहा था। इस घटना से सभी दंग रह गए थे। एक ही झटके में हँसते खेलते अनेक घर बरबाद हो गए थे। शहर के सभी नागरिकों के मन में इस दुर्घटना को लेकर तीव्र आक्रोश था और वे सब चाहते थे कि इस दुर्घटना के दोषी को शीघ्रताशीघ्र दंडित किया जाए|



Question 4.

आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।


Answer:

कुछ दो साल पहले की बात है हमारे कक्षा में एक लड़का पढ़ता था। उसका नाम था रमेश। वह बड़ा ही महनती और दृढ प्रतिज्ञ था| वह पढ़ाई में चतुर एवं होशियार था और इसीलिये हमेशा कक्षा में अव्वल आता था। अपनी माँ के कामों में भी मदद करता था। एक दिन वह अपनी माँ के साथ नदी पर कपड़े धोने में मदद करने गया। कपड़े धोते समय वहाँ सात लड़कीयाँ नदी के किनारे खेल रही थी। बरसात का मौसम था इसलिए जमीन फिसलने वाली थी। रमेश अपनी माँ के कहे अनुसार कपड़े मरोडकर पानी निकाल रहा था। बरसात के मौसम के कारण नदी में पानी का बहाव बहुत ज्यादा था। कुछ ही समय बाद रमेश को लड़कीयों के चीखने की आवाज आई। तभी मुडकर देखने पर रमेश ने देखा कि सातों लड़कीयाँ पानी में डूब रही थी। निडरता से रमेश ने अपना शर्ट निकाला और पानी के तेज बहाव के बीच बिना कुछ सोचे कूद गया| एक एक कर उसने ६ लड़कीयों को सफलतापूर्वक बचा लिया| इस साहसी कार्य के लिए रमेश को अपने विद्यालय में पुरस्कार से सम्मानित किया गया और साथ ही प्रधानमंत्री जी के हाथों रमेश को वीरता पुरस्कार से भी नवाजा गया।




Bhasha Adhyayan
Question 1.

भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिंदी गद्य का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए।


Answer:

सन् 57 के सितंबर मास में अर्ध रात्रि के समय चांदनी रात में एक बालिका स्वच्छ उज्जवल वस्त्र पहने हुए नानासाहब के भग्नावशिष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठी रो रही थी। पास में जनरल आउटरम की सेना भी ठहरी थी। कुछ सैनिक रात्रि के समय रोने की आवाज सुनकर वहाँ गए। बालिका केवल रो रही थी। सैनिकों के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं देती थी।