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Class 8th Hindi वसंत भाग 3 CBSE Solution
Kahani Se
  1. गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे…
  2. गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।…
  3. टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस-किसके पस गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।…
  4. गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पांच फुँदने क्यों जड़ दिए?
Kahani Se Aage
  1. टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्यों पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह…
  2. किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या…
  3. गवरइया की इच्छा-पूर्ति का क्रम घूरे पर रूई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह…
  4. यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया…
  5. चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा…
  6. गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता…
Bhasha Ki Baat
  1. गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया…
  2. मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं।…

Kahani Se
Question 1.

गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?


Answer:

गवरा और गवरइया एक दिन शाम को आदमियों के कपड़े पहनने पर बात करते हैं। गवरइया कहती है कि देखो आदमी रंग-बिरंगे कपड़े पहनने के बाद कितने सुंदर लगते हैं। जबकि गवरा कहता है कि कपड़े पहनने के बाद आदमी और भी बदसूरत दिखने लगता है। फिर गवरइया कहती है कि सुंदर के अलावा कपड़े पहनने के बाद आदमी मौसम की मार से भी बच जाता है। वहीं गवरा कहता है कि कपड़े पहनने के बाद आदमी की जाड़ा, गर्मी और बरसात को झेलने की क्षमता कम हो जाती है। तभी गवरइया को एक आदमी के सिर पर टोपी दिखती है। उसके मन में भी टोपी पहनने की इच्छा जागती है।

गवरइया ने ठान लिया था कि वो टोपी पहनकर रहेगी। एक दिन वो चुगते-चुगते घूरे पर पहुंची। वहां उसे रुई का एक फाहा मिला। इसके बाद गवरइया ने उस रुई को धुनवाया, धागा बनवाया, कपड़ा बनवाया और फिर टोपी सिलवा ली। इस तरह उसकी टोपी पहनने की इच्छा पूरी हो गई।



Question 2.

गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।


Answer:

गवरइया और गवरे की बहस आदमी के कपड़े पहनने पर शुरू हुई थी। इसके बाद गवइया ने टोपी पहनने की इच्छा जाहिर की। जब गवरइया को रुई का फाहा मिल गया तो फिर गवरा ने उससे बहस की। गवरा का कहना था कि उसके लिए टोपी कोई नहीं बनाएगा। क्योंकि सब राजा का काम कर रहे हैं। गवरइया और गवरे की बहस को इस प्रकार लिखा जा सकता है।


गवरइया- देखते हो, आदमी रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर कितना सुंदर दिखाई देता है।


गवरा - पागल है क्या? आदमी कपड़े पहनकर बदसूरत दिखता है।


गवरइया- लगता है आज लटजीरा चुग आए हो? आदमी पर कपड़ा कितना फ़बता है?


गवरा - खाक फ़बता है। कपड़े से मनुष्य की खूबसूरती ढक जाती है। अब तुम्हारे शरीर का एक-एक कटाव मैं


जो देख रहा हूँ, कपड़े पहनने में कैसे देख पाता।


गवरइया- आदमी मौसम की मार से भी बचने के लिए कपड़े पहनता है।


गवरा - कपड़े पहनने से आदमी की सहनशक्ति भी प्रभावित होती है। साथ ही कपड़े पहनने से आदमी की हैसियत में भी तो फ़र्क दिखने लगता है।


गवरइया- आदमी की टोपी तो सबसे अच्छी होती है। मेरा भी मन टोपी पहनने को करता है।


गवरा - तू टोपी की बात कर रही है! टोपी की तो बहुत मुसीबते हैं। जरा-सी चूक हुई और टोपी उछलते देर नहीं लगती। मेरी मान तो तू इस चक्कर में पड़ ही मत।


गवरइया- मिल गया, मिल गया, मुझे रुई का फ़ाहा मिल गया।


गवरा - लगता है तू पगला गई है। तुझे पता है, रुई से टोपी बनवाने का सफ़र कितना कठिन है?


गवरइया- टोपी तो बनवानी है चाहे जैसे भी बने।



Question 3.

टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस-किसके पस गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।


Answer:

आदमी को टोपी पहने देख गवरइया के मन में अपने लिए भी टोपी बनवाने का ख्याल आता है। घूरे पर चुगते हुए उसे एक रुई का फाहा मिल जाता है। इसके बाद टोपी बनवाने का सफर शुरू होता है। सबसे पहले गवरइया धुनिया के पास जाती है, फिर कोरी के पास, इसके बाद बुनकर और फिर दर्जी के पास जाती है।


क. धुनिया के पास- रुई के फोहे को लेकर गवरइया धुनिये के पास गई। वह पहले तो गवरइया का काम करने से मना करता रहा। जब गवरइया ने धुनिये को आधी रुई रख लेने की बात कही तो वह तुरंत मान गया और रुई धुनकर दे दी।


ख. कोरी के पास- रुई धुनने के बाद गवरइया उसे लेकर कोरी के पास पहुंचती है। कोरी भी सूत बनने से मना कर देता है। इसके बाद गवरइया उसे आधा सूत मेहनताना के रूप में रख लेने को कहती है। तब कोरी मान जाता है और महीन सूत कातकर उसे देता है।


ग. बुनकर के पास- काता हुआ महीन सूत लेकर गवरइया बुनकर के पास गई। बुनकर ने आधे कपड़े को खुद रख लिया और आधा गवरइया को दे दिया। बुनकर ने भी महीन कपड़ा बुनकर गवरइया को दिया था।


घ. दर्जी के पास- बुना हुआ कपड़ा लेकर गवरइया दर्जी के पास पहुंचती है। पहले तो दर्जी गवरइया का काम करने से मना करता था। जब गवरइया ने उससे कहा कि दो टोपियां सिलकर एक उसे दे दे और एक खुद रख ले तब वह खुशी के साथ काम करने को तैयार हो गया।



Question 4.

गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पांच फुँदने क्यों जड़ दिए?


Answer:

बुना हुआ कपड़ा लेकर गवरइया दर्जी के पास पहुंचती है। पहले तो दर्जी गवरइया को यह कहकर मना कर देता है कि वो राजा के बेटे के कपड़े सिल रहा है। इसलिए वह उसका काम नहीं करेगा। इसके बाद गवरइया ने उससे कहा कि इस कपड़े से दो टोपियां सिल दो। एक तुम रख लो और एक मुझे दे दो। दर्जी को ये प्रस्ताव पसंद आया। उसने झट से गवरइया के लिए टोपी सिल दी। खुश होकर दर्जी ने टोपी में पांच फुंदने भी लगा दिए। जिससे वो टोपी और भी सुंदर दिखने लगी।




Kahani Se Aage
Question 1.

टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्यों पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा को चुनौती देने को पहुँची। कारण का अनुमान लगाइए।


Answer:

जब गवरइया रुई का फाहा लेकर कोरी के पास गई तो उसने उसे राजा का काम करने का हवाला दिया। जब वो सूत कतवाने गई तो भी उसे पता चला कि कोरी राजा का कोई काम कर रहा है। इसी तरह बुनकर और दर्जी ने भी पहले राजा का काम करने की बात कही। गवरइया ये सुनकर हैरान थी कि हर कोई सिर्फ राजा का ही काम कर रहा है। इसके बावजूद गवरइया ने अपनी समझदारी से टोपी हासिल कर ली। तब उसके मन में ख्याल आया कि जब हर कोई राजा का काम कर रहा है तो उससे भी जरा मिल आना चाहिए। टोपी पहनने के बाद गवरइया के अंदर एक अलग आत्मविश्वास था। उसने नामुमकिन चीज को मुमकिन कर दिखाया था। इसी वजह से जब वह राजा के पास पहुंची तो उसने देखा कि राजा के सिर पर तो टोपी ही नहीं है। इससे उसका आत्मविश्वास और बढ़ गया और उसने राजा को भी चुनौती दे दी। गवरइया की चुनौती से तो राजा के भी तोते उड़ गए थे।



Question 2.

किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी- ज्ञात कीजिए और लिखिए।


Answer:

घर से थोड़ी ही दूर पर एक दर्जी की दुकान है। वहां काम करने वाले कारीगर का काम पूरे मोहल्ले में मशहूर है। लोग दूर-दूर से उससे कपड़े सिलवाने आते हैं। वह अपने काम के उचित मूल्य बताता है। एक बार मेरे दोस्त के पिता जी उसके पास पैंट सिलवाने के लिए गए। उसने रसीद में सिलाई का मूल्य लिखकर दे दिया। जब दोस्त के पापा पैंट उठाने गए तो उन्होंने पहनकर जांची। दर्जी ने हमेशा की तरह अपना काम अच्छे से किया था। दोस्त के पापा खुश भी हुए। लेकिन पैसे देते वक्त वो उसे 50 रुपए कम दे रहे थे। इस पर दर्जी ने रसीद में लिखे पैसे फिर से दिखाए। दोस्त के पापा भी फिर से आने की दलील देकर पैसे कम करवाए जा रहे थे। दर्जी को गुस्सा आ गया और उसने कहा कि आप मुफ्त में ले जाओ और एक भी पैसा मत दो। हमने तो अपना काम ईमानदारी से किया और अब आप पैसे देने में आनाकानी कर रहे हैं। काफी बहस के बाद दोस्त के पापा ने उसे पूरे पैसे दिए। तब जाकर दर्जी भी खुश हुआ।



Question 3.

गवरइया की इच्छा-पूर्ति का क्रम घूरे पर रूई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमशः एक-एक करके कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य विवरण तैयार कीजिए।


Answer:

मेरा स्कूल घर से करीब 3 किमी दूर है। रोज पैदल आने-जाने में समय नष्ट होता है। पिछले कुछ दिन से मैं सोच रहा था कि साइकिल खरीद लूंगा तो स्कूल आने-जाने से सहूलियत हो जाएगी। समय भी बचेगा। मैंने ये इच्छा पापा के सामने जाहिर की। लेकिन पापा ने कहा कि पहले चलाना सीखो फिर ही साइकिल दिलाएंगे। अब एक साइकिल का जुगाड़ करना था जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दो दिन बाद मेरे दोस्त ने बताया कि उसके भाई ने मोटर साइकिल खरीद ली है और अब उनकी पुरानी साइकिल घर पर ही रहती है। तब मैंने उससे कहा कि कुछ दिन के लिए वो साइकिल मुझे दे दे जिससे मैं उसे चलाना सीख सकूं। दोस्त ने साइकिल तो दे दी लेकिन उसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी। पास में ही एक पंचर वाली दुकान पर जाकर मैंने उसे दुरुस्त करवा लिया। इसके बाद एक हफ्ते तक साइकिल चलाने की प्रैक्टिस की। एक हफ्ते बाद उसी साइकिल से मैं पापा के पास पहुंचा। घर पहुंचा तो देखा कि पापा ने पहले से ही मेरे लिए साइकिल खरीदकर रखी है। उन्हें पता चल गया था कि मैं साइकिल चलाना सीख रहा हूं। मैंने कुछ दिन पहले साइकिल से स्कूल जाने के बारे में सोचा और आज वो मेरे पास है।



Question 4.

यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता?


Answer:

गवरइया अपना रुई का फाहा लेकर एक-एक कर धुनिये, कोरी, बुनकर और दर्जी के पास गई। सभी ने उससे कहा कि वो राजा का काम कर रहे हैं इसलिए उसका काम नहीं करेंगे। वहीं जब गवरइया ने उन्हें उचित मूल्य देने की बात कही तो वो राजा का काम छोड़कर उसकी टोपी बनाने में लग गए। राजा अपने किसी कारीगर को उचित मूल्य नहीं दे रहा था। अगर वो सही पैसे देता तो कारीगर पहले राजा का काम करते। राजा का काम पूरा होने तक गवरइया को इंतजार करना पड़ता।



Question 5.

चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रजाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा धागा बुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झबले सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गवरइया का काम क्यों किया?


Answer:

जब गवरइया अपनी टोपी बनवाने के लिए धुनिया, कोरी, बुनकर और दर्जी के पास गई तो उसे सभी ने यही कहा कि वे राजा का काम कर रहे हैं। गवरइया ने धुनिये को आधी रुई रख लेने की बात कही तो वह राजा का काम छोड़कर उसका काम करने को तैयार हो गया। इसी तरह कोरी, बुनकर ओर दर्जी ने भी गवरइया से काम का उचित दाम प्राप्त करने का दावा पाकर राजा के काम की जगह गवरइया के काम को प्राथमिकता दी| इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि राजा उन्हें उनके काम का उचित मूल्य नहीं दे रहा था। वहीं गवरइया ने सभी कारीगरों को उम्मीद से ज्यादा एवं उचित मूल्य इमानदारी से देने की बात कही। इस पर वे गवरइया का काम पहले करने के लिए तैयार हुए।



Question 6.

गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।


Answer:

किसी भी बस्तु को पाने के लिए उस बस्तु की चाह अथवा उत्साह का होना जरूरी है। गवरइया के मन में बस एक बार ही टोपी पहनने का ख्याल आया था। उसने सोच लिया था कि चाहे जो भी हो जाए वो टोपी तो पहनकर रहेगी। तभी घूरे पर चुगते हुए रुई का फाहा भी मिल गया। उसने सोचकर एक कदम बढ़ा दिया था। अगली मंजिल उसे अपने आप मिलती चली गई। गवरइया में टोपी पहनने का उत्साह था। वो गवरे के कहने पर नीरस नहीं हुई। उसने अपनी इच्छा को जगाए रखा। धुनिये, कोरी, बुनकर और दर्जी ने काम करने से ना भी किया लेकिन गवरइया ने उन्हें अच्छा प्रस्ताव देकर मना लिया। आखिरकार वो एक टोपी की मालकिन बन गई।




Bhasha Ki Baat
Question 1.

गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गवरइया ‘गौरैया’ का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गई है।

फुँदना, ‘फुलगेंदा’ का बदला हुआ रूप है। कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैसे- मुलुक-मुल्क, खमा-क्षमा, मजूरी- मजदूरी, मल्लार-मल्हार इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजिए और उनका मूल रूप लिखिए, जैसे- टेम-टाइम, टेसन/टिसन-स्टेशन।


Answer:

क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ शब्द तथा उनके मूल रूप:


क्षेत्रीय बोलीमूल रूप


सकत शक्ति


मुलुक मुल्क


जुरती जुड़ती


हुलस उल्लास


मानुष मनुष्य


अपन अपने


बावरा बावला


भिनसार भोर, प्रभात


दुपहर दोपहर


बरधा बैल


मल्लार मल्हार


पाठ से अलग


सकूटर स्कूटर


टेशन स्टेशन


बखत वक्त


फिलम फिल्म


सकूल स्कूल


उमर उम्र


घनी/घने बहुत


इस्कूल स्कूल



Question 2.

मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरशः अर्थ नहीं, बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं, जैसे कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।


Answer:

टोपी से संबंधित मुहावरे और उसके अर्थ-


(क) टोपी उछलना- बेइज्जती या बदनामी करना


(ख) टोपी के लिए टाट उलटना- इज्जत बचाने के लिए दल बदल लेना


(ग) टोपी सलामत रखना- इज्जत बचाए रखना।


(घ) टोपी पहनाना- बेवकूफ बनाना या चापलूसी करना।