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Jahaan Pahiya Hai

Class 8th Hindi वसंत भाग 3 CBSE Solution
Janjire
  1. “----------उन जींजरों को तोड़ने का, जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई न कोई तरीका लोगनिकाल ही…
  2. क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
Pahiya
  1. ‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?…
  2. शुरुआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स’ के मालिक ने इसका समर्थन…
  3. प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?
Shirshak Ki Baat
  1. आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?…
  2. अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।…
Samjhane Ki Baat
  1. लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज है। उनके लिए…
  2. पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था|…
Cycle
  1. फ़ातिमा ने कहा,--------मैं किराये पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर…
Kalpana Se
  1. पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी चिह्न क्या बनाती और क्यों?…
  2. अगर दुनिया के सभी पहिये हड़ताल कर दें तो क्या होगा?
  3. 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता। इस कथन…
  4. मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च, 1992 के दिन पुडुकोट्टई में हुई घटना का समाचार…
  5. अगले पृष्ठ पर दी गयी “पिता के बाद कविता” पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई…
Bhasha Ki Baat
  1. उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को…

Janjire
Question 1.

“----------उन जींजरों को तोड़ने का, जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई न कोई तरीका लोग

निकाल ही लेते हैं---------‘’

आपके विचार से लेखक ‘जींजरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?


Answer:

कहानी में लेखक ‘जींजरों’ के माध्यम से तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले में रहने वाली स्थानीय महिलाओं की विभिन्न समस्याओं के बारे में बातें कर रहा है। ये महिलाएं रूढ़ीवादिता, पिछड़़ेपन और बंधनों से परिपूर्ण जीवन बिता रही थीं। यहां महिलाएँ न तो स्वतंत्र निर्णय ले पाती थीं और न ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महसूस कर पाती थीं।

इन्हीं को लेखक ने ‘जींजरें’ माना है।



Question 2.

क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।


Answer:

हां, मैं लेखक की बात पूर्ण रूप से सहमत हूं। तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं का जीवन बेहद दर्दनाक था। अत्यंत पिछड़ी पृष्ठभूमि की महिलाएं वहां घिसी-पिटी जिंदगी बिताने पर मजबूर थीं। ये सब पुरुषों की देन थी। उन महिलाओं ने अपना पिछड़ापन भगाने तथा उस घिसी-पिटी जिंदगी से निकलने का प्रयास किया। वहां से भागने के लिए उन्होंने साइकिल का इस्तेमाल किया। इसके बाद कहीं जाकर उनका आत्म-सम्मान जागा, खुशहाली बढ़ी और उन्होंने खुद को आत्मनिर्भर बनाया।




Pahiya
Question 1.

‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?


Answer:

‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए हैं।

(क) जिले की महिलाएं अब अपना जीवन स्वतंत्रता के साथ जीने लगी थीं।


(ख) उन पर होने वाले अत्याचार और दबाव पूरी तरह से समाप्त हो गए।


(ग) अब वह अपनी मर्जी से जब चाहे तब काम और जब चाहे अपनी इच्छा से आराम कर सकती हैं|


(घ) महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आने लगा।


(घ) उनको पहले जितनी मेहनत नहीं करनी पड़ती थी।


(च) अब उन्हें बस का इंतजार करने की जरूरत नहीं थी।


(छ) अब महिलाओं को बस स्टॉप तक पहुंचने के लिए घर के पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था।



Question 2.

शुरुआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स’ के मालिक

ने इसका समर्थन किया, क्यों?


Answer:

महिलाओं ने जब खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए साइकिल चलाना शुरू किया तो पुरुष वर्ग इसका विरोध करने लगा क्योंकि वे महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के पक्ष में नहीं थे। उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए उन्होंने कई प्रयास भी किए। हालांकि आर. साइकिल्स’ के मालिक ने पुरुष होकर भी महिलाओं के साइकिल चलाने का समर्थन किया। इस वजह से उनकी दुकान पर लेडीज साइकिलों की बिक्री में वृद्धि भी होने लगी। इतना ही नहीं, लेडीज साइकिलें आने का इंतजार न कर पाने वाली महिलाओं ने ‘जेंट्स साइकिलें’ खरीदने लगी थीं जिसका सीधा-सीधा फायदा उन्हें मिल रहा था।



Question 3.

प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?


Answer:

इस आन्दोलन की मुखिया फातिमा मुस्लिम परिवार से थी और उनके यहाँ महिलाओं की स्थिति और भी खराब थी| इस आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए सर्वप्रथम उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा| अन्य महिलओं को भी इस आन्दोलन के दौरान पुरुषवादी सोच और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा| पुरुष वर्ग के लोग महिलाओं पर गंदी फब्तियां कसते। आते-जाते उन पर भद्दी-भद्दी टिप्पणियां करने लगे। लेकिन महिलाओं ने इसकी परवाह किए बिना अपने रास्ते में मुश्किलों को आड़े नहीं आने दिया। वह प्रगति के राह पर अपनी साइकिल पर सवार होकर तेजी से कामयाबी की दिशा में बढ़ने लगीं।




Shirshak Ki Baat
Question 1.

आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?


Answer:

जीवन हमेशा चलते रहने का नाम है। शायद लेखक ने इसी वजह से पहिये को गतिशीलता का प्रतीक मानते हुए इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ रखा होगा। वहीं यह पाठ भी पूरी तरह से साइकिल पर आधारित है। परिवहन के इस साधन ने तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले में रहने वाली स्थानीय महिलाओं की जिंदगी बदलकर रख दी। उनकी आत्मनिर्भरता ने उन्हें रूढ़ीवादी परंपराओं से बाहर निकाल दिया था। अब वह घर से बाहर निकलने के लिए अपने घर में मौजूद पुरुषो का सहारा नहीं लेती थी| इन्हीं सब कारणों की वजह से इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ रखा गया है|



Question 2.

अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।


Answer:

मेरे मन से इस पाठ का अन्य शीर्षक- ‘किस्मत का पहिया’ या ‘किस्मत की सवारी’ हो सकता है। इसका कारण यह है कि-

(क) साइकिल एक बेहद सस्ता साधन है जिसने तमिलनाडु के जिले में महिलाओं की किस्मत बदलकर रख दी।


(ख) पुराने ज़माने में यह परिवहन के एक प्रमुख साधन के रूप में उभरा और इसने लोगों की जिंदगी में व्यापक परिवर्तन किया|


(ग) यह परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन होने के साथ-साथ सस्ता भी है और इसी कारण गरीब लोगों की पहुँच इस तक संभव है|


इन्हीं सब कारणों की वजह से इसका अन्य शीर्षक ‘किस्मत का पहिया’ या ‘किस्मत की सवारी’ हो सकता है|




Samjhane Ki Baat
Question 1.

लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है। साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।


Answer:

शहरों की तुलना में गांवों में महिलाओं की स्थिति आज भी बेहद खराब है। रूढ़ीवादी सोच और पुरुषवादी समाज में महिलाओं के अधिकारों का हनन किया जाता है। इसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि गांव की महिलाओं का साइकिल चलाना हवाई जाहज चलाने से कुछ कम नहीं है। आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता हासिल करने के लिए उन्हें साइकिल पर सवार होकर बाहर निकलना ही होगा। आज का दौर पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का है न कि घर में घुट-घुटकर अपनी इच्छाओं का मारने का।

विद्यार्थी इस विषय पर स्वयं चर्चा करें।



Question 2.

पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था| साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?


Answer:

यातायात का सस्ता और सुगम साधन होने की वजह से साइकिल को विनम्र सवारी कहा गया है। इसे सीखना और चलाना बेहद आसान है। न तो इसकी रिपेयरिंग में बहुत ज्यादा पैसे लगाने पड़ते हैं और न ही इसे खरीदने के लिए बहुत ज्यादा व्यय करना पड़ता है। इसे महिला और पुरुष दोनों ही समान रूप से चला सकते हैं। यह स्त्री-पुरुष का भेदभाव किए बिना उनका कहना मान लेती है। यह इकलौता ऐसा साधन है जिससे हमारे पर्यावरण को भी किसी प्रकार खतरा नहीं है।




Cycle
Question 1.

फ़ातिमा ने कहा,--------मैं किराये पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ। साइकिल चलाने से फ़ातिमा और पुडुकोट्टई की अन्य महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?


Answer:

साइकिल चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि साइकिल पर सवार होकर वे घर की चारदीवारी से मुक्त हो जाती होंगी| साइकिल की वहज से प्राप्त इस स्वतंत्रता को वे महसूस कर अपने जीवन को बेहतर तरीके से जी पा रही होंगी| स्वतंत्र जीवन शैली की वजह से उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। साइकिल सवार इन महिलाओं के साथ कोई रोक-टोक न होने से उनकी आजादी सचमुच ही बढ़ जाती है।

इसी वजह से फातिमा और पुडुकोट्टई में रहने वाले तमाम महिला साइकिल पर सवार होने के बाद खुद को स्वतंत्र समझने लगीं।




Kalpana Se
Question 1.

पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी चिह्न क्या बनाती और क्यों?


Answer:

तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले की कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो निश्चित ही वह अपना पार्टी चिह्न साइकिल ही बनाती। इसकी वजह यह है कि पुडुकोट्टई की महिलाएं साइकिल की वजह से काफी आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हो चुकी थीं। उन्होंने साइकिल चलाने को आंदोलन के रूप में लिया है। यहां दस साल से बड़ी लड़कियों और महिलाओं में से तीन-चौथाई से ज्यादा ने साइकिल चलाना सीखा। यदि इतनी बड़ी जंनसंख्या चुनाव में हिस्सा लेती तो साइकिल को पार्टी-चिह्न बनाने वालों की जीत पक्की होती।



Question 2.

अगर दुनिया के सभी पहिये हड़ताल कर दें तो क्या होगा?


Answer:

अगर दुनिया के सभी पहिये हड़ताल कर दें तो मानव का जीवन ठहर जाएगा। पहिया न सिर्फ यातायात की बुनियाद है बल्कि यह जीवन के चलते रहने का प्रतीक भी है। इसके अभाव में इंसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जााएगा। जो जहां है वो वहीं ठहर जाएगा। इंसानों का जीवन सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए पहिये को भी लगातार चलते रहना होगा। पहिये के रुक जाने से हम इंसानों की जिंदगी भी रुक जाएगी।



Question 3.

1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता। इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।


Answer:

1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद यह जिला अब पहले जैसा नहीं हो सकता- इसका मतलब है कि साल 1992 से पहले इस जिले की महिलाएं पूरी तरह पुरुषों पर निर्भर थीं। उनका जीवन पुरुषों द्वारा बनाए गए नियमों में जकड़ा हुआ था। लेकिन साइकिल पर सवार होकर उन्होंने इस कैद से आजादी पा ली। वे अपने सभी बंधन तोड़कर बाहर निकल आईं। यहां की महिलाओं में अब जाग्रति आ चुकी थी| रूढ़ीवाद उन्हें अब और जकड़कर नहीं रख सकता था। साइकिल चलाना सीखने से उनमें जो आत्मनिर्भरता, आर्थिक समृद्धि तथा गतिशीलता आ गई थी। वे अब स्वतंत्र तरीके से अपनी आत्मनिर्भरता, समृद्धि और बेहतर जीवन के बारे में सोचने लगी थीं|



Question 4.

मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च, 1992 के दिन पुडुकोट्टई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और कल्पना के आधार पर एक समाचार तैयार कीजिए।


Answer:

पुडुकोट्टई, 9 मार्च 1992 (विशेष संवाददाता द्वारा): अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन पुडुकोट्टई जिला मुख्यालय से मात्र दो किलोमीटर दूर स्थित खेल परिसर में एक बेहद दिलचस्प नजारा देखने को मिला। इस जिले की करीब1500 महिलाएं साइकिल पर सवार होकर निकलीं। इस साइकिल रैली के माध्यम से इन महिलाओं ने पूरी दुनिया को महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता का संदेश दिया। साथ ही उन्होंने पुरुष प्रधान समाज की ओर इशारा करते हुए इस रैली का आगाज किया। साइकिल चलाने की यह तैयारी देखकर लोगों ने दांतों तले अंगुलियाँ दबा लीं। उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। उस समय महिलाओं का जोश देखते ही बनता था।



Question 5.

अगले पृष्ठ पर दी गयी “पिता के बाद कविता” पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।


Answer:

‘पिता के बाद’ दी गई कविता पढ़ने से पता चलता है कि कविता का फ़ातिमा की बात से संबंध हो सकता है। एक ओर जहाँ फ़ातिमा साइकिल चलाना सीखकर खुशहाली और व्यक्तिगत आजादी का अनुभव करती है। वहीं, दूसरी ओर इस कविता से पता चलता है कि लड़कियाँ हर स्थिति में खुश रहने का प्रयास करती हैं। वे उत्तरदायित्वों को जिम्मेदारीपूर्वक जीवन जीने एवं अपने आपसी संबंध निभाने का हौसला रखती हैं। पिता की गैर-मौजूदगी में माँ को लड़कियाँ सँभाल सकती हैं। वे विपरीत परिस्थितियों में भी खुश रह सकती हैं और अपना एवं अपने ऊपर निर्भर लोगों का जीवन सुचारू रूप से चला सकती हैं|




Bhasha Ki Baat
Question 1.

उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं- अभि, प्र, अनु, परि, वि (उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना|


Answer: