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Jab Cinema Ne Bolna Seekha

Class 8th Hindi वसंत भाग 3 CBSE Solution
Path Se
  1. जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौन-से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में…
  2. पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम- ईरानी को प्रेरणा कहां से मिली?…
  3. विट्ठल का चयन ‘आलम आरा’ फिल्म के नायक के रूप में हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल…
  4. पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओं ने…
Path Se Aage
  1. मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है। पर जब सिनेमा बोलने…
  2. ‘डब फिल्म’ किसे कहते हैं? कभी कभी डब फिल्मों में अभिनेता के मुंह खोलने और आवाज में अंतर आ…
Anuman Aur Kalpana
  1. किसी मूक सिनेमा में बिना आवाज के ठहाकेदार हंसी कैसी दिखेगी? अभिनय करके अनुभव कीजिए।…
  2. मूक फिल्म देखने का एक उपाय यह है कि आप टेलीविजन की आवाज बंद करके फिल्म देखें। उसकी कहानी…
Bhasha Ki Baat
  1. ‘सवाक्’ शब्द ‘वाक्’ के पहले ‘स’ लगाने से बना है। ‘स’ उपसर्ग से कई शब्द बनते हैं।…
  2. उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन…

Path Se
Question 1.

जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौन-से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए।


Answer:

भारत की पहली बोलती फिल्म थी आलम आरा। इस फिल्म को अर्देशिर एम ईरानी ने निर्देशित किया था। यह फिल्म 14 मार्च 1931 को रिलीज हुई थी। इसी दिन पहली बार सिनेमा ने बोलना सीखा था। इस फिल्म के पोस्टर पर छपा था- वे सभी सजीव हैं, सांस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इंसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो। उस फिल्म में अठहत्तर चेहरे थे। इसका मतलब यह है कि फिल्म आलम आरा में 78 कलाकार काम कर रहे थे।



Question 2.

पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम- ईरानी को प्रेरणा कहां से मिली? उन्होंने ‘आलम आरा’ फिल्म के लिए आधार कहां से लिया? विचार व्यक्त कीजिए।


Answer:

14 मार्च 1931 ही वो ऐतिहासिक तारीख है जब सिनेमा ने पहली बार बोलना सीखा था। फिल्मकार अर्देशिर ने आलम आरा को पहली बोलती फिल्म के तौर पर रिलीज किया था। इस फिल्म को बनाने की प्रेरणा उन्हें एक हॉलीवुड फिल्म से मिली थी। अर्देशिर ने 1929 में हॉलीवुड की बोलती फिल्म शो बोट देखी। तब उनके मन में बोलती फिल्म बनाने की इच्छा जागी। पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक को आधार बनाकर उन्होंने अपनी फिल्म की पटकथा बनाई। इस नाटक के कई गाने बिना किसी बदलाव के, ज्यों के त्यों फिल्म में ले लिए गए थे|



Question 3.

विट्ठल का चयन ‘आलम आरा’ फिल्म के नायक के रूप में हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल ने पुनः नायक होने के लिए क्या किया? विचार प्रकट कीजिए।


Answer:

इस फिल्म की नायिका जुबैदा थीं। वहीं हीरो के तौर पर इस फिल्म में विट्ठल को चुना गया। विट्ठल उस दौर के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले स्टार थे। विट्ठल की हिंदी अच्छी थी लेकिन उन्हें उर्दू बोलने में दिक्कत होती थी। इसी कमी के कारण विट्ठल को फिल्म से हटा दिया गया। उनकी जगह एक्टर मेहबूब को लिया गया। विट्ठल इस बात से नाराज हो गए। उन्होंने फिल्म को वापस पाने के लिए मुकदमा लड़ा। विट्ठल मुकदमा जीते और भारत की पहली बोलती फिल्म के नायक बने।



Question 4.

पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओं ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा? और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए।


Answer:

निर्माता निर्देशक अर्देशिर ने भारत में सवाक् यानी बोलती फिल्म की शुरुआत की थी। फिल्म का नाम था आलम आरा। यह फिल्म 14 मार्च 1931 को रिलीज हुई थी। फिल्म सुपरहिट गई थी। लोगों ने इसे बहुत पसंद किया था। 1956 में जब आलम आरा को 25 वर्ष पूरे हुए और अर्देशिर को इस फिल्म के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें ‘भारतीय सवाक फिल्मों का पिता’ कहा गया। इतनी बड़ी उपाधि मिलने पर अर्देशिर ने कहा था, मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश कि लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है। इससे पता चलता है कि अर्देशिर बहुत विनम्र व्यक्ति थे।




Path Se Aage
Question 1.

मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है। पर जब सिनेमा बोलने लगा तो उसमें अनेक परिवर्तन हुए। उन परिवर्तनों को अभिनेता, दर्शक और कुछ तकनीकी दृष्टि से पाठ का आधार लेकर खोजें, साथ ही अपनी कल्पना का भी सहयोग लें।


Answer:

1931 में निर्माता निर्देशक अर्देशिर ने पहली बोलती फिल्म आलम आरा बनाकर भारतीय सिनेमा में नए युग की शुरुआत की थी। मूक फिल्मों में सिर्फ अभिनय दिखता था। आवाज या डायलॉग नहीं होते थे। जब पहली बोलती फिल्म आई तो भारतीय सिनेमा में कई परिवर्तन हुए। इस परिवर्तन में अभिनेता, दर्शक, संगीत और तकनीकी दृष्टि महत्वपूर्ण थी।

जब पहली बोलती फिल्म बनी तो उसमें एक पारसी नाटक के गाने ज्यों के त्यों उठा लिए गए। अर्देशिर ने फिल्म के लिए अपनी धुनें चुनीं। सिर्फ तीन वाद्य यंत्र तबला, हारमोनियम और वायलिन का इस्तेमाल कर गाने बनाए गए। यहीं से पार्श्व गायन की भी शुरुआत हुई।


मूक फिल्मों में काम करनेवाले नायक पहलवान जैसे होते थे। उन्हें अपने शरीर से एक्टिंग, स्टंट और उछल कूद करनी होती थी। वहीं बोलते सिनेमा में इन्हीं अभिनेताओं को संवादकला में निपुण होना आवश्यक हो गया। इसके अलावा गायन की योग्यता रखनेवाले अभिनेताओं की कद्र बढ़ गई।


जब आलम आरा फिल्म को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। बोलने वाली फिल्म को देखने वाले दर्शक भी अलग थे। इसके बाद से सवाक् फिल्मों में लोगों की रुची बढ़ती गयी| इस उमड़ती भीड़ को नियंत्रित करना पुलिस के लिए कठिन होता था। सवाक् सिनेमा दर्शकों के लिए नया अनुभव था।



Question 2.

‘डब फिल्म’ किसे कहते हैं? कभी कभी डब फिल्मों में अभिनेता के मुंह खोलने और आवाज में अंतर आ जाता है। इसका कारण क्या हो सकता है?


Answer:

बोलती फिल्मों में डब का इस्तेमाल किया जाता है। शूटिंग के समय संवाद ठीक से सुनाई नहीं देते। पीछे कई तरह की अन्य आवाजें भी आती हैं। इसलिए अलग से अभिनेता डायलॉग को डब करते हैं। जिन्हें बाद में अभिनेता की आवाज के साथ मैच कर दिया जाता है। अलग अलग भाषाओं में फिल्में रिलीज करने के लिए डब का इस्तेमाल किया जाता है।

कभी-कभी फिल्मों में अभिनेता के मुंह खोलने और आवाज में अंतर आ जाता है। इसकी बड़ी वजह तकनीकी खराबी है। जब डब आवाज को अभिनेता की आवाज के साथ बैठाया जाता है तो उसमें कुछ कमी रह जाती है। तब डायलॉग और अभिनेता के मुंह खोलने में अंतर साफ दिखता है। इसके अलावा अभिनय और संवाद संयोजन में कमी, संयोजनकर्ता का पूरी तरह दक्ष न होना, डब आवाज तथा अभिनय करने वाले के मुंह खेलने-बंद करने की असमान गति और अभिनेता की तालमेल बैठाने की असफलता के कारण भी ऐसा हो जाता है।




Anuman Aur Kalpana
Question 1.

किसी मूक सिनेमा में बिना आवाज के ठहाकेदार हंसी कैसी दिखेगी? अभिनय करके अनुभव कीजिए।


Answer:

विद्यार्थी स्वयं अभिनय करके अनुभव करें।



Question 2.

मूक फिल्म देखने का एक उपाय यह है कि आप टेलीविजन की आवाज बंद करके फिल्म देखें। उसकी कहानी को समझने का प्रयास करें और अनुमान लगाएं कि फिल्म में संवाद और दृश्य की हिस्सेदारी कितनी है?


Answer:

जब हम टेलीविजन की आवाज बंद करके फिल्म देखते हैं और कहानी का अनुमान लगाते हैं तो पाते हैं कि संवाद और दृश्य एक-दूसरे के बिना अधूरे से लगते हैं। संवाद के अभाव में फिल्म की कहानी समझ पाना कितना कठिन लगता है। वास्तव में संवाद और दृश्य एक-दूसरे के पूरक बनकर दृश्य या फिल्म को मनोरंजक बनाते हैं।

दृश्यों में संवाद की आवश्यकता के कारण ही मूक सिनेमा की लोकप्रियता के युग में भी सवाक् फिल्में इतनी लोकप्रिय हुई कि दर्शकों की भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया।




Bhasha Ki Baat
Question 1.

‘सवाक्’ शब्द ‘वाक्’ के पहले ‘स’ लगाने से बना है। ‘स’ उपसर्ग से कई शब्द बनते हैं। निम्नलिखित शब्दों के साथ ‘स’ का उपसर्ग की भांति प्रयोग करके शब्द बनाएं और शब्दार्थ में होनेवाले परिवर्तन को बताएं:

हित, परिवार, विनय, चित्र, बल, सम्मान।


Answer:

हित - भलाई

सहित - संयुक्त


परिवार - घर के लोग


सपरिवार - परिवार के साथ


विनय - प्रार्थना


सविनय - अनुरोध करना


चित्र - तस्वीर


सचित्र - चित्र के साथ


बल - ताकत


सबल - ताकतवर


सम्मान - आदर, सत्कार


ससम्मान – आदरपूर्वक



Question 2.

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन दोनों में अंतर केवल इतना होता है कि उपसर्ग किसी भी शब्द में पहले लगता है और प्रत्यय बाद में। हिंदी के सामान्य उपसर्ग इस प्रकार है: अ/अन, नि, दु, क/कु, स/सु, अध, बिन, औ आदि।

पाठ में आए उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं:


इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए।


Answer:

उपसर्ग वाले शब्द-


मार्ग - कुमार्ग


दान - निदान


बल - निर्बल


नेता - अभिनेता


राज - नाराज


गीत - संगीत


पूत - कपूत


गम - सुगम


पेट - भरपेट


अधिक - सर्वाधिक


नम्र - विनम्र


योजन - संयोजन


वाद - संवाद


फल - निष्फल


पका - अधपका


प्रत्यय वाले शब्द -


भारत - भारतीय


आरंभ - आरंभिक


ईरान - ईरानी


चर्चा - चर्चित


लोकप्रिय - लोकप्रियता


रंग - रंगीन


धन - धनी


दिन - दैनिक


गीत - गीतकार


बूढ़ा - बुढ़ापा


विवाह - वैवाहिक


मोर - मोरनी


गुरु - गुरुत्व


चिकना - चिकनाहट


दया – दयालु