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Dhvani

Class 8th Hindi वसंत भाग 3 CBSE Solution
Kavita Se
  1. कवि को ऐसा विश्वास क्यों हैं कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
  2. फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?…
  3. कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है।…
Kavita Se Aage
  1. वसंत को ‘ऋतुराज’ क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
  2. वसंत ऋतु में आने वाले त्यौहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर…
  3. ‘‘ऋतु परिर्वतन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।’’-इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर…
Anuman Aur Kalpana
  1. स्वप्न भरे कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का सन्देश…
  2. कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है? फूटे हैं आमों में…
  3. कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके…
Bhasha Ki Baat
  1. ‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के…
  2. ‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है,…
Kuch Karne Ko
  1. वसंत पर अनेक सुंदर कविताएँ हैं। कुछ कविताओं का संकलन तैयार कीजिए।…
  2. शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द का अर्थ देखिए। शब्दकोश में शब्दों के अर्थाें के अतिरिक्त बहुत-सी…

Kavita Se
Question 1.

कवि को ऐसा विश्वास क्यों हैं कि उसका अंत अभी नहीं होगा?


Answer:

ऊर्जा औ उत्साह से भरपूर कवि के जीवन में निराशा का एक अंश तक नहीं है। इसलिए वह कहता है कि उसका अंत अभी नहीं होगा। उसके उपवन में अभी-अभी वसंत ऋतु आई है, जिससे उसका जीवन फूलों की तरह महक उठा है। अब उसे दूसरों को प्रेरित और उत्साहित करने के लिए कई काम करने हैं ताकि वह अपने अपने कार्य और रचनाओं की खुशबू से दूसरों के जीवन को भी महका सके। इससे प्रेरणा लेकर कवि की तरह दूसरे लोग भी अपने जीवन के साथ न्याय कर सकेंगे।



Question 2.

फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?


Answer:

कवि फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए उनसे आलस्य का भाव छीन लेना चाहता है। वह उन्हें कलियों से फूल बनकर हमेशा खिले रहने के लिए प्रेरित करता है। कवि उनके जीवन में खत्म होते रस और उनकी आंखों की बोझिलता को दूर करने का प्रयास करता है। इन फूलों की महक कभी खत्म न हो और इनका खिलना हमेशा बरकरार रहे इसके लिए कवि अपने नए जीवन के अमृत से इन्हें सींचने की बात कह रहा है।



Question 3.

कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है।


Answer:

कवि फूलों की तंद्रा और आलस्य को दूर कर उन्हें अपने हाथ के कोमल स्पर्श से जगाना चाहता है। ताकि बोझिल भाव में सुस्त हो चुके फूल चुस्त व सजग हो सकें और उनकी महक चारों ओर फैल सके। कवि इन फूलों को वसंत के मनोहर प्रभात का समाचार देना चाहता है। कवि चाहता है कि मुरझाई कली से खिलकर बने फूल वसंत के सौंदर्य की शोभा को और बढ़ाएं। कवि नहीं चाहता है कि आलस्य की वजह से फूल मुरझाएं।




Kavita Se Aage
Question 1.

वसंत को ‘ऋतुराज’ क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।


Answer:

भारत में वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि पाँच अन्य ऋतुओं के अपने सकारात्मक पहलु एवं नकारात्मक गुण हैं। जबकि वसंत ऋतु का मौसम पूरे साल का सबसे सुहाना मौसम माना जाता है। इसमें न हाड कंपाने वाली सर्दी होती है और न ही चारों ओर पाले की मार। इस दौरान वृक्षों की पत्तियां तक गिरकर जमीन पर आ जाती हैं। इसकी

खासियत यह है कि पेड़ों के पत्ते लाल पड़ने लगते हैं, कोंपलें तथा हरे-भरे पत्तों के बींच रंग-बिरंगे फूल प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगाने का काम करते हैं। प्रकृति की खूबसूरती देख कोयल


भी सुरीले राग गाने लगती है। वायुमंडल की ताजा और ठंडी हवा प्रकृति का संदेश इंसानों के मध्य पहुंचाने का कार्य करती है। मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी भी इस ऋतु के आगमन से प्रसन्न रहते हैं। इसी वजह से इस ऋतु को ‘ऋतुराज’ कहा जाता है।



Question 2.

वसंत ऋतु में आने वाले त्यौहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।


Answer:

वसंत ऋतु फाल्गुन, चैत तथा वैसाख महीने की शुरुआत के दिनों में अर्थात मार्च-अप्रैल में आती है। इसकी अवधि लगभग दो महीने की होती है। इस ऋतु में निम्नलिखित त्योहार मनाए जाते हैं।

(क) बसंत पंचमी- इस त्योहार पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं। इस दिन किसान शाम को नई फसल का अनाज मुंह में डालते हैं। साथ ही ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। इसके अलावा कई जगह मां सरस्वती की चौकियां लगाकर उनकी पूजा की जाती है।


(ख) महाशिवरात्रि- इस त्योहार पर लोग भगवान शिव की आराधना करते है। उनके भक्त इस दिन व्रत रख उनकी पूजा करते हैं। साथ ही शिवलिंग पर दूध, भांग और धतूरा चढ़ाते हैं।


(ग) बैसाखी- यह त्योहार पंजाब प्रांत के लोगों में काफी लोकप्रिय है। इस दिन लोग कनक की खेती की पूजा करते हैं। फसल की पहली कटाई का अंश पूजा में सामग्री के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।


(घ) होली- भारत त्योहारों का देश है और यहां रक्षाबंधन, दीपावली, दशहरा, ईद समेत कई अन्य त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है होली। भारत में होली का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बच्चे, बूढ़े और जवान एक दूसरे को प्यार से रंग और गुलाल लगाकर गले लगते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार होली का त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख त्योहार है। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसा लगता है कि यह त्योहार ऋतुराज वंसत के आगमन का समाचार देता है। इस ऋतु में पेड़ों की शाखाओं पर नई पत्तियां व कोमल कलियां उगने लगती हैं। मौसम पहले से ज्यादा सुहाना होने लगता है।


हालांकि होली का त्योहार मनाने के पीछे कई सारे किस्से और कहानियां भी छिपे हैं। ऐसी मान्यता है कि हिरण्यकश्यप नामक एक दानव अत्यंत क्रूर और अत्याचारी था। ईश्वर के प्रति उसमें कोई आस्था नहीं थी। वह खुद को ईश्वर से श्रेष्ठ बताकर लोगों के बीच भगवान बनने का प्रयास कर रहा था। हालांकि उसी के घर में उसका पुत्र अपने पिता को भगवान मानने की बजाये, सच्चे मन से भगवान की आराधना में लगा रहता था।


यह बात हिरण्यकश्यप को मन ही मन दुखी कर रही थी। इसलिए उसने अपने ही पुत्र प्रह्लाद की मृत्यु करने का मन बना लिए। उसने कई प्रयास किए लेकिन हर बार हिरण्यकश्यप की क्ररता प्रह्लाद के सामने बेबस हो गई। आखिरकार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलवाया और उससे अपने पुत्र प्रह्ललाद के प्राण लेने को कहा। इसके बाद होलिका ने हिरण्यकश्यप का आदेश माना और अग्नि पर भक्त प्रह्लाद को लेकर बैठ गई, लेकिन ईश्वर की सच्ची आस्था करने वाले प्रह्लाद का बाल बांका भी न हुआ और होलिक अग्नि में जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्योहार मनाया जाता है।


इस दिन रात को चौराहों पर कटे हुए पेड़ों की टहनियां या लकड़ियों को जलाकर अच्छाई पर बुराई की जीत के इस प्रतीक को जिंदा रखने का प्रयास किया जाता है। अगले दिन सुबह लोग एक दूसरे के गले मिलकर उन्हें होली की शुभकामाएं देते हैं। वह प्यार से एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाते हैं। माथे और गालों पर रिंगबिरंगे गुलाल लोगों के बीच आपसी प्रेम और अपनेपन का एहसास दिलाते हैं। वहीं, बच्चे पिचकारियों में पानी भरकर एक दूसरे के साथ होली के त्योहार का लुत्फ उठाते हैं।


महिलाएं एक दूसरे के घर पकौड़े, नमकीन और मिठाइयां भेजती हैं। पिछले कुछ समय से इस त्योहार में कुछ गलत चीजें भी शामिल होने लगी हैं, जिसकी वजह से लोग इससे परहेज करने लगे हैं। शराब पीकर सकड़ों पर हुड़दंग उतारने और कीचड़-ग्रीस जैसी चीजों का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने इसे एक अलग ही रूप दे दिया है। इस त्योहार पर लोग अराजकता का माहौल न बनाएं इस वजह से सरकार पुलिस को भी सतर्क रहने के आदेश देती है।



Question 3.

‘‘ऋतु परिर्वतन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।’’-इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।


Answer:

पूरे वर्ष में कुल चार तरह की ऋतुओं का आगमन होता है। इन ऋतुओं के आने से मौसम ही नहीं हमारे दैनिक जीवन में भी ढेर सारे बदलाव आते हैं। आइए जानते हैं कि हमारा जीवन ऋतुओं के बदलने पर कैसे प्रभावित होता है।

ग्रीष्म ऋतु- ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक गर्मी होने की वजह से हम हल्के कपड़े पहनना पसंद करते है। साथ ही खाने पीने की चीजों में भी काफी बदलाव आता है। लोग तरल पदार्थ जैसे कि लस्सी, छाछ जैसी चीजों का सेवन ज्यादा करते हैं।


वर्षा ऋतु- वर्षा ऋतु में किसी भी वक्त बारिश की संभावना बनी रहती है। साथ ही मौसम में काफी नमी देखने को मिलती है। ऐसे में सड़कों, गलियों में भरे पानी की वजह से लोगों का दैनिक जीवन काफी प्रभावित होता है।


शीत ऋतु- शीत ऋतु में हाड कंपा देने वाली सर्दी में लोग गर्म और ऊनी कपड़ने पहनना पसंद करते हैं। इसके अलावा खाने में ऐसी चीजों का सेवन करते हैं जिनकी तासीर गर्म होती हैं।


वसंत ऋतु- वसंत ऋतु का मौसम सबसे सुहाना मौसम होता है। इस मौसम में न ज्यादा सर्दी होती है और न ही ज्यादा गर्मी। इस ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य दिल को छू लेने वाला होता है। इसमें पेड़ों की शाखाओं पर नई पत्तियां, फूल और फल निकलते हैं।




Anuman Aur Kalpana
Question 1.

स्वप्न भरे कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का सन्देश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है| फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?


Answer:

फूल-पौधों के लिए मैं निम्नलिखित कार्य करना चाहूँगाः


(क) फूलों और पौधों को नष्ट होने से बचाना चाहूंगा।


(ख) पौधों के लिए सिंचाई और खाद संबंधी विशेष व्यवस्था करूंगा।


(ग) पौधों को अन्य तरह के दुष्प्रभावों से बचाने का प्रयास करूंगा।


(घ) पौधों का अच्छे से ध्यान रखने के लिए दूसरे लोगों से जानकारी प्राप्त करूंगा, ताकि उनकी अच्छे से देखभाल कर सकूं।


(ड) फूलों और फलों की अच्छे से देख-रेख कर प्रकृति के सौंदर्य को बनाए रखने में मदद करूंगा।



Question 2.

कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?

फूटे हैं आमों में बौर होली मची ठौर-ठौर

भौंर वन-वन टूटे हैं। सभी बंधन छूटे हैं।


Answer:

ऊपर लिखी पंक्तियों में आम में बौर आने, होली के त्योहार और भौरों के बारे में जिक्र किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि इसमें वसंत ऋतु का ही वर्णन किया गया है। यह सब चीजें एक साथ वसंत ऋतु में ही देखने को मिलती हैं। इस ऋतु में बागों में चारों तरफ आम ही आम नजर आते हैं। साथ ही होली का त्योहार भी इसी ऋतु में आता है। वहीं बागों में फूलों पर भौरे भी इसी ऋतु में मंडराते हैं। ये सभी चीजें मिलकर वसंत ऋतु को बेहद आकर्षक बनाती हैं।



Question 3.

कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का अन्य किन-किन संदर्भों से संबंध जुड़ सकता है? जैसे-नन्हे-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो -----------------------।


Answer:

उपर्यक्त कार्यों का निम्नलिखित संदर्भों से संबंध जुड़ सकता हैः

(क) माली वन में उलझी लताओं को सहज तरीके से सुलझाने का प्रयास कर रहा है।


(ख) छोटा बच्चा उपवन में उड़ती तितली के पीछे दौड़कर उन्हें पकड़ने का प्रयास कर रहा है।


(ग) मैं फूलों पर जमी ओस की बूंदों को स्पर्श कर आत्ममुग्ध हो रहा हूँ।


(घ) बुजुर्ग पार्क में उगी घास को नष्ट करने से इंकार कर रहे हैं और फूलों को बचाए रखने की अपील कर रहे हैं।




Bhasha Ki Baat
Question 1.

‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे से पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द-युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयूक्त हुआ है। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में जैसे; वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है- ‘‘तीन बेर खाती थीं वे तीन बेर खाती हैं।’’ जो तीन बेर (बार) खाती थीं वह तीन बेर (बार) खाने लगी हैं। एक

शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया । इसे ‘यमक अलंकार’ कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है

जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं_ जैसे- मन का मनका। ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत्त शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिएः बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।


Answer:

बातों-बातों में- बातों-बातों में सफर कैसे कट गया पता ही नहीं चला।

रह-रहकर- रह रहकर मेरे दिल को बस एक ही ख्याल आता है।


लाल-लाल- मास्टर जी गुस्से में अपनी लाल-लाल आखों से मुझे घूर रहे थे।


सुबह-सुबह- सुबह-सुबह कर्जदार तुम्हारे दरवाजे पर आ खड़े हुए।


रातों-रात- रातों-रात वह सोने का हार लेकर गायब हो गया।


घड़ी-घड़ी- घड़ी-घड़ी नौटंकी करके उसने मेरा दिमाग खराब कर दिया।



Question 2.

‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’

विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे ‘विशेष्य’ कहते हैं।

ऊपर दिए गए वाक्यांशों में ‘गात’, ‘वसंत’ और ‘पात’ शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता क्रमशः ‘कोमल’ ‘मृदुल’ और ‘हरे-हरे’, शब्दों से ज्ञात हो रही हैं।

हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैं- गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।


Answer:

(क) गुणवाचक विशेषण- जिस विशेषण से किसी के गुण व आकार का पता चले उसे गुणवाचक विशेषण कहलाता है (जैसे- मेहनती, बुद्धीमान, अमीर, चालाक)

(ख) परिमाणवाचक विशेषण- ऐसा विशेषण जो माप-तौल का बोध कराता हो जैसे (एक दर्जन, 10 किलो, कुछ लोग, थोड़ा सा आटा)


परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद हैं


(अ) निश्चित परिमाणवाचक


(ब) अनिश्चित परिमाणवाचक


(ग) संख्यावाचक विशेषण- जो विशेषण निश्चित तौर पर संख्या का बोध कराए जैसे (जैसे-दस रुपये, 5 लड़के, 20 बोतल) आदि।


संख्यावाचक विशेषण के भी दो भेद हैं_


(अ) निश्चित संख्यावाचक- जैसे- 10 रुपये, 60 बच्चे, 30 गेंद।


(ब) अनिश्चित संख्यावाचक- जैसे- (कई लोग, बहुत से बच्चे, कुछ खजूर)


(घ) सार्वनामिक विशेषण- सर्वनाम शब्द संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता बताते हैं उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते है_ इन्हें संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं।


नेटः इस विशेषण के बाद संज्ञा शब्द को होना बहुत आवश्यक होता है। इस विशेषण के बाद संज्ञा शब्द न होने पर यह सर्वनाम बन जाता है। जैसे- यह मकान बहुत ऊँचा है। वे मज़दूर बहुत ही परिश्रमी हैं। ये राहगीर ईमानदार हैं। वह छात्र कक्षा में प्रथम आया था।




Kuch Karne Ko
Question 1.

वसंत पर अनेक सुंदर कविताएँ हैं। कुछ कविताओं का संकलन तैयार कीजिए।


Answer:

वसंत पर कविता

वसन्त की परी के प्रति


सखि, वसन्त आया


रँग गई पग-पग धन्य धरा


हँसी के तार के होते हैं ये बहार के दिन


अलि की गूँज चली द्रुम कुँजों


आज प्रथम गाई पिक पंचम


फूटे हैं आमों में बौर


वरद हुई शारदा जी हमारी


कूची तुम्हारी फिरी कानन में


-सुमित्रानंदन पंत



Question 2.

शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द का अर्थ देखिए। शब्दकोश में शब्दों के अर्थाें के अतिरिक्त बहुत-सी अलग तरह की जानकारियाँ भी मिल सकती हैं। उन्हें अपनी कापी में लिखिए।


Answer:

शब्दकोश में ‘वसंत’ के अर्थः

1- एक वर्ष में आने वाली छह ऋतुओं में से एक


2- फूलों का गुच्छा


3- एक राग


शब्दकोश में शब्दों के अर्थ के अलावा और भी जानकारियाँ मिल सकती हैं, जो निम्नलिखित हैंः


(क) शब्द-संक्षेप चिह्नः


स्त्री0 - स्त्रीलिंग सर्व0 - सर्वनाम


पु0 - पुल्लिंग उप0 - उपसर्ग


बहु0 - बहुवचन प्र0 - प्रत्यय


(ख) मुहावरे, लोकोक्तियाँ तथा माप-तौल के पैमानों की सारिणी आदि भी मिलती हैं।