पाठ से
लोककथा में गोमा खेत जोते अपने बैलों को हाँककर घर की ओर क्यों चल पड़ा?
गोमा एक गरीब किसान था। उसके पास गुजर-बसर के लायक ही खेती थी। गांव में तीन साल से ठीक से वर्षा नहीं हुई थी। इस वजह से वहां सूखा पड़ चुका था। अभी भी उसे वर्षा की कहीं कोई आशा नजर नहीं आ रही थी। ऐसे में गोमा ने सोचा कि जब वर्षा ही नहीं हो रही तो वह खेल जोतकर क्या करेगा। उसने गहरी लंबी सांस ली। उसका मन बहुत उदास हुआ और वह बिना खेत जोते ही बैलों को हांककर वापस घर की ओर निकल पड़ा।
पाठ से
गोमा को पेड़ के नीचे बैठा देखकर बूढ़ी अम्मा ने उससे क्या कहा?
गोमा ने जब इरादा कर लिया कि वह तब तक खेत नहीं जोतेगा जब तक वर्षा नहीं हो जाती। ये सोचकर वह अपने बैलों को हांकता हुआ वापस ले गया। रास्ते में वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी वहां एक बूढ़ी अम्मा आईं और उन्होंने गोमा से कहा, ‘ये वक्त तो खेत जोतने का है और तुम यहां आराम कर रहे हो।’ इस पर गोमा ने कहा, ‘खेत जोतकर क्या करूंगा जब वर्षा ही नहीं हो रही।’ तो बूढ़ी अम्मा ने कहा, ‘तुम अपना काम समय पर करो प्रकृति अपना काम अवश्य समय पर करेगी। वर्षा अवश्य होगी।’
पाठ से
गोमा ने अपने खेतों को क्यों जोता?
वर्षा न होने की वजह से गोमा खेत जोतने से मन चुराने लगा था। उसे लगता था कि जब वर्षा ही नहीं हो रही तो वह खेत जोतकर क्या करेगा। लेकिन बूढ़ी अम्मा की बात सुनकर उसने फिर से अपने खेत को जोतना शुरू कर दिया। बूढ़ी अम्मा ने गोमा से कहा था कि तुम अपना काम करो और प्रकृति का काम उस पर छोड़ दो। अम्मा की यह बात गोमा को समझ आ गई और वह बिना परिणाम की चिंता किए अपने खेत जोतने में जुट गया।
क्या होता अगर
गोमा खेतों को तैयार न करता?
अगर गोमा बूढ़ी अम्मा की बात सुनकर खेत न जोतता तो लगभग 3 वर्ष के बाद हुई वर्षा का फायदा उसे कभी नहीं मिल पाता। गोमा ने बूढ़ी अम्मी की बात सुनकर अपने खेतों को जोतना शुरू कर दिया था और कुछ दिन बाद वर्षा हो गई। इससे उसके खेतों को पानी मिला और उसके तंगहाली भरे जीवन में खुशियां आ गईं। अगर वह वर्षा से पहले अपने खेत न जोत पाता तो उसके खेत इस ऋतु में बिन हरियाली सूने रह जाते।
क्या होता अगर
गोमा को बूढ़ी अम्मा नहीं मिलती?
अगर गोमा को उस दिन पेड़ के नीचे आराम करते वक्त बूढ़ी अम्मा न मिलती तो वह कभी अपने खेत नहीं जोत पाता। बूढ़ी अम्मा के कहने पर ही गोमा ने वर्षा की परवाह किए बिना अपने खेतों को जोतना शुरू कर दिया था। अगर उस दिन वह बूढ़ी अम्मा से न मिला होता तो शायद वर्षा होने से पहले कभी अपने खेत नहीं जोत पाता। फिर न तो उसकी बंजर जमीन वर्षा के पानी के लायक होती और न ही उसके खेतों में हरियाली आती।
क्या होता अगर
बूढ़ी अम्मा की बात पर गोमा ध्यान न देता?
अगर गोमा बूढ़ी अम्मा की बातों पर ध्यान न देता तो उसे और उसके खेतों को काफी नुकसान हो जाता। बूढ़ी अम्मा की बात पर ध्यान न देने से वह बेपरवाह वर्षा का इंतजार ही करता रह जाता। बारिश होने के बाद गोमा के खेतों में जाने वाला पानी किसी काम का नहीं रह जाता। बूढ़ी अम्मा की बात सुनकर उसने अपने कर्म पर ध्यान दिया और वर्षा होना न होना प्रकृति पर छोड़ा दिया। उसने सिर्फ खेत जोतकर अपना काम पूरा किया और जब बाद में वर्षा हुई तो वह अपने खेत वर्षा के लिए पहले ही तैयार कर चुका था|
क्या होता अगर
इस साल भी वर्षा न होती?
गांव में तीन सालों से वर्षा नहीं हुई थी। ऐसे में गोमा की स्थिति काफी खराब होने लगी थी। उसके बैल कमजोर होने लगे थे। घर की आर्थिक स्थिति भी जर्जर हो चुकी थी। अगर इस साल भी वर्षा नहीं होती तो गांव में भंयकर अकाल पड़ने की संभावना थी। इससे न सिर्फ गांव में रहने वाले लोगों की जान को खतरा होता बल्कि पशु-पक्षियों का अस्तित्व भी वहां से खत्म हो जाता है। खेत-खलिहानों की जगह दूर-दूर तक सिर्फ बंजर भूमि ही नजर आती।
वर्षा कैसे हो!
बूढ़ी अम्मा ने वर्षा न होने का क्या कारण बताया था?
बूढ़ी अम्मा ने गोमा को बताया कि पेड़ों के लगातार काटे जाने का जलवायु परिवर्तन पर क्या प्रभाव हो रहा है। जंगलों में पेड़़ पौधों के कटाव की वजह से वर्षा भी कम होने लगी है। अगर पेड़-पौधे होते तो वर्षा भी निश्चित समय पर होती। अब यहां हरियाली पहले जैसी नहीं है जिस वजह से वर्षा समय पर नहीं हो रही है। जब पेड़ ही नहीं है तो हरियाली कहां से होगी। हरियाली नहीं तो वर्षा भी नहीं।
वर्षा कैसे हो!
क्या तुम बूढ़ी अम्मा की बात से सहमत होते? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
हां, हम बूढ़ी अम्मा के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। वर्षा होने के लिए हरियाली का होना बहुत जरूरी है। पड़ों के लगातार कटने और वनों के विनाश के चलते जलवायु परिवर्तन हो रहा है। हरियाली पहले जैसी न होने के कारण अब बारिश भी पहले जैसी नहीं होती। पेड़ पौधे जितने ज्यादा होंगे वर्षा भी उतनी ही बेहतर होगी।
गाँव और पशु
“इस वर्ष भी आषाढ़ सूखा ही रहा।”
लोककथा से जाहिर होता है कि गोमा के गाँव में तीन साल से वर्षा नहीं हुई थी। वर्षा न होने के कारण उनके गाँव के बैलों, खेतों और पेड़ो में क्या बदलाव आए होंगे?
लोककथा के अनुसार गांव में तीन साल से वर्षा नहीं हुई थी। इससे न सिर्फ गोमा के खेत बल्कि गांव के तमाम बैल और पेड़-पौधे भी प्रभावित हो रहे थे। गांव में सूखा फैलने की स्थिति बन गई थी। ऐसे में बैलों को कुछ खाने के लिए भी नहीं मिला होगा। गोमा के बैल अब पहले से ज्यादा कमजोर होने लगे थे। किसान गोमा की आर्थिक स्थिति भी बदतर होती जा रही थी। इसके अलावा खेतीबाड़ी की जमीनें बंजर होने लगी होंगी|
गाँव और पशु
“सवेरे-सवेरे अपने पशुओं की ये आवाजें सुनने के लिए उसके कान तरस गए थे।”
गोमा ने बहुत समय बाद अपने पशुओं की वे आवाजें सुनी थीं। क्यों?
गांव में तीन सालों से बारिश नहीं हुई थी ऐसे में उसके खेत खलिहान हरियाली से सूने हो चुके थे। समय पर दाना-पानी न मिलने की वजह से जानवर भी कमजोर होने लगे थे। गांव में सूखा फैलने जैसी स्थिति बनने लगी थी, लेकिन एक दिन सुबह जब वह सोकर उठा तो बकरियां मिमिया रही थीं। उसके कान पशुओं की आवाज सुन रहे थे। मौसम सुहाना हो गया था। पत्नी की आवाज सुनकर जब गोमा बाहर आया तो उसने वर्षा का पानी देख बादलों को खूब निहारा।
सोचने की बात
बूढ़ी अम्मा ने कहा, “वर्षा अवश्य होगी।”
तुम्हारे विचार से बूढ़ी अम्मा ने गोमा से यह बात क्यों कही?
बूढ़ी अम्मा ने गोमा से यह बात इसलिए कही ताकि वह सिर्फ वर्षा पर निर्भर रहकर अपना वक्त बर्बाद न करे। बूढ़ी अम्मा चाहती थी कि गोमा वृक्ष के नीचे आराम करने की बजाए अपने खेत जोतना शुरू कर दे। ताकि जब कभी बारिश हो तो उसके खेतों को पर्याप्त पानी मिल सके और उसके जीवन में फिर से खुशियां लौट सकें। बूढ़ी अम्मा की बात सुनने से गोमा को फायदा भी हुआ। वर्षा होने से पहले ही वह अपने खेतों का काम पूरा कर चुका था।
सोचने की बात
बूढ़ी अम्मा ने कहा, “वर्षा अवश्य होगी।”
क्या उन्हें मालूम था कि इस साल वर्षा होगी? या उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर केवल अंदाजा लगाया था?
नहीं बूढ़ी अम्मा को मालूम नहीं था कि वर्षा होगी या नहीं। लेकिन अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने गोमा को सुनिश्चित किया कि इस साल वर्षा जरूर होगी। यह मात्र बूढ़ी अम्मा का एक अंदाजा था। हालांकि बूढ़ी अम्मा ने गोमा को यह भी कहा था कि पृथ्वी से लगातार कम होते पेड़-पौधों की वजह से वर्षा भी कम होने लगी हैं। यह जानते हुए भी उन्होंने गोमा को जगाने के लिए कहा कि वह अपना काम करे। इस बार वर्षा जरूर होगी।
सोचने की बात
बूढ़ी अम्मा ने कहा, “वर्षा अवश्य होगी।”
वर्षा और पेड़ों के संबंधों के बारे मे सोचो| पाँच-पाँच बच्चों के समूह बनाकर इस बारे में बातचीत करो। फिर सबको अपने समूह के विचार बताओ।
वर्षा और पेड़ों के बीच गहरा आपसी संबंध है। वर्षा होगी तो पेड़-पौधों को समय पर पानी मिल सकेगा। इससे खेत-खलिहान और वनों में फिर से हरियाली आ जाएगी। दूसरा पेड़-पौधे हवा में नमी पैदा करने में भी सहयोगी हैं। ऐसे में जब वायुमंडल के ऊपर से जलवाष्प से युक्त होकर बादल गुजरते हैं तो वर्षा होती है।
कैसा था गोमा
सही शब्दों पर गोला लगाओ-
कामचोर, आलसी, मेहनती, भोला-भाला, मूर्ख, समझदार, गरीब, अमीर, कमज़ोर, लगन का पक्का
अब अपने उत्तर का कारण नीचे लिखो
मेरे विचार से गोमा...........व्यक्ति था क्योंकि........
........................................................................................................................
मेरे विचार से गोमा एक मेहनती, भोला-भाला, गरीब और लगन का पक्का व्यक्ति था क्योंकि वह वर्षा न होने की वजह से हमेशा अपने बैलों को हांकता हुआ वापस ले जाता था। लेकिन बूढ़ी अम्मा की बात सुनकर उसने बिना वर्षा की चिंता किए अपना कर्म किया। वह अपने काम से मन चुराने और मौसम पर निर्भर होने की बजाए पूरी निष्ठा और लगन के साथ अपने काम में जुट गया। इसका फायदा उसे बाद में मिला जब खेत की जुताई पूरी होने के बाद वर्षा हुई।
डाँवाडोल
“कई बार उसका मन डाँवाडोल भी हुआ”
गोमा खेतों में काम करने जा रहा था। कई बार उसने घर लौट जाने की बात भी सोची। तुम्हारा मन भी ज़ुरूर कभी डाँवाडोल होता होगा? ऐसा कब-कब होता है? अपने ढंग से सोचकर इस सूची को पूरा करो।
क) जब खूब नींद आ रही हो और दोस्त खेलने को बुलाने लगे।
ख) ………………………………………………………………………………………………..
ग) ………………………………………………………………………………………………..
घ) ………………………………………………………………………………………………..
ङ) ………………………………………………………………………………………………..
क) जब खूब नींद आ रही हो और दोस्त खेलने को बुलाने लगे।
ख) जब मां परीक्षा की तैयारी करने के लिए कहने लगे।
ग) जब पिताजी घर का कोई काम बताने लगे।
घ) जब कोई मुझे अपना काम स्वंय करने की सलाह देने लगे।
ङ) जब कोई मुझे बेमन से नया सीखने के लिए दबाव बनाने लगे।
खेती
लोककथा में खेती से संबंधित अनेक शब्द आए हैं। उनकी सूची बनाओ। फिर उन्हें वर्णमाला के क्रम से लिखो।
खेती लोककथा में खेती से संबंध निम्नलिखित शब्द आए हैं।
तुम्हारी लोककथा
यह मालवा (मध्य प्रदेश) की एक लोककथा है। तुम्हारे प्रांत की भाषा/बोली में भी कुछ लोककथाएँ होंगी। जिसे लोग सुनते-सुनाते होंगे। उनमें से तुम अपनी पसंद की किसी लोक कथा को अपनी कॉपी में लिखो और अपने मित्रों को सुनाओ।
मैं देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखता हूं। यहां की एक लोकप्रिय कथा है जिसका नाम है 'टिपटिपवा'।
गांव के बाहरी इलाके में एक बुढ़िया का परिवार रहता था। उसके मकान के पीछे खाली हिस्से में चौपायों का घर था। घर में एक भी चौपाया नहीं था। एक दिन आकाश में बादल घिरे हुए थे। बरसात होने ही वाली थी। रह-रहकर बिजली चमक रही थी। थोड़ी देर में बूंदाबांदी के बाद बरसात शुरू हो गई थी। जोर से बादल गरजा तो बुढिया की नींद टूट गई। बुढ़िया के साथ उसका नाती लेटा हुआ था।
बुढ़िया उठी तो वह भी उठकर बैठ गया। बुढ़िया ने बाहर झांककर देखा तो पानी बरस रहा था। पिछले वर्ष बुढ़िया की छत टपक रही थी इस वर्ष भी वह डर रही थी। अभी बहुत जोर से वर्षा नहीं हुई थी। अपनी दादी को चिंतित देख कर उस लड़के ने कहा दादी इतनी घबराई हुई क्यों हो? बुढ़िया ने कहा बेटा पर साल छत खूब टपकी थी। सोचा था बरसात के बाद छत पलटवा लेंगे नहीं पलटवा पाई। वह बोला! दादी टपका से डरती हो?अरे बेटा तुम क्या जानो मुझे इतना शेर का डर नहीं जितना टपके का पीछे चौपायों के घर में छप्पर के नीचे शेर बुढ़िया की बातों को सुन रहा था। शेर बुढिया के कमरे के ठीक पीछे खड़ा था। कमरे की पटान की कड़ियां दीवार के आर-पार थी उन्हीं खाली जगह से आवाज शेर तक पहुंच रही थी। शेर बुढ़िया की बात सुनकर हैरान था , कि टपका ऐसा कोई जीव है जो मुझसे भी अधिक ताकतवर है ? अब तक तो मैं अपने को ही सबसे शक्तिशाली जानवर मानता था। इस कहानी में बुढ़िया की बात सुनकर शेर भई यही समझता है कि इतना डर उसका नहीं शायद जितना टपके का है।
किसका काम
तुम गीत-गाने, किस्सा-कहानी को सुनाने के अलावा फ़िल्में भी देखते होगे। अब तुम पता करो कि-
लोकगीतों और लोककथाओं को कौन-कौन लोग बनाते और गाते हैं?
लोकगीतों को बनाने वाले ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग ही होते हैं। लोककथाओं में इन लोगों की जीवन संस्कृति झलकती है। लेकिन मौजूदा दौर में लोककथाओं का समावेश शास्त्रीय संगीत में होने लगा है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत देश के कई गावों में आज भी लोककथाओ का अस्तित्व मौजूद है। लोकगीत गाने वाले वाले कलाकार उनके उनके स्थानीय इलाकों में भी काफी लोकप्रिय होते हैं।
किसका काम
तुम गीत-गाने, किस्सा-कहानी को सुनाने के अलावा फ़िल्में भी देखते होगे। अब तुम पता करो कि-
क्या लोककथाओं पर भी नाटक या सिनेमा बना है?
कुछ के नाम बताओ। ऊपर के काम में तुम बड़ों से भी मदद ले सकते हो।
हां लोककाथाओ पर भी नाटक और सिनेमा बन चुका है। इसमें नागिन, पहेली और ब्रिणा जैसी तमाम फिल्मों के नाम शामिल हैं। लोककथाओं के माध्यम से कलाकार अपनी संस्कृति की वास्तविकता को बयान करते हैं। इनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि हिंदी सिनेमा जगत में इन पर कई फिल्में भी बनाई जा चुकी हैं। कई निर्देशक लोककथाओं के अस्तित्व को बचाने के लिए इन पर आज भी काम कर रहे हैं।
अपनी भाषा
नीचे लिखे वाक्यों को अपने ढंग से सार्थक रूप में तुम जिस तरह भी लिख सकते हो वैसे लिखो।
क) उसने बादलों को जी भर निहारा।
ख) वर्षा की कोई आशा नहीं बँध रही थी।
ग) गोमा ने फिर हिम्मत बटोरी।
घ) उसने घर की राह पकड़ ली।
ङ) वर्षा बरसाना तुम्हारे हाथ में नहीं है।
क) वर्षा के बादलों को देखकर उसका मन मोहित हो उठा|
ख) बारिश होने के कोई आसार नहीं थे।
ग) गोमा ने अपने खेत जोतने का निश्चिय कर लिया।
घ) वह बिना खेत जोते घर की ओर वापस लौट गया।
ड) वर्षा का होना तुम्हारे नहीं बल्कि प्रकृति के हाथ में हैं।
बहुमूल्य सामान
खेती से प्राप्त होने वाले बहुमूल्य सामानों की सूची बनाओ और उस सूची में से जो सामान तुम्हारे प्रदेश की खेती से प्राप्त होता है। उसका भी अलग से उल्लेख करो।
खेती से प्राप्त होने वाले बहुमूल्य सामान की सूची निम्नलिखित हैं।
मेरे प्रदेश में होने वाली खेती से मिलने वाला बहुमूल्य सामान:
मेरा गांव उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में है। जहां खेतीबाड़ी से कई बहुमूल्य चीजें प्राप्त की जाती हैं।