पाठ से
किसान को बादलों का इंतज़ार क्यों रहता है?
वर्षा होने के बाद किसान के खेतों को पानी मिलेगा और उसकी खेती एक बार फिर लहरा उठेगी। इसी वजह से किसान को बादलों का इंतजार रहता है। वर्षा होने से किसान के मन में खेत के बंजर जमीन में परिवर्तित होने का डर भी खत्म हो जाएगा। बादलों से बरसने वाले पानी से उसके खेत की मिट्टी में जान पड़ेगी और उसकी मेहनत से उगाए हुए बीज लहराती फसलों का रूप ले लेंगे।
पाठ से
कवि को वर्षा होने पर किसान की याद क्यों आती है।
अपने खेतों में फसल की समृद्धि के लिए किसान वर्षा का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इसीलिए कवि को वर्षा होने पर किसान की याद आती है। अपने खेतों की जुताई करने के बाद किसान को फसल की सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। वह ईश्वर से प्रार्थना करता है कि इस बार वर्षा समय पर हो और उसके खेतों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके। उसकी आराधना सुनकर ईश्वर बादलों से पानी बरसाते हैं जिससे उसकी खेत-खलियानों में हरियाली आ सके। इन सब चीजों को देखते हुए ही कवि वर्षा होने पर किसान को याद करता है।
पाठ से
कवि ने किसान की तुलना चातक पक्षी से क्यों की है?
जिस प्रकार एक चातक पक्षी अंतिण क्षण तक वर्षा होने की प्रतीक्षा करता है और वर्षा होने के बाद उसे लगता है कि शायद ईश्वर ने उसकी बात सुन ली। ठीक इसी प्रकार किसान भी वर्षा का इंतजार चातक पक्षी की तरह ही करता है| वर्षा होने पर किसान यही सोचता है कि शायद भगवान ने उस पर कृपा करके ही बादलों से पानी बरसाया है। इसी वजह से कवि ने किसान की तुलना चातक पक्षी से की है। इस तुलना के पीछे कारण यह है कि किसान एवं चातक दोनों ही वर्षा का बेसब्री से इंतजार करते हैं|
पाठ से आगे
कवि ने कविता में वर्षा ऋतु का वर्णन किया है। वर्षा ऋतु के बाद कौन-सी ऋतु आती है? उसके बारे में अपना अनुभव बताओ।
इस कविता में वर्षा ऋतु के बारे में वर्णन किया गया है। वर्षा ऋतु के बाद शीत ऋतु का आगमन होता है। इस ऋतु में लोग गर्म कपड़ों से अपने शरीर को ढकने लगते हैं। इसके अलावा खान-पान में ऐसी चीजों का सेवन ज्यादा करने लगते हैं जिनकी तासीर गर्म होती है। इस ऋतु में तापमान कम होने की वजह से मौसम काफी ठंडा रहने लगता है। लोग ऊनी और गर्म कपड़े पहनकर ही बाहर निकलना पसंद करते हैं।
पाठ से आगे
वर्षा ऋतु से पहले लोग क्या-क्या तैयारियाँ करते हैं? उनमें से कुछ लोगों के बारे में जानकारी एकत्र कर सूची बनाओ।
वर्षा ऋतु से पहले लोग अपने घरों की छतों और दीवारों की मरम्मत करवाते हैं जिससे उनके घरों में बारिश का पानी ना आ सके। ऐसे मौसम में बारिश होने पर घरों की छतों से पानी टपकने लगता है और दीवारों में भी सीलन आने लगती हैं। इसके अलावा लोग बाहर निकलने के लिए छाते की व्यवस्था भी कर लेते हैं। गली या सड़कों पर बारिश का पानी न इकट्ठा न हो सके, इसकी व्यवस्था के बारे में भी विचार करने लगते हैं।
पहला दिन
तुम अपनी कक्षा में जब पहले दिन आए थे तो उस दिन क्या-क्या हुआ था? अपनी याद से अपने अनुभव को दस वाक्यों में लिखकर दिखाओ
जब में कक्षा में पहले दिन पहुंचा तो उस दिन निम्नलिखित बातें हुई जो क्रमशः इस प्रकार हैं-
1. कक्षा में दाखिल होते ही मुझे सब अजनबी मिले और मैं काफी देर तक अपनी जगह पर शांत बैठा रहा।
2. कक्षा में अध्यापक के आते ही सब खड़े हो गए और सभी ने सम्मान के साथ मास्टर जी को सुप्रभात कहा।
3. इसके बाद मास्टर जी ने बड़ी विनम्रता के साथ मेरा नाम पूछा और मेरे बारे में कई अहम बातें पूछी।
4. इसके बाद मास्टर जी के कहने पर सभी सहपाठियों ने पुस्तक निकालीं और संबंधित विषय का अध्ययन करने लगे|
5. मास्टर जी की कक्षा समाप्त होने के बाद सहपाठियों के साथ मेरी बातचीत होने लगी और हम एक-दूसरे को अपने बारे में बताने लगे।
6. इसके बाद हमने एक साथ लंच किया और फिर मास्टर जी द्वारा पढ़ाए गए अध्याय के बारे में चर्चा करने लगे।
7. अगली कक्षा शुरू होने से पहले विद्यालय के मैदान में हम थोड़ी देर के लिए खेले और वहां सभी सहपाठियों के साथ अच्छी जान-पहचान हो गई।
8. कक्षा में दोबारा एक नए अध्यापक आए और उन्होंंने भी बड़े स्नेह के साथ मुझसे बातें की। सब मेरी बातों को बड़े ध्यानपूर्वक सुन रहे थे।
9. इसके बाद मास्टर जी ने मुझे किताब खोलकर एक अध्याय खड़े होकर पढ़ने को कहा और मैंने उनकी आज्ञान का पालन करते हुए ठीक वैसा ही किया।
10. मुझे किताब पढ़ते देख मास्टर जी काफी खुश हुए और मुझे शाबाशी भी दी। इसके बाद हमारी आज की कक्षा समाप्त हो गई और मैं अपने सहपाठियों संग घर की तरफ रवाना हो गया।
पहला दिन
तुम चाहो तो ‘पहला दिन’ शीर्षक पर कुछ पंक्तियों की कोई कविता भी लिखकर दिखा सकते हो।
उवो कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना
अपने बाल खुद न काढ़ पाना
पीटी शूज को चाक से चमकाना
वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना
ऐ मेरे स्कूल के पहले दिन मुझे जरा फिर से बुलाना…
वो बड़े नाखुनो को दांतों से चबाना
और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना
वो प्रार्थना के समय ईश्वर से मिलना
फिर कक्षा में गुरुजी की बातें सुनना
ऐ मेरे स्कूल के पहले दिन मुझे जरा फिर से बुलाना…
वो टिन के डिब्बे को फुटबाल बनाना
ठोकर मार मार उसे घर तक ले जाना
साथी के बैठने से पहले बेंच सरकाना
और उसके गिरने पे जोर से खिलखिलाना
ऐ मेरे स्कूल के पहले दिन मुझे जरा फिर से बुलाना…
सोचो-समझो और बताओ
क्या होगा-
अगर वर्षा बिलकुल ही न हो।
अगर वर्षा न हो तो किसान के हरे-भरे खेत बंजर भूमि में तब्दील हो जाएंगे। नदी नालों और झरनों की बजाए चारों ओर सूखा पड़ जाएगा। धरती का तल सूखने लगेगा। समुद्र और नदियों का जल स्तर गिरने लगेगा। पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यदि बादलों से पानी नहीं बरसेगा तो निश्चित ही इस सृष्टि का अंत हो जाएगा। यदि वर्षा न हो तो किसान को खेतों के लिए पानी भी नहीं मिल सकेगा और अगर खेती ही नहीं होगी तो हमें खाने के लिए सब्जियां और फल नहीं मिल सकेंगे।
सोचो-समझो और बताओ
क्या होगा-
अगर वर्षा बहुत अधिक हो।
अत्यधिक वर्षा होना भी मानव जीवन के लिए अच्छा नहीं है। अत्यधिक वर्षा होने से समुद्र और नदियों का जलस्तर बढ़ जाएगा जिससे बाढ़ और सुनामी जैसे संकट पैदा होने के आसार पैदा हो जाएंगे। बाढ़ आने से किसान की फसलें और खेत-खलियान बर्बाद हो जाएंगे। अत्यधिक वर्षा होने से जान-माल का भी काफी नुकसन होगा। इसलिए मौसम विशेषज्ञ भी कहते हैं कि वर्षा नियमित रूप से हो तो ही बेहतर होगा
सोचो-समझो और बताओ
क्या होगा-
अगर वर्षा बहुत ही कम हो।
वर्षा का बहुत कम होना भी अच्छा नहीं है। इस स्थिति में मौसम काफी गर्म और शुष्क हो जाएगा। बादलों से पानी कम बरसने पर खेत-खलियान सूखे रह जाएंगे और फसलें मुरझा जाएंगी। इसके अलावा नदी और तालाब भी धीर-धीरे सूखने लगेंगे। धरती पर पानी की कमी होने की वजह से लोगों को समस्याएं होने लगेंगी। वर्षा का पानी कम होने की वजह से हमारे वनों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। अतः पृथ्वी पर सभी क्रियाएँ नियमित रूप से चलते रहने के लिए वर्षा का संतुलित एवं नियमित तौर पर होना आवश्यक है|
सोचो-समझो और बताओ
क्या होगा-
वर्षा हो मगर आँधी-तूफ़ान के साथ हो।
वर्षा का आंधी-तूफान के साथ होना तो और भी खतरनाक है। इस स्थिति में किसान की फसलें उजड़ जाएंगी। उसकी पूरी मेहनत आंधी से तहस-नहस हो जाएगी। आंधी तूफान से न सिर्फ किसान की खेती बल्कि पक्के मकानों में रहने वाले इंसान को भी बड़ा खतरा होता है। अंधी तूफ़ान के जोर से बड़ी-बड़ी इमारतें ढह जाती है। इसके अलावा वनों में खड़े वृक्षों के भी टूटने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
सोचो-समझो और बताओ
क्या होगा-
वर्षा हो मगर तुम्हारे स्कूल में छुट्टियाँ हों।
वर्षा के दिनों में स्कूल की छुट्टियां होने का भी अपना अलग ही मजा है। ऐसे मौसम में हम दोस्तों के साथ बारिश की बूंदों का खूब आनंद लेंगे। इसके अलावा मौसम का आनंद लेने के लिए कहीं सैर के लिए भी जा सकते हैं। हालांकि इस बीच अपने स्वास्थ का भी पूरा ध्यान रखना होगा। घर में मां के हाथ का बना हलवा और पकौड़े बरसात के इस मौसम में अलग ही स्वाद देते हैं। बारिश के दिनों में स्कूल की छुट्टियों के दिन सबसे यादगार दिनों में से एक होते हैं।
कल्पना की बात
कवि अपनी कल्पना से शब्दों के हेर-फेर द्वारा कुछ चीज़ो के बारे में ऐसी बातें कह देता है, जिसे पढ़कर बहुत अच्छा लगता है। तुम भी अपनी कल्पना से किसी चीज के बारे में जैसी भी बात बताना चाहो, बता सकते हो। हाँ, ध्यान रहे कि उन बातों से किसी को कोई नुकसान न हो। शब्दों के फेर-बदल में तुम पूरी तरह से स्वतंत्र हो।
मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में वो दिन भी शामिल हैं जब मैं पहली बार अपने गांव गया था। हमारा पूरा परिवार शहर में ही रहता है। शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी से समय निकालकर पहली बार जब मैं अपने परिवार के साथ गांव गया तो वहां का सुन्दर नजारा मैं आज तक नहीं भूल पाया। चारों ओर हरे-भरे खेत। खेतों से महकती मि्टटी की खुशबू और देसी खान-पान। पेड़ों की शाखाओं पर लटकते फल और रंगबिरंगे फूल। बागों में उड़ती तितलियां और कच्ची सड़कों पर बैलगाड़ी का सफर। लोगों की जबान पर शब्दों की मिठास और व्यवहार में ढेर सारा सम्मान आज भी मुझे गांव की तरफ रुख करने को मजबूर कर देता है। गांव के वो यादगार पल मैं शायद ही कभी भूल सकूं।
तुम्हारा कवि और सबकी कविता
तुमने इस कविता मे एक कवि, जिसने इस कविता को लिखा है, उसके बारे में जाना और इसी कविता में एक और कवि कालिदास के बारे में भी जाना। अब तुम बताओ-
क) तुम्हारे प्रदेश और तुम्हारी मातृभाषा में तुम्हारी पसंद के कवि कौन-कौन हैं?
ख) उनमें से किसी एक कवि की कोई सुंदर-सी कविता, जो तुम्हें पसंद हो, को हिंदी में अनुवाद
कर अपने साथियों को दिखाओ।
क) मैं उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखता हूं और मेरी मातृभाषा में पसंदीदा कवि मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, सूर्यकांत त्रिपाठी,सूरदास रामधारी सिंह दिनकर और सुमित्रानंदन पंत हैं।
ख) जयशंकर प्रसाद की 'झरना’ नामक कविता काफी पसंद है।
उषा का प्राची में अभ्यास,
सरोरुह का सर बीच विकास॥
कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध?
गगन मंडल में अरुण विलास॥
रहे रजनी मे कहाँ मिलिन्द?
सरोवर बीच खिला अरविन्द।
कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध?
मधुर मधुमय मोहन मकरन्द॥
प्रफुल्लित मानस बीच सरोज,
मलय से अनिल चला कर खोज।
कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध?
वही परिमल जो मिलता रोज॥
राग से अरुण घुला मकरन्द।
मिला परिमल से जो सानन्द।
वही परिचय, था वह सम्बन्ध
'प्रेम का मेरा तेरा छन्द॥
नमूने के अनुसार
नीचे शब्दों के बदलते रूप को दर्शाने वाला नमूना दिया गया है। उसे देखो और अपनी सुविधानुसार तुम भी दिए गए शब्दों को बदलो।
नमूना- गिरना-गिराना-गिरवाना