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Anyaay Ke Khilaaaf

Class 8th Hindi दूर्वा भाग 3 CBSE Solution
Exercise
  1. आंध्र के घने जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के बीच अपना हक जमाने के लिए अंग्रेजों ने क्या…
  2. श्री राम राजू कौन था? उसने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण क्यों किया? पाठ से…
  3. अंग्रेजों से लड़ने के लिए कोया आदिवासी क्या-क्या करते थे? पाठ से
  4. कोया आदिवासियों के विद्रोह को स्वतंत्रता संग्राम क्यों कहना चाहिए? पाठ से…
  5. गाँधी जी की बात “भारत के लोगों को अंग्रेज सरकार का सहयोग नहीं करना चाहिए और उनका काम बंद…
  6. देशभक्तों के नाम तुमने इस पाठ में भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले दो व्यक्तियों के…
  7. “दो दिन में जंगल में सड़क बनाने का काम शुरू होगा। तुम सब लोगों को इस काम पर पहुँचना है।…
  8. “काम करेंगे तो बदले मे क्या मिलेगा।” ऊपर के कथनों में पहला कथन तहसीलदार बेस्टीयन का है जो…
  9. पता करो 1) सड़क बनाने में किन-किन सामानों की ज़रूरत होती है? पता करके लिखो 2) इन प्रदेशों…
  10. राजू हाई स्कूल तक पढ़ाई करके के बाद जंगलों मे रहने क्यों आया होगा? तुम्हारे विचार से…
  11. राजू के शहीद होने का आदिवासियों के आंदोलन पर क्या असर हुआ होगा? तुम्हारे विचार से…
  12. खोजबीन “लोगों की बंदूकों के कारतूस खत्म हो गए।” ऊपर का यह वाक्य इसी पाठ का है जिसमें…
  13. मुहावरे नीचे लिखे वाक्यों में मुहावरों का प्रयोग किया गया है। इन्हीं मुहावरों का प्रयोग…
  14. ‘मन और मन’ क) आदिवासियों के साथ मन-मर्जी नहीं की जा सकती। उसके पास कई मन गेहूँ था। ऊपर के…
  15. वचन बदलो क) सिपाही ने राजू पर गोला चलाई। ख) आदिवासी की हिम्मत जवाब दे गई। ग) आगे से यह…
  16. समझ कर रूप बदलो भाववाचक संज्ञा से विशेषण बनाओ घमंड हिम्मत साहस स्वार्थ अत्याचार विद्रोह…

Exercise
Question 1.

पाठ से

आंध्र के घने जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के बीच अपना हक जमाने के लिए अंग्रेजों ने क्या किया?


Answer:

आंध्र के घने जंगलों में रहने वाले आदिवासिायों को कोया आदिवासी कहते थे। वो वहां खेती करके रोजी रोटी जुटाया करते थे। जबसे अंग्रेजों ने उनके बीच आकर अपना हक जमाया, उनका जीवन मुश्किल हो गया था। अंग्रेजों को अहसास हो गया कि आदिवासियों को किसी युद्ध में हराना तो बहुत मुश्किल काम है| फिर अंग्रेजों ने आदिवासियों पर अपना हक़ जामने के लिए एक तरीका खोजा| अंग्रेजों ने जंगल में राशन लाने ले जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए और आदिवासियों को राशन के लिए तरसा दिया| उनका सामान प्राप्त करना एवं सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना मुश्किल हो गया|



Question 2.

पाठ से

श्री राम राजू कौन था? उसने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण क्यों किया?


Answer:

श्रीराम राजू एक साधू था जो उन दिनों जंगल में आकर रहने लगा था। श्रीराम राजू ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की थी। इसके बाद पढ़ाई छोड़ 18 साल की उम्र में वे साधु बन गए| श्रीराम राजू जंगलों में रहने वाले आदिवासियों से अच्छी तरह हिल मिल गए थे| लोग उन्हें अपने कष्टों के बारे में बताने लगे। श्रीराम राजू ने आदिवासियों को अंग्रेजों से लड़ने की हिम्मत दी। अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह में आदिवासियों को काफी दुख सहना पड़ा। उनका हुक्का पानी बंद कर दिया गया। लोग भूखे मरने लगे। तब श्रीराम राजू ने आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार को देखकर अंग्रेजों के सामने अपना आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें गोली मार दी।



Question 3.

पाठ से

अंग्रेजों से लड़ने के लिए कोया आदिवासी क्या-क्या करते थे?


Answer:

श्रीराम राजू के समझाने पर कोया आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। भद्राचलम से परवथीपुरम तक पूरे इलाके आदिवासी अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए कूद पड़े। जब संकरी पगडंडियों से सेना की टुकड़ी गुजर रही होती तो जंगलों में छिपे आदिवासी अंग्रेज सारजेंट और कमांडर पर अचूक निशाना लगाते। राजू ने एक कोने से दूसरे कोने तक गुप्त संदेश पहुंचाने के लिए जाल बिछा रखा था। जंगलों में आदिवासी बड़ी तेजी से छिपते फिरते। गांव के लोग भी उनका सहयोग करते और उन्हें छिपने के लिए जगह देते। वे अंग्रेजों को मारकर उनके हथियार छीन लेते थे।



Question 4.

पाठ से

कोया आदिवासियों के विद्रोह को स्वतंत्रता संग्राम क्यों कहना चाहिए?


Answer:

कोया आदिवासी थोड़े और कमजोर थे। जब श्रीराम राजू ने उनमें हिम्मत भरी तो उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। आदिवासी ऐसी रणनीति बनाते थे कि अंग्रेज दांतों तले अंगुली दबा लेते थे। आदिवासियों को आता देख अंग्रेज पुलिस स्टेशन छोड़कर भाग जाते थे। अंग्रेजों में आदिवासियों का भय हो गया था। वो समझ गए थे कि आदिवासियों को हिलाना आसान नहीं है। कोय आदिवासी उन शुरूआती लोगों में से एक हैं जिन्होंने अंग्रेजों के द्वारा किये जा रहे जो जुल्म के खिलाफ आजादी की लड़ाई एवं क्रान्ति की शुरुआत की| इस वजह से आदिवायों के विद्रोह को स्वतंत्रता संग्राम कहना बिल्कुल ठीक है।



Question 5.

गाँधी जी की बात

“भारत के लोगों को अंग्रेज सरकार का सहयोग नहीं करना चाहिए और उनका काम बंद कर देना चाहिए। अगर कोई अंग्रेज़ अन्याय करेगा तो हम अन्याय सहने से इंकार करेंगे।

उपर श्रीराम राजू द्वारा आदिवासियों से गाँधी जी की कही हुई बात का उल्लेख हुआ है। गाँधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए बहुत सारी बातें कही थी। यह सब तुम्हें गाँधी जी पर लिखी गई किताबों, फ़िल्मों और अन्य जगहों पर मिल सकता है। तुम उनकी कही हुई बातों में जो बहुत महत्वपूर्ण समझो उसको अपने साथियों को बताओ।


Answer:

गांधीजी के द्वारा कही गयी कुछ महत्वपूर्ण बातें-

1. व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है| वह जो सोचता है, वह बन जाता है|


कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है| क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है| ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है| यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है|



Question 6.

देशभक्तों के नाम

तुमने इस पाठ में भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले दो व्यक्तियों के नामों को जाना। एक गाँधी जी और दूसरा श्रीराम राजू। पता करो कि भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वालों में तुम्हारे प्रदेश से कौन-कौन व्यक्ति थे। उनमें से किसी एक के बारे में कक्षा में चर्चा करो।


Answer:

गांधीजी और श्रीराम राजू के अलावा भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने में और भी कई स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया था। इनके नाम निम्नलिखित हैं।

भगत सिंह,


सुखदेव,


राजगुरु,


सुभाष चंद्र बोस,


चंद्रशेखर आजाद,


बाल गंगाधर तिलक,


विनय बसु,


योगेन्द्र शुक्ल,


श्यामजी कृष्ण वर्मा,


राम प्रसाद बिस्मिल,


तोताराम सनाढ्य,


पंडित तेजसिंह तिवारी,


लाल बहादुर शास्त्री आदि।


सुभाष चंद्र बोस- भारत को आजादी दिलाने में नेता जी सुभाष चंद्र बोस का बहुत बड़ा हाथ था। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया था। उन्होंने ही जय हिंद का नारा दिया था जो अब राष्ट्रीय नारा बन गया है। इसके अलावा बोस ने तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था। भारत को आजाद कराने में नेताजी ने जापान, जर्मनी, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड से सहायता ली थी। 1944 में नेताजी की आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों पर आक्रमण किया था। जिससे कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों की कैद से आजाद भी करा लिया गया था| ये युद्ध 4 अप्रैल से 22 जून तक लड़ा गया था। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। देशभर में 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस मनाया जाता है।



Question 7.

क्या ठीक होगा?

“दो दिन में जंगल में सड़क बनाने का काम शुरू होगा। तुम सब लोगों को इस काम पर पहुँचना है। अगर नहीं पहुँचे तो ठीक नहीं होगा।”


Answer:

आदिवासियों पर अपना हक जमाने के लिए अंग्रेजों ने एक योजना बनाई। इस योजना के अनुसार, अंग्रेज जंगलों ओर पहाड़ों को चीरती हुई एक सड़क बनाना चाहते थे। सड़क के निर्माण कार्य के लिए अंग्रेजों ने आदिवासियों को मजदूरों के रूप में चुना। तहसीलदार बेस्टीयन क्रूर किस्म का था। वह आदिवासियों के गांव में गया और जोर से बोला, दो दिन के अंदर संड़क बनाने का काम शुरू होगा। तुम सभी को इस काम पर पहुंचना है। अगर समय पर नहीं पहुंचे तो अच्छा नहीं होगा। अंग्रेज सरकार का हुक्म था तो इसे कौन काट सकता था। फिर किसी एक ने हिम्मत करके पूछा कि हमें इस काम के बदले क्या मिलेगा। इस सवाल पर बेस्टीयन का चेहरा गुस्से में लाल हो गया। वो बोला, मिलेगा क्या। बस हुक्म का पालन करना है। दोबारा ये सवाल मत पूछ लेना।



Question 8.

क्या ठीक होगा?

“काम करेंगे तो बदले मे क्या मिलेगा।”

ऊपर के कथनों में पहला कथन तहसीलदार बेस्टीयन का है जो आदिवासियों के गाँवों में जमकर चिल्ला-चिल्लाकर बोला था और दूसरा कथन आदिवासियों मे से किसी का है जो तहसीलदार से पूछना चाहा था। अब तुम सोचकर बताओ कि-

क) तुम्हारे विचार से बेस्टियन का कथन ठीक होगा?

ख) आदिवासियों में से किसी के द्वारा कहा गया वह कथन कैसा है? तुम्हारे से क्या ठीक होगा?


Answer:

जब तहसीलदार बेस्टीयन ने आदिवासियों को जोर से कहा, दो दिन के अंदर संड़क बनाने का काम शुरू होगा। तुम सभी को इस काम पर पहुंचना है। अगर समय पर नहीं पहुंचे तो अच्छा नहीं होगा। अंग्रेज सरकार का हुक्म था तो इसे कौन काट सकता था। फिर किसी एक ने हिम्मत करके पूछा कि हमें इस काम के बदले क्या मिलेगा। इस सवाल पर बेस्टीयन का चेहरा गुस्से में लाल हो गया। वो बोला, मिलेगा क्या। बस हुक्म का पालन करना है। दोबारा ये सवाल मत पूछ लेना। आदिवासी सहम गए। चुपचाप काम पर जाने लगे। वे अपमान से अंदर ही अंदर घुट रहे थे लेकिन बेबस थे। कुछ कर नहीं सकते थे।



Question 9.

पता करो

1) सड़क बनाने में किन-किन सामानों की ज़रूरत होती है? पता करके लिखो

2) इन प्रदेशों में कौन-कौन से आदिवासी रहते हैं? पता करके लिखो?

क) झारखंड

ख) छत्तीसगढ़

ग) उड़ीसा

घ) मिजोरम

ङ) अंडमान निकोबार द्वीप समूह


Answer:

1) सड़क बनाने के लिए आवश्यक पदार्थ- मिट्टी, बजरी, टूटे पत्थर की रोड़ी, कोलतार, बिटुमेन आदि हैं|


2)




Question 10.

तुम्हारे विचार से

राजू हाई स्कूल तक पढ़ाई करके के बाद जंगलों मे रहने क्यों आया होगा?


Answer:

राजू ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की थी। इसके बाद वो जंगलों में आकर रहने लगे थे। राजू का मन घर परिवार में नहीं लगता होगा। उसे अपने देश को आजाद कराने की चिंता होगी अथवा वह साधू संतों से प्रभावित रहा होगा और इसी कारण से उन्होंने 18 वर्ष की छोटी उम्र में ही सन्यास ले लिया और साधू बनकर वे जंगलों में रहने के लिए आ गए|



Question 11.

तुम्हारे विचार से

राजू के शहीद होने का आदिवासियों के आंदोलन पर क्या असर हुआ होगा?


Answer:

राजू ने आदिवासियों को कष्टों से छुड़ाने के लिए अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। अंग्रेजों ने तुरंत उन्हें गोली मार दी थी। इसके बाद आदिवासियों का आंदोलन कुशल नेतृत्व के अभाव में ठंडा पद गया और फिर अंग्रेजों ने आदिवासियों पर अपनी मर्जी चलानी शुरु कर दी और अत्याचार का सिलसिला पुनः शुरु हो गया|



Question 12.

खोजबीन

“लोगों की बंदूकों के कारतूस खत्म हो गए।”

ऊपर का यह वाक्य इसी पाठ का है जिसमें आदिवासियों के द्वारा बंदूकों व कारतूसो के प्रयोग का भी प्रमाण मिलता है। इस पाठ की खोज़बीन करो तो पाओगे कि आदिवासी “पुलिस चौंकियों या सेना पर हमला कर दते थे और उनके अस्त्र-शस्त्र लूटकर भाग जाते थे।” अब तुम ज़रूर समझ गए होंगे कि आदिवासियों ने बंदूकों व कारतूसों का प्रयोग कैसे किया। ‘कारतूसों’ ने सन् 1857 में स्वतंत्रता की चिंगारी को फैलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। समूह बनाकर इसके बारे में खोज़बीन करो। कक्षा के प्रत्येक समूह में से एक प्रतिनिथि सबको अपनी खोज़बीन के बारे में बताएगा।


Answer:

विद्यार्थी स्वयं से अथवा अपने अध्यापक की मदद से कारतूस के बारे में खोजबीन करेंगे और फिर प्राप्त जानकारी को एक दूसरे के साथ कक्षा में साझा करेंगे|



Question 13.

मुहावरे

नीचे लिखे वाक्यों में मुहावरों का प्रयोग किया गया है। इन्हीं मुहावरों का प्रयोग करते हुए तुम कुछ नए वाक्य बनाओ।

क) एक सिपाही ने उसका काम तमाम कर दिया।

ख) आदिवासियों की हिम्मत जवाब देने लगी।

ग) अंग्रेज़ों ने अपने दांतों तले उँगली दबा ली।

घ) किसी को कानो-कान खबर न हो।

ङ) अंग्रेज़ सरकार के छक्के छूट गए।

च) अंग्रजों के होश उड़ गए।

छ) भारतीय सैनिकों का बालबाँका न होने पाए।


Answer:

क) काम तमाम- रानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध के मैदान में अंग्रेजों का काम तमाम कर दिया था।


ख) हिम्मत जवाब देना- उस बुजुर्ग व्यक्ति ने इतना काम किया कि उसकी हिम्मत जवाब दे गई।


ग) दांतों तले अंगुली दबाना- आदिवासियों के बुलंद हौसलों को देख अंग्रेजों ने दांतों तले अंगुली दबा ली थी।


घ) कानों-कान खबर ना होना- चोर घर में ऐसे आए कि किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई।


ङ) छक्के छुटाना- भगत सिंह ने कम उम्र में ही अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे।


च) होश उड़ाना- विराट कोहली की बल्लेबाजी देख दर्शकों के होश उड़ गए।


छ) बालबांका ना होना- लक्ष्मीबाई ने अपनी झांसी की ऐसे रक्षा की अंग्रेज उसका बाल भी बांका ना कर पाए।



Question 14.

‘मन और मन’

क) आदिवासियों के साथ मन-मर्जी नहीं की जा सकती।

उसके पास कई मन गेहूँ था।

ऊपर के पहले वाक्य में ‘मन’ का मतलब है- दिल, हृदय

दूसरें वाक्य में ‘मन’ नाप तोल का एक शब्द है। इस तरह मन के दो अर्थ हैं। ऐसे शब्दों को अनेकार्थक शब्द कहते हैं। नीचे दिए गए शब्दों को पढ़ो और वाक्य बनाओ।

सोना - सो जाना(नींद), स्वर्ण, एक धातु

उत्तर - एक दिशा, जवाब

हार - पराजय, हार जाना माला


Answer:

क. सोना


सो जाना- रात को जल्दी सोने से सुबह जल्दी आंख खुल जाती है।


स्वर्ण- स्वर्ण मंदिर बेहद खूबसूरत बना है।


ख. उत्तर


एक दिशा- उत्तर दिशा में हवा चल रही है।


जवाब- मोहन का जवाब देना टीचर को अच्छा नहीं लगा।


घ. हार


पराजय- अंग्रेजों को हार का सामना करना पड़ा।


माला- सीताजी ने श्रीराम को वरमाला पहनाई।



Question 15.

वचन बदलो

क) सिपाही ने राजू पर गोला चलाई।

ख) आदिवासी की हिम्मत जवाब दे गई।

ग) आगे से यह सवाल मत पूछना


Answer:

क) सिपाहियों ने राजू पर गोलियां चलाईं।


ख) आदिवासियों की हिम्मत जवाब दे गई।


ग) आगे से ये सवाल मत पूछना।



Question 16.

समझ कर रूप बदलो

भाववाचक संज्ञा से विशेषण बनाओ

घमंड

हिम्मत

साहस

स्वार्थ

अत्याचार

विद्रोह


Answer:

घमंड - घमंडी


हिम्मत - हिम्मती


साहस - साहसी


स्वार्थ - स्वार्थी


अत्याचार - अत्याचारी


विद्रोह - विद्रोही