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Neelkanth

Class 7th Hindi वसंत भाग 2 CBSE Solution
Nibandh Se
  1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
  2. जाली के बड़े घर में पहुंचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?…
  3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?
  4. ‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’- वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?…
  5. वसंत ऋतू में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?…
  6. जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों…
  7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को सांप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की…
Nibandh Se Aage
  1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और…
  2. वर्षा ऋतू में जब आकाश में बादल घिर आतें हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है- यह…
  3. पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढि़ए जो वर्षा ऋतू और मोर के नाचने से…
Anuman Aur Kalpana
  1. निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढी हैं- ‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की…
  2. नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।
Bhasha Ki Baat
  1. ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य…
  2. विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ…
Kuch Karne Ko
  1. चयनित व्यक्ति/ पशु/प्क्षी की खा़स बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।…

Nibandh Se
Question 1.

मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?


Answer:

मोर की गर्दन नीली और सुदंर चमकदार थी इसलिए मोर का नाम नीलकंठ रखा गया। नीलकंठ के साथ छाया के समान साथ में रहने के कारण मोरनी का नाम राधा रखा गया।



Question 2.

जाली के बड़े घर में पहुंचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?


Answer:

कमरे से जाली के घर में पहुंचने पर चिड़ियाखाने में सभी पक्षियों के बीच हलचल मच गई। मोर के बच्चों को देखकर लक्का कबूतर उनके चारों ओर घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं करने लगा। खरगोश शांति से बैठकर उनका निरीक्षण करने लगा। जबकि तोता एक आंख बंद करे उन्हें देख रहा था अथवा कहें तो उनका परिक्षण कर रहा था|



Question 3.

लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?


Answer:

लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत भाती थीं-

(1) पंखों को फैलाकर खड़े हो जाना जैसे कि बस नृत्य करने जा रहा हो।


(2) हथेली पर रखे चने को बड़ी ही कोमलता से धीरे-धीरे उठाकर खाना|


(3) बादलों की गड़गड़ाहट पर नृत्य करना और बारिश की बूंदों की रिमझिमाहट तेज होने पर अपने नृत्य का वेग बढ़ाना।



Question 4.

‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’- वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?


Answer:

यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत करता है, जब लेखिका बड़े मिया की चिड़ियाघर वाली दुकान पर गई। वहां टूटे पंजे वाली मोरनी को देखकर उसका दिल पसीज गया। वह दुकानदार के कहने पर उसे घर ले आई। इस मोरनी का नाम लेखिका ने कुब्जा रखा था। कुब्जा को नीलकंठ और राधा का साथ बिल्कुल भी पसंद नहीं था। कुब्जा के आने से नीलकंठ और राधा की जिंदगी में उथल-पुथल मच गई। यहां तक कि आखिर में नीलकंठ की मौत भी हो गई।



Question 5.

वसंत ऋतू में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?


Answer:

नीलकंठ को वसंत ऋतु बहुत पसंद होती है। चारों तरफ खिले हुए फूल, पेड़ों पर नई-नई पत्तियां, आम के पेड़ों पर मंजरियां उसके मन को खुश कर देती थीं| इस सुनहरे दृश्य को देखकर नीलकंठ का मन जालीघर से बाहर आने के लिए बेचैन हो जाता था। इस प्रकार के सुहावने मौसम और वातावरण में उसका जाली में बंद रहना असहनीय हो जाता था और वह बाहर आने के लिए तड़पता था|



Question 6.

जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?


Answer:

कुब्जा का स्वभाव जालीघर में बाकी रहने वाले लोगों से बहुत अलग था। उसका स्वभाव उसके नाम की ही तरह था| उसके मन में लोगों के प्रति ईर्ष्या का भाव था। वह राधा और नीलकंठ को एक साथ देखती थी तो उसे जलन होती थी। वह चाहती थी कि नीलकंठ के साथ राधा की जगह वह हो। अपने ईर्ष्यालु स्वभाव और द्वेष-भावना के कारण वह अन्य जीव-जंतुओं की दोस्त नहीं बन पाई।



Question 7.

नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को सांप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।


Answer:

जब नीलकंठ ने खरगोश की चीख सुनी तो वह जल्दी से सांप के पास आया। नीलकंठ सांप के फन को पंजों से दबाकर चोंच से प्रहार करने लगा। सांप की पकड़ ढीली होते ही खरगोश शावक बाहर आ गया।

इस घटना से नीलकंठ के स्वभाव की निम्न विशेषताओं का पता चालता है-


(1) नीलकंठ स्वभाव से बहुत दयालु था। जब उसने देखा कि सांप खरगोश के आधे शरीर को मुंह में दबाए हुए है तो उसे बहुत तकलीफ हुई। तब उसने खरगोश को बचाया और सांप के टुकड़े कर डाले।


(2) वह सभी पक्षियों के साथ मिलजुकर रहना पसंद करता था।


(3) वह सभी जीव-जंतुओं को सुरक्षित रखना चाहता था। इसी वजह से वह उन्हें संरक्षण भी देता था।




Nibandh Se Aage
Question 1.

यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढि़ए।


Answer:

शब्दों के माध्यम से किसी जीव, जंतु या पक्षी के आकार-प्रकार, रूपरंग, स्वभाव, एवं उनके चरित्र की अन्य विशेषताओं आदि का इस प्रकार चित्रण (वर्णन) करना कि उसकी तस्वीर हमारी आँखों के सामने साकार हो उठे, उसे रेखाचित्र कहते हैं।

लेखिका द्वारा लिखित एक अन्य रेखाचित्र ‘गिल्लू’, ‘निक्की’ को छात्र पुस्तकालय से लेकर पढ़ें|



Question 2.

वर्षा ऋतू में जब आकाश में बादल घिर आतें हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है- यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।


Answer:

आज स्कूल की तरफ से हम लोगों को चिड़ियाघर ले जाया गया। जब हम लोग गए थे तब तो धूप निकली हुई थी। अचानक थोड़ी देर बाद बदली छा गई और बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई। हम लोग फिर भी रुके नहीं और चिड़ियाघर में आगे की ओर बढ़ते रहे। जैसे ही हम लोग मोर के बाड़े (जिसमें मोर रहता है) में पहुंचे तो मोर इधर-उधर टहलते हुए दिखाई दिए। मौसम और खराब हुआ और आकाश में चारों तरफ बादल घिर आए। तेज बारिश भी शुरू हो गई। तभी जालीघर में बंद मोरों ने अपने पंख फैलाए और नृत्य करने लगे। मोरों को ऐसा देख बहुत अच्छा लगा। मोर खुशी से नाच रहे थे। उन्हें इस तरह देख मन को शांति मिली। यह दृश्य सही में मोहक था।



Question 3.

पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढि़ए जो वर्षा ऋतू और मोर के नाचने से संबंधित हों।


Answer:

कहानी- मैं और जंगल

मेरा हमेशा से सपना था कि मैं जंगल की सैर पर दोस्तों के साथ जाऊं। एक बार मौका भी मिला। ऑफिस की तरफ से जिम कॉर्बेट पार्क गए। दोस्तों के साथ बस का लंबा सफर मानों आंख झपकते ही खत्म हो गया। बस में दोस्तों के साथ गाना गाते, डांस करते और जिम कॉर्बेट पहुंचने की उत्सुकता बहुत थी। देर रात करीब 11 बजे के आसपास हम लोग वहां पहुंचे। ऑफिस की तरफ से पूरी ट्रिप थी तो सारा इंतजाम भी उन्हीं का था। सबको कमरे दिए गए और डिनर करके सो गए। सोते-सोते रात के 1 बज गए। सुबह जल्दी आंख खुल गई और हम लोग जिम कॉर्बेट जाने के लिए तैयार हो गए। जिम कॉर्बेट पार्क के अंदर जाने के लिए जीप की। मौसम बड़ा ही सुहावना था क्योंकि वर्षा ऋतु थी। हालांकि इस मौसम में पहाड़ी इलाकों पर जाना खतरों से कम नहीं होता। हम लोगों ने जीप से जिम कॉर्बेट पार्क के अंदर धीरे-धीरे जाना शुरू किया। शुरुआत में तो कोई जानवर हम लोगों को नजर नहीं आया। जैसे-जैसे अंदर गए कुछ भी दिखाई न देने पर मनोबल माननों टूटता गया। तभी मेरे एक दोस्त ने कहा देखो मोर है वहां। सब ने कहां शांत रहना वरना वो डर जाएंगे। हम लोग बिल्कुल शांत रहे। जैसे ही थोड़ा पास पहुंचे तो वहां एक मोर नहीं बल्कि मोरों का झुंड था। वह धीरे-धीरे अपने पंख फैला रहे थे। तभी बारिश होने लगी और उन्होंने अपने पूरे पंख फैला लिए, इसके साथ ही नृत्य करना शुरू कर दिया। एक साथ इतने सारे मोरों को ऐसा देख बहुत अच्छा लगा। यह दृश्य आज भी मेरे मन में सुनहरे याद बनकर कैद है।


छात्र पुस्तकालय में जाकर इस प्रकार की अन्य कहानियाँ, कविताएँ एवं गीत पढ़ सकते हैं|




Anuman Aur Kalpana
Question 1.

निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढी हैं- ‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’- इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएं लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयू पंख के समान तरंगित हो उठा।


Answer:

मृतक मोर नीलकंठ को जब लेखिका ने संगम ले जाकर गंगा की बीच धार में प्रवाहित किया तो मोर का शरीर वजनदार होने के कारण पानी में डूब गया होगा। पंख बहुत हल्के होते है इसलिए पंखों की चंद्रिकाएं पानी में फैल गई होंगी। चंद्रिकाओं के फैलने की वजह से ऐसा लग रहा होगा कि गंगा का चौड़ा पाट एक बड़े मोर पंख के समान सभी रंगों से तरंगित हो गया है।



Question 2.

नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।


Answer:

बादलों की गड़गड़ाहट नीलकंठ के मन को खुश कर देती थी। नीलकंठ तुरंत अपने पंखों को फैला लेता था। जैसे-जैसे बादलों के गरजने की आवाज बढ़ती जाती उसके नाचने का वेग बढ़ता जाता। नीलकंठ को ऐसा देख जालीघर में बांध सभी जीव-जंतु बस उसे देखते रह जाते।




Bhasha Ki Baat
Question 1.

‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-

गंध, रंग, फल ज्ञान


Answer:




Question 2.

विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे- क्+अ = क इत्यादि। अ की मात्र के चिह्न (।) से आप परिचित हैं। अ की भांति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्र ही लगती है, जैसे- मंडल+आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए

संधि विग्रह

नील+आभ = ………………………. सिंहासन =……………………….

नव+आगंतुक = ………………………. मेघाच्छन्न = ……………………….


Answer:





Kuch Karne Ko
Question 1.

चयनित व्यक्ति/ पशु/प्क्षी की खा़स बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।


Answer:

चिड़ियों की चहचहाहट सुबह-सुबह बहुच अच्छी लगती है। सुबह का मौसम और चिड़ियों का चहकना मानों दिल को सुकून दे देता है। मैंने तो घर पर कभी भी किसी जीव-जंतु या फिर पशु-पक्षी को नहीं पाला लेकिन मेरी नानी के घर पर कई साल पहले चिड़िया पली हुई थीं। जब भी मैं वहां जाती तो उनके पिंजरे के बाहर बैठकर ज्यादा वक्त बिताती। उनकी भाषा समझने की कोशिश करती। उस पिंजरे में एक या दो नहीं बल्कि 10 चिड़ियां थी। जैसे हम लोग अपने दिन की शुरुआत करते है ठीक वैसे ही चिड़िया अपनी चहचहाहट से दिन की शुरुआत करती है। उनका रहन-सहन भले ही मनुष्यों की तरह न हो लेकिन उनकी एक खासियत थी एकता। मैंने पिंजरे के बाहर से कई बार देखा है कि वह कोई भी काम झुंठ में करती थी। एक साथ बोलना, एक साथ खाना खाना और चुप भी एक साथ होती थी। मुझे उनकी यह आदत बहुत पसंद थी।