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Khanpan Ki Badalti Tasveer

Class 7th Hindi वसंत भाग 2 CBSE Solution
Nibandh Se
  1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या…
  2. खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों हैं?…
  3. खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
Nibandh Se Aage
  1. घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई…
  2. यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका…
  3. छौंक, चावल, कढ़ी इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न…
  4. पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुए तस्वीर का खाका खींचे तो इस प्रकार होगा- सन् साठ का…
  5. मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पांरपरिक भोजन करना चाहते हैं।…
Anuman Aur Kalpana
  1. ‘फास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफ़े-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।…
  2. हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप…
  3. खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट…
Bhasha Ki Baat
  1. खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन…
  2. कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ।…
Kuch Karne Ko
  1. उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य…

Nibandh Se
Question 1.

खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?


Answer:

खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब देश -विदेश के सभी व्यंजनों को खाने में शामिल करने से है| स्थानीय व्यंजनों और पकवानों के साथ अन्य राज्यों/देशों के भी स्वादिष्ट भोजन के बारे में जानना, पकाना और खाना चाहिए। आजकल हर घर में अलग -अलग तरह के स्वादिष्ट भोजन खाने को मिलते हैं। इसी तरह मेरे घर में भी कभी दाल, कभी पूड़ी, कभी सब्जी -चावल, कभी रोटी, कभी भटूरे, कभी चाउमीन, कभी पाश्ता, कभी डोसा और कभी इडली -सांबर आदि व्यंजन परोसे जाते हैं। अब तो पिज्जा और बर्गर का चलन भी बढ़ गया है। इसलिए हम सब कभी -कभी घर से बाहर जाकर इन व्यंजनों के स्वाद का भी मजा लेते हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति विविधता को बढ़ावा देती है|



Question 2.

खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों हैं?


Answer:

खानपान में होने वाले बदलाव के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी होते हैं। फायदों की बात करें तो अब लोगों को एक ही तरह का खाना नहीं खाना पड़ता है। खाने के स्वाद में भी बढ़ोतरी हुई है। हमरें देश-विदेश के भोजन के बारे में जानने को मिलता है। अब लोग कभी पारंपरिक तो कभी फास्ट फूड खाना पसंद करते हैं। पारंपरिक खाने को पकाने में समय लगता है इसलिए अब लोग फास्ट फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं।

खानपान के नुकसान की बात करें तो फास्ट फूड के इस दौर में स्थानीय व्यंजनों का महत्व कम हो गया है। आगरा के पेठों और मथुरा के पेड़ों में अब वो स्वाद नहीं रहा है। चाइनीज और इटैलियन के चक्कर में नई पीढ़ी स्थानीय पकवानों को भूलती जा रही है। भारत खानपान के मामले में बहुत अमीर माना जाता है। इसके बावजूद स्थानीय पकवान बाजारों से गायब होते जा रहे हैं।



Question 3.

खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?


Answer:

खानपान में स्थानीयता का मतलब होता है कि एक ही राज्य या जगह पर खाए या खिलाए जाने वाले व्यंजन। जैसे गुजरात में ढोकला, गाठिया, घेवर, फाफड़ा और खांडवी आदि मशहूर है। वहीं दक्षिण भारत इडली-डोसा, वड़ा-सांभर, रसम आदि के स्थानीय पकवान के लिए मशहूर है। खानपान की इस बदलती संस्कृति से नई पीढ़ी बहुत प्रभावित हुई है। स्थानीय व्यंजन अब सीमित रह गए हैं।




Nibandh Se Aage
Question 1.

घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाजार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?


Answer:

मेरे घर में बड़े ही स्वादिष्ट व्यंजन पकाए जाते हैं। जिसमें अन्य राज्यों और देशों के भी कई स्थानीय पकवान शामिल हैं। जैसे रोटी, सब्जी, दाल, चावल के अलावा कढ़ी, बैंगन का भर्ता, समोसे, चाउमीन, नूडल्स, इडली, सांभर, वड़ा, गाजर का हलवा, पाव भाजी, पाश्ता, हलवा आदि शामिल है।

इसके अलावा कई ऐसे पकवान भी हैं जिन्हें हम हमेशा बाहर से खरीदकर खाना पसंद करते हैं। इसमें जलेबी, दालमोठ, ब्रेड, चिप्स, पिज्जा, बर्गर, वेज रोल और गुझिया आदि शामिल है। इनमें दही—जलेबी और पिज्जा—बर्गर मां -पिता के बचपन से ही घर में आ रही है।



Question 2.

यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए—

उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला



Answer:

वर्गीकरण




Question 3.

छौंक, चावल, कढ़ी

इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।


Answer:

छौंक, चावल और कढ़ी में बहुत अंतर होता है।

छौंक- दाल या सब्जी का स्वाद बढ़ाने के लिए छौंक का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे अक्सर सब्जी को प्याज और टमाटर से छौंका जाता है। वहीं दाल में हींग, जीरे और मिर्च का छौंका लगता है।


चावल- चावल एक फसल है जो धान से बनती है। चावल को उबालने भर से ही ये पक जाता है। उत्तर भारत में धान की खेती सबसे ज्यादा होती है। चावल कई सारे पकवान बनाने में भी काम आता है। जैसे चावल के पापड़, इडली, डोसा आदि।


कढ़ी- भारत के हर राज्य में अलग -अलग तरह से कढ़ी बनाई जाती है। उत्तर भारत में कढ़ी बनाने में दही, हींग, करी पत्ता और बेसन का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है। कढ़ी के साथ चावल खाने की परंपरा काफी पुरानी है। कढ़ी का स्वाद खट्टा और हल्का सा तीखा होता है।



Question 4.

पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुए तस्वीर का खाका खींचे तो इस प्रकार होगा-

सन् साठ का दशक छोले भठूरे

सन् सत्तर का दशक इडली, डोसा

सन् अस्सी का दशक तिब्बती (चीनी) खाना

सन् नब्बे का दशक पीजा, पाव-भाजी

इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।


Answer:




Question 5.

मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पांरपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।


Answer:

व्यंजन-सूची

दाल


चावल


मटर-पनीर


कढ़ी


बैंगन का भर्ता


गाजर का हलवा


पापड़


राजमा


छोले-भटूरे


अचार


दही वड़ा


पालक पनीर




Anuman Aur Kalpana
Question 1.

‘फास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफ़े-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।


Answer:

नई पीढ़ी फास्ट फूड को पारंपरिक खाने से ज्यादा पसंद कर रही है। फास्ट फूड के कई फायदे हैं तो कई नुकसान भी हैं। पहले पहले फायदे के बारे में जानते हैं.-

फास्ट फूड, नाम से ही पता चल रहा है कि ये व्यंजन कम समय में बन जाते हैं। आफिस जाने वाले पुरुष और महिला अक्सर फास्ट फूड बनाना पसंद करते हैं। इनको बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता और स्वादिष्ट भी होते हैं।


अब नुकसान की बात करें तो फास्ट फूड के आने से लोग स्थानीय व्यंजनों को भूलते जा रहे हैं। फास्ट फूड सेहत के लिए लाभदायक नहीं होते हैं क्योंकि ये बहुत मसालेदार और तले भुने होते हैं। साथ ही स्थानीय भोजन की अपेक्षा काफी मंहगे भी होते हैं। लोग ज्यादा धन देकर फास्ट फूड खाते हैं और सेहत भी खराब करते हैं।



Question 2.

हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए?


Answer:

छात्र अध्यापक की मदद से करें।



Question 3.

खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी पि़फ़ल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।


Answer:

खानपान में मिलावट का धंधा जोर पकड़ता जा रहा है। दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में ऐसी मिलावट कर देते हैं और मिलावटी सामान खरीदने से लोग बीमार पड़ जाते हैं। हाल ही में मैंने भी ऐसा ही अनुभव किया। मां घर पर नहीं थी तो मैं और मेरा भाई बाजार से पनीर की सब्जी और रोटियां पैक करवा कर ले आए। उसे खाने के बाद मैं और मेरा भाई दोनों ही बीमार पड़ गए। मां को बताया कि हमने बाहर से खरीदकर पनीर की सब्जी और रोटी खाई थी। मां दुकान पर पता करने गई तो उन्होंने देखा कि खाना बनाने में बासी चीजों का इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही मिलावटवाले सस्ते मसालों से सब्जियां तैयार की जा रही हैं। तबसे हम लोगों ने बाहर का खाना बंद कर दिया।

समाचार पत्र में पढ़ा था कि दूध में अब पानी के अलावा तरह तरह के पाउडर मिलाकर बेचा जा रहा है। इस तरह की मिलावट से लोगों का स्वास्थ्य खराब होता है। थोड़े से धन के चक्कर में दुकानदार दूसरों की जान जोखिम में डालने से भी नहीं चूकते।


इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी जरूरी है। इससे सरकारी अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होता है।




Bhasha Ki Baat
Question 1.

खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए-

सीना-पिरोना, भला-बुरा, चलना-फिरना, लंबा-चौड़ा, कहा-सुनी, घास-फूस


Answer:

सीना-पिरोना (सिलाई और उससे जुड़े काम)- हमारे मोहल्ले का ट्रेलर सीने-पिरोने में माहिर है।

भला-बुरा (अच्छा और बुरा) - आजकल बच्चे भी अपना भला-बुरा जानते हैं।


चलना-फिरना (घूमना और टहलना) - सुबह-सुबह पार्क में चलने-फिरने से सेहत अच्छी रहती है।


लंबा-चौड़ा (विशाल आकार वाला) - सोनू का भाई राकेश बहुत लंबा-चौड़ा है।


कहा-सुनी (नाराजगी भरी बातचीत) - दोस्तों में भी अक्सर कहा-सुनी हो जाती है।


घास-फूस (बेकार की बस्तुएँ) – तुम क्या घास-फूस खाते रहते हो|



Question 2.

कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे किया जा सकता है-

इडली-दक्षिण-केरल-ओणम्- त्योहार-छुट्टी-आराम -----


Answer:

इडली-दक्षिण-केरल-ओणम-त्योहार-छुट्टी-आराम-नींद-रात-खाना-पानी-नल-बाल्टी-नहाना-कपड़े-साड़ी-बनारसी-पान-चूना-पुताई-दिवाली-पटाखे-दीये-मिट्टी-बारिश-बादल आदि




Kuch Karne Ko
Question 1.

उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफ़ाई पर दिए गए ब्योरों को छांटकर देखें कि हकीकत क्या है।


Answer:

छात्र ऐसे विज्ञापनों को स्वयं इकट्ठा करें और माता-पिता तथा अध्यापक की मदद से हकीकत का पता करें।