कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है?
एक दिन अप्पू को स्कूल जाते समय पास ही के एक दुकान में कंचों का जा़र दिखाई देता है। कंचे देखते ही अप्पू उस दुकान पर चला गया। दुकान पर दुकानदार नहीं था। अप्पू को कंचे बहुत पसंद थे। कंचों का जा़र उसके देखते-देखते बड़ा होने लगा था। कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं और जार बड़ा होते होते असमान जितना बड़ा हो जाता है| उस बड़े जा़र में केवल अप्पू और कंचे थे। वह मज़े से अपनी कल्पना में कंचों को बिखेर-बिखेर कर खेल रहा था। अचानक उसे एक तेज़ आवाज सुनाई पड़ती है और उस आवाज के उसके कानों में पड़ने से अप्पू की कल्पना टूट जाती है|
दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए।
अप्पू की स्थिति दुकानदार और ड्राइवर के सामने विचित्र थी क्योंकि वह अपनी विचित्र दुनिया में खोया रहता है| दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की स्थिति बेवकूफ लड़के की भाति थी। उसकी दुनिया में केवल कंचे और वह अकेला था। वह दुकानदार से उतने कंचे खरीदता है, जितने कभी किसी बच्चे ने एक साथ नहीं खरीदे थे। वह कार से बेखबर बीच सड़क पर अपनी जान की परवाह किए बिना कंचे समेट रहा था। वे कंचों के प्रति उसका समर्पण भाव देखकर हँसते हैं। उनके हँसने का कारण यह था कि उन दोनों को अप्पू को देख कर अपना बचपन याद आ जाता है, जिसमें वे कंचों को लेकर ऐसे ही लालायित रहते थे। परंतु वे दोनों उसको देखकर परेशान भी होते है क्योंकि वह बिना अपनी सुरक्षा की परवाह किये सड़क पर कंचे समेत रहा था|
‘मास्टरजी की आवाज अब कम ऊंची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे।’ मास्टरजी की आवाज धीमी क्यों हो गई होगी? लिखिए।
क्लास में मास्टरजी विद्यार्थी को रेलगाड़ी का पाठ पढ़ा रहे थे। रेलगाड़ी का पाठ पढ़ाने वक्त शुरू में मास्टर जी की आवाज तेज थी क्योंकि बच्चों का ध्यान उस सबक की ओर केंद्रित हो जाए और बच्चों का शोर थम जाए। जैसे-जैसे पाठ आगे बढ़ता गया और बच्चों का ध्यान केन्द्रित होता गया मास्टरजी की आवाज धीमी होती गयी|
कंचे, गिल्ली-डंडा, गेंदतड़ी (पिट्ठू) जैसे गली-मोहल्लों के कई खेल ऐसे हैं जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। आपके इलाके में ऐसे कौन-कौन से खेल खेलें जाते हैं? उनकी एक सूची बनाइए।
हमारे इलाके में कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट, गिल्ली-डंडा, कंचे, छिपम-छिपाई, लंगड़ी-दौड़, बैडमिंटन, लूडो, कैरम आदि खेल खेले जाते हैं।
किसी एक खेल को खेले जाने की विधि को अपने शब्दों में लिखिए।
खो-खो खेले जाने की विधि
खो-खो का खेल दो टीमों के बीच में खेला जाता है| इस खेल के मैदान का आकार आयताकार होता है एवं समतल भूमि पर इस का रेंखाकन किया जाता है| हर टीम में 9 खिलाड़ी एवं 3 स्थानापन्न खिलाड़ी होते है| एक मैच में चार पारियाँ होती है जिसमें प्रत्येक पारी की समायावधि 7 मिनट होती है| प्रत्येक टीम दो पारियों में बैठती है और दो पारियों में दौड़ती है| इस खेल में बैठने वाली टीम के खिलाड़ी को ‘चेंजर’ और दौड़ने वाले को ‘रनर’ कहते है| खेल शुरू होने से पहले ‘रनर’ अपना नाम स्कोरर के पास अंकित कराते है| चेंजर टीम के आठ खिलाड़ी वर्ग में बैठते है और नौवां खिलाड़ी रनर्स को पकड़ने के लिए खड़ा होता है| फिर वह दौड़कर ‘रनर’ टीम के एक खिलाड़ी को पकड़ने की कोशिश करता है| इसके पश्चात वह बैठे हुए खिलाड़ियों में से किसी एक को ‘खो’ देता है| तुरंत ‘खो’ मिलने वाला खिलाड़ी उठकर रनर को पकड़ता है तथा उसके स्थान पर बैठ जाता है| इस प्रकार यदि ‘चेंजर’ टीम का खिलाड़ी ‘रनर’ टीम के दौड़ने वाले खिलाड़ी को छू लेता है, तो चेंजर टीम को एक अंक प्राप्त हो जाता है| इस प्रकार शुरूआत में तीन खिलाड़ी सीमा के अंदर होते है फिर जब इन तीनों के आउट होने पर दूसरे तीन खिलाड़ी अंदर आते है और खेलते है| खेल के अंत मे अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम विजयी घोषित की जाती है|
जब मास्टर जी अप्पू से सवाल पूछते हैं तो वह कौन-सी दुनिया में खोया हुआ था? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी दिन क्लास में रहते हुए भी क्लास से गायब रहे हों? ऐसा क्यों हुआ और आप पर उस दिन क्या गुजरी? अपने अनुभव लिखिए।
जब मास्टरजी अप्पू से सवाल पूछते हैं तो वह कंचों की दुनिया में खोया हुआ था|
मेरे साथ भी ऐसा हुआ है जब मास्टरजी कक्षा में भूगोल पढ़ा रहे थे उस वक्त मेरा ध्यान पिछले दिन खेले गए क्रिकेट मैच की स्मृतियों में उलझा हुआ था| मैं उस रोमांचक क्रिकेट मैच के बारे में सोच रहा था तभी मास्टरजी ने मुझसे सवाल पूंछ लिया और मैं सवाल सुनकर हक्का बक्का रह गया क्योंकि मैं तो उनकी बातों को सुन ही नहीं रहा था| उन्होंने मुझे पूरी क्लास के सामने डांटा और आगे से कक्षा के समय पर पढ़ाई पर ध्यान लगाने की हिदायत दी|
आप कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?
‘कंचों की काल्पनिक दुनिया’
गुल्ली-डंडा और क्रिकेट में कुछ समानता है और कुछ अंतर। बताइए, कौन-सी समानताएँ हैं और क्या-क्या अंतर हैं?
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित मुहावरे किन भावों को प्रकट करते हैं? इन भावों से जुड़े दो-दो मुहावरे बताइए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
• माँ ने दाँतो तले उँगली दबाई।
• सारी कक्षा साँस रोके हुए उसी तरफ देख रही है।
विशेषण कभी-कभी एक से अधिक शब्दों के भी होते हैं। नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्से क्रमशः रकम और कंचे के बारे में बताते हैं, इसलिए वे विशेषण हैं।
पहले कभी किसी ने इतनी बड़ी रकम के कंचे नहीं खरीदे।
बढि़या सप़फ़ेद गोल कंचे
• इसी प्रकार के कुछ विशेषण नीचे दिए गए हैं इनका प्रयोग कर वाक्य बनाएं-
ठंडी अँधेरी रात, खट्टी-मीठी गोलियाँ
ताजा स्वादिष्ट भोजन, स्वच्छ रंगीन कपड़े
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ खोजकर पढि़ए। ‘ईदगाह’ कहानी में हामिद चिमटा खरीदता है और ‘कंचा’ कहानी में अप्पू कंचे। इन दोनों बच्चों में से किसकी पसंद को आप महत्व देना चाहेंगे? हो सकता है, आपके कुछ साथी चिमटा खरीदनवाले हामिद को पसंद करें और कुछ अप्पू को। अपनी कक्षा में इस विषय पर वाद-विवाद का आयोजन कीजिए।
मैं हामिद की पसंद को महत्व देना चाहूँगा क्योंकि हामिद के द्वारा अपने उम्र से बड़े होकर अपनी दादी के प्यार में एक निर्णय लिया गया था| इस निर्णय के फलस्वरूप उसने अपनी सभी इच्छाओं को त्यागकर अपने लिए मेले से खिलौने न खरीदकर अपनी दादी के लिए चिमटा ख़रीदा था ताकि दादी के रोटियाँ बनाते समय हाथ न जलें| इससे हामिद का अपनी दादी के प्रति प्रेम झलकता| वह उस प्रेम के प्रति वशीभूत होकर अपनी सभी इच्छाओं को त्यागकर सारे पैसों से एक चिमटा खरीदता है| इसीलिये मैं हामिद को पसंद को महत्त्व देना चाहूँगा|