हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते?
आजादी हर किसी को अच्छी लगती है फिर चाहे वह मनुष्य हो या फिर पशु-पक्षी। जैसे कोई भी मनुष्य घर की चार दीवारों के अंदर अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है वैसे ही पशु-पक्षी खुले आसमान के नीचे अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं। भले ही उन्हें पिंजरे में बिना किसी मेहनत के खाना-पानी मिलता है लेकिन वह अपने आप को बंधा हुआ महसूस करते हैं। इसी वजह से वह पिंजरे में बंद रहना नहीं चाहते।
पक्षी उम्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?
पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी निम्नलिखित इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं-
(क) पक्षी खुले आसमान में उड़कर आकाश की सीमाएं जानना चाहते हैं।
(ख) पक्षी आसमान में उड़कर अपने आप को इस बात का अहसास दिलाते हैं कि वह पूरी तरह से आजाद हैं।
(ग) पक्षी आसमान के अलग अलग नजारे देखना चाहते हैं।
(घ) पक्षी तारे रूपी दाने चुनना चाहते हैं|
भाव स्पष्ट कीजिए
या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती सांसों की डोरी।
(भाव)- क्षितिज, धरती और आकाश के मिलने का काल्पनिक स्थान होता है। पक्षी इस सीमाहीन क्षितिज से प्रतियोगिता करते हुए उड़ना चाहते हैं। ऐसा करते हुए या तो क्षितिज काल्पनिक न होकर वास्तविक हो जाता या उड़ते-उड़ते उनकी मृत्यु हो जाती।
कविता से आगे
बहुत से लोग पक्षी पालते हैं
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपने विचार लिखिए।
(ख) क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है? उसकी देखरेख किस प्रकार की जाती होगी, लिखिए।
बहुत सारे लोग घर में पक्षियों को पालते हैं| जैसे कबूतर, तोता, चिड़िया। घर में वह उन्हें खाने-पीने की सभी चीजें देते हैं। फिर चाहे तोते की मनपसंद हरी मिर्च हो या फिर चिड़ियों को दाना। इन सभी चीजों के बावजूद पक्षियों को पालना ठीक नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही आप घर में उन्हें खाने-पीने की सभी चीजें दे रहे हों लेकिन उनकी आजादी आपने उनसे छीन ली है। पक्षी बेजुबान होते हैं इसलिए वह अपनी तकलीफ किसी से नहीं कह सकते बस पिंजरे में बंद एक सीमित दायरे में घूमकर परतंत्र जीवन जीते रहते हैं| इसलिए पक्षियों को घर में न पालना ही उनके लिए ठीक है।
(ख) मेरे पास भी एक तोता था जिसका नाम मैंने गोलू रखा था। उसके लिए एक खूबसूरत सा पिंजरा लेकर आए। गर्मियों का मौसम था इसलिए मुझे उसकी चिंता सता रही थी। मैंने अपने कई दोस्तों को देखा है वह खुद तो कूलर या फिर एसी में सोते थे लेकिन अपने पक्षी को छांव में टांग देते थे। इसलिए मैं हमेशा सोचती थी कि जब भी मैं पक्षी पालूंगी तो उसे वहीं पर रखूंगी जहां पर मैं रह रही हूं। जैसे ही मैं तोते को घर लेकर आई उसके पिंजरे में पानी और अमरूद रखा। अमरूद इसलिए क्योंकि जितने शौक से तोता मिर्च खाता है उतने ही शौक से अमरूद। तोते की तबीयत खराब न हो गर्मी की वजह से इसलिए मैं उसे अपने कमरे में ले आई। मेरा कमरा एसी की वजह से ठंडा था। तोता तब तक मुझे पहचानता नहीं था। इसलिए थोड़ा परेशान दिखा हालांकि थोड़ी देर बाद उसे लगा कि वह सुरक्षित है। काफी देर तक कुछ नहीं खाया लेकिन बाद में जब उसने पिंजरे में रखा अपना पसंदीदा अमरूद देखा और खाया, तो मेरी जान में जान आई। अब वह तोता मेरे पास नहीं है। एक दिन पिंजरा खुला छूट गया और झट से वह उड़ गया। भले ही वह हम लोगों का नाम लेने लगा था। उससे अपना नाम सुनकर मैं खुश हो जाती थी लेकिन सुकून इस बात का है कि वह अब आजाद है।
पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
हर चीज का होने का एक कारण होता है। पशु-पक्षी, जीव-जंतु सभी प्रकृति में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। जैसे-छिपकली कीट-पतंगों को खाकर उनकी संख्या को बराबर बनाए रखने का काम करती है ठीक उसी तरह हर जीव-जंतु एक दूसरे को खाकर प्रकृति को संतुलित करने का काम करते हैं। अगर पिंजरे में आपने किसी पक्षी को बंद करके रखा है तो वह पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ सकता है। साथ ही जैवविविधता मानव के पृथ्वी पर अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है| अगर पृथ्वी पर पशु पक्षियों एवं अन्य जीव जंतुओं की संख्या कम हुई अथवा उनकी कोई प्रजाति पूर्णतः समाप्त हुई तो यह मानव जाति के लिए खतरा बन सकता है क्योंकि एक तो प्रत्येक प्रजाति खाद्य श्रृंखला में एक विशिष्ट स्थान रखती है साथ ही वातावरणीय संतुलन के लिए भी पशु पक्षियों का पृथ्वी पर सुरक्षित रहना आवश्यक है|
क्या आपको लगता है कि मानव की वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण से जुड़ी योजनाएं पक्षियों के लिए घातक हैं? पक्षियों से रहित वातावरण में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए? उक्त विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
अगर ये कहें कि मनुष्य की जीवन-शैली और शहरीकरण की योजनाओं का पक्षियों पर बुरा असर पड़ा है, तो यह बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। शहरीकरण की योजनाओं के तहत जगह-जगह पेड़ काटे जा रहे हैं। इससे न केवल हम पक्षियों के रहने का स्थान छीन रहे हैं बल्कि पर्यावरण को भी प्रभावित कर रहे हैं। हालत यह हो गई है कि कई जगह दूर-दूर तक पेड़ों के कटाव की वजह से लोग गर्मी में पेड़ों की छांव को भी तरसने लगे हैं। पेड़ों पर लदे फल-फूल पक्षियों का आहार बनते थे लेकिन पेड़ों के बढ़ते कटाव की वजह से अब पक्षियों को अपना पेट भरने के लिए भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हमें चाहिए कि जगह-जगह पानी से भरे बर्तन, पक्षियों के लिए दाना रखें ताकि उन्हें आहार मिलने में परेशानी न हो। इसके साथ ही लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक करें ताकि पर्यावरण प्रभावित न हो। मानव के पृथ्वी पर अस्तित्व के लिए प्रकृति में संतुलन होना आवश्यक है और यह संतुलन प्रकृति के पत्येक घटक को सुरक्षित रखकर ही कायम रखा जा सकता है|
यदि आपके घर के किसी स्थान पर किसी पक्षी ने अपना आवास बनाया है और किसी कारणवश आपको अपना घर बदलना पड़ रहा है तो आप उस पक्षी के लिए किस तरह के प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे? लिखिए।
हम पक्षी के घोंसले को वैसे ही रहने देंगे। घोंसले के पास पानी भरा बर्तन और अनाज के कुछ दानें रख देंगे ताकि अगर पक्षी को भूख लगे तो उसे कहीं भटकना न पड़े। इसके साथ ही घोंसले के पास से ऐसी चीजें हटा देंगे जो घोंसले को नुकसान पहुंचा सकती हैं। साथ ही बाड़े में उस घर में आने वाले व्यक्ति को इसके बारे में बताएँगे कि वह उस घोंसले और उसमें रहने वाले पक्षियों को नुकसान न पहुंचाए|
स्वर्ग- शृंख्ला और लाल किरण-सी में रेखांकित शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। कविता से ढूंढ़कर इस प्रकार के तीन और उदाहरण लिखिए।
(क) कनक-तीलियाँ (ख) कटुक निबौरी
(ग) सीमाहीन क्षितिज (घ) आकुल उड़ान।
‘भूखे-प्यासे’ में द्वंद्व समास है। इन दोनों शब्दों के बीच लगे चिह्न को सामासिक चिह्न (-) कहते हैं। इस चिह्न से ‘और’ का संकते मिलता है, जैसे भूखे-प्यासे = भूखे और प्यासे।
• इस प्रकार के दस अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
सामासिक शब्द