यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
यासुकी-चान को पोलियो था इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। तोत्तो-चान उससे एक वर्ष बड़ी थी और वह यह जानती थी यासुकी-चान अन्य बालकों की तरह पेड़ पर चढ़ने की इच्छा रखता है इसके लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास किया।
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।
यासुकी-चान और तोत्तो-चान के अपूर्व अनुभव अलग-अलग थे। एक को पेड़ पर चढ़ पाने की ख़ुशी थी दूसरा इस बात से उत्साहित था की वह पेड़ पर चढ़ पाया जो कि उसके लिए एक सपने के समान था एवं तोत्तो-चान को असीम संतुष्टि का आभास हुआ जब उसने अथक परिश्रम और साहस से पोलियोग्रस्त यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाकर उसका स्वागत किया।
पाठ में खोजकर देखिए- कब सूरज का ताप तोत्तो-चान और यासुकी-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तर-बतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?
यासुकी-चान और तोत्तो-चान अथक प्रयास करते हुए पेड़ पर सीढ़ी के सहारे चढ़ते-चढ़ते पसीने से तर-बतर हो रहे थे तभी बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा । मेरे अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण उन दो मित्रों का परिश्रम, ईमानदारी से किया गया प्रयास और सफल होने की उनकी ज़िद हो सकती हैI
‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह ------------अंतिम मौका था।’ इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम मौका था’, लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा क्योंकि पोलियोग्रस्त यासुकी-चान के लिए स्वयं पेड़ पर चढ़ना संभव न था, तोत्तो-चान के लिए सभी से झूठ बोलना बार बार सम्भव न होपाता एवं यासुकी-चान का शरीर समय के साथ बढ़ रहा था जीससे उसका वज़न भी बढ़ रहा था इसलिए यासुकी-चान के लिए अब ऐसा जोखिम लेने को शायद कोई तैयार न होगा।
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?
मैं मेरे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहूंगी क्योंकि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है| अगर आपको जीवन में कुछ हासिल करना है तो वह कड़ी मेहनत और बुद्धि के प्रयोग से किया जासकता है।
हम अक्सर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करने के लिए अदम्य साहस और बुद्धि से काम करना होगा। उदहारण के लिए-
एक बार मैं और मेरा मित्र स्कूल से घर को लौट रहे थे तभी हमने एक कुत्ते के बच्चे की आवाज़ सुनी ऐसा लग रहा था मानो वो रो रहा हो और मदद के लिए आवाज़ दे रहा हो। हम उस तरफ गये तो देखा की एक कुत्ते का बच्चा बड़े से नाले में फँसा है। हमने आस पास मदद के लिए देखा कि कोई बड़ा दिख जाये जिससे हम मदद के लिए बोल सके परन्तु वहाँ दिन के समय कोई आता जाता नहीं था तब हमने निश्चय किया की हम इसको बाहर निकलेंगे। मेरे दिमाग में कुछ ख्याल आया और मैंने अपनी और अपने मित्र की कमीज उतारकर बाँधकर उस नाले में लटकादी और मैं उस कमीज के सहारे किसी तरह धीरे-धीरे उतरने लगा। यदि मेरा संतुलन खोता, तो मैं भी नाले में जा गिरता, परंतु एक हाथ से रस्सी के समान उस कमीज को पकड़ा तथा दूसरे से उस बच्चे को उठाकर मेरे खाली बसते में डाला ताकि उसे आसानी से उपर ले जाया जासके। इस प्रकार हम दोनों ही बाहर आ गए। हमारे घरवालों को यह बात आज तक पता न चल सकी।
छात्र इस तरह स्वयं के अनुभव भी लिख सकते हैं।
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नजरें नीचे क्यों थीं?
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नजरें नीचे इसलिए थी क्योंकि जब हम झूठ बोलते है तब हममें आत्म-विश्वास की कमी होती है एवं हम बाते बनाकर बोल रहे होते है इसी कमी के कारण वह माँ से नजरें मिलाकर बात नहीं कर पा रही थी और उसकी नजरें नीची थीं।
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरनेवाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होती। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए।
1. अस्पतालों में,
2. विद्यालयों में,
3. सिनेमागृहों में,
4. कॉलेजों में,
5. सामुदायिक विकास केंद्रों में
द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है- दो और शाखा का अर्थ है- डाल। द्विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बनने वाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए के क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेाी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे-हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेजी-एट।
संख्या हिंदी संस्कृत संख्यावाची अंग्रेजी
4 चार चत्वारः चतुर्भुज, चतुर्थी, चतुर्दश फोर
5 पाँच प्ंच पंचभुज, पंचानन, पंचामृत फाइव
6 छः षट षटकोण, षटभुज, षडानन सिक्स
7 सात सप्त सप्तर्षि, सप्तकोण सेवन
8 आठ अष्ट अष्टकोण, अष्टाध्यायी एट
9 नौ नव नववर्ष, नवग्रह, नवरात्र नाइन
10 दस दश दशानन, दशभुज टेन
पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फिल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।