हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गांधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औजार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगे?
गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि इसलिए खरीदना चाहते होंगे ताकि-
(1) गांधीजी स्वयं एवं आश्रम में रहने वाले अन्य लोग आश्रम में इस प्रकार के काम को स्वयं अथवा अन्य लोगों के माध्यम से करा सकें|
(2) एक बार भले ही पैसा खर्च हो लेकिन अगली बार खुद के सामान की वजह से किसी भी काम को कराने में लागत कम आएगी।
(3) व्यक्ति को उसकी रुचि के अनुसार काम दिया जा सके।
(4) अपने खरीदे हुए सामान को कुछ नुकसान भी पहुंचे तो किसी के प्रति जवाबदेही नहीं होगी।
(5) किराए पर लाएंगे तो पैसा ज्यादा देना पड़ेगा। ऐसे में जितनी कि वह चीज नहीं होगी उतना तो किराया चला जाएगा।
गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है?
गांधी जी की जीवनी या गांधी जी पर लिखी ऐसी पुस्तकों से छात्र उन अंशों को स्वयं चुनें।
मान लीजिए आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहोगे। किन नई मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे।
बाल आश्रम, जिसमें लगभग 50 बालक होंगे को ध्यान में रखते हुए 20,000 वर्ग फुट स्थान में मकान तथा 3 रसोई, 1000 पुस्तकों के लिए पुस्तकालय तथा अलमारियाँ चाहिए। आश्रम का निर्माण अच्छे कारीगरों के द्वारा किया जाना है| आश्रम के निर्माण के लिए निम्नलिखित सामान की आवश्यकता होगी-
5 पतीले- भोजन बनाने के लिए, पानी भरने के लिए 4 आय 5 पीतल, स्टील या प्लास्टिक के टब, 5 से 10 मिट्टी के घड़े(पानी को ठंडा करने के लिए), 2 बर्तन पानी गर्म करने ले लिए, 5 केतलियाँ, 5 से 10 बाल्टियाँ, 5 झाडू, 15 कुर्सियाँ, 5 मेजें, 4 अलमारियाँ, 5 भारत के नक्शे, 20 चारपाइयाँ, 60 से 65 बिस्तर, 2 मोटरगाड़ियाँ, 5 अनाज रखने के बर्तन, 3 से 4 तवे, 50 से 60 थालियाँ, लगभग 100 कटोरियाँ, 100 चम्मच, 100 प्याले, 10 कपड़े धोने के टब, 2 छलनियाँ, 3 कर्छा, 2 इमामदस्ता
अनुमानित व्यय -5 हजार
आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते? इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे?
कार चलाना, गोभी की अच्छी सब्जी बनाना, किसी भी काम को नियमित तौर पर करना, रोजाना अखबार पढ़ना। इन सब कामों को सीख पाना या फिर रुटीन में न करने के कई कारण है-
(1) कार चलाना- समय ही नहीं मिल पाया। हमेशा सोचती हूं कि कार ड्राइविंग ट्रेनिंग ज्वाइन कर लूं लेकिन वक्त की कमी के कारण रह जाता है।
(2) गोभी की अच्छी सब्जी बनाना- हमेशा प्रयास करती हूं लेकिन मेरे माँ जैसी अच्छी नहीं बन पाती।
(3) किसी भी काम को मेरी मम्मी रुटीन से करती है। मुझसे ऐसा नहीं हो पाता। कोशिश करूंगी की ऐसी कर पाऊं।
(4)रोजाना अखबार पढ़ना- कभी तो मैं रोजाना अखबार पढ़ लेती हूं और कभी ऐसा नहीं हो पाता। इसकी वजह ऑफिस की टाइमिंग है जो अक्सर बदलती रहती है।
इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
आश्रम के उद्देश्य और कार्यप्रणाली के बारे में निम्नलिखित अनुमान लगाए जा सकते हैं-
(1) आश्रम के लोग हर काम लोग लगन और मेहनत से करें।
(2) किसी भी काम को करने से पहले उसकी सारी तैयारियां कर लें।
(3) सबको उनकी क्षमता और रुचि के अनुसार ही काम मिले।
(4) एक साथ काम करें ताकि उनमें भाई-चारा बना रहे।
(5) एकता में कितनी शक्ति होती है इसको भी बताते की कोशिश की गई है।
‘अनुमानित’ शब्द ‘अनुमान’ में ‘इत’ प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का ‘न’ ‘नित’ में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखें हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
इत प्रत्यय की भांति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे- सप्ताह इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक, नैतिक, पौराणिक, दैनिक
इक प्रत्यय वाले शब्द-
बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इनमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों हैं?
(1) राजनेता
(2) राजपुरुष
(3) प्रवक्ता
(4) आत्मघाती
(5) माखनचोर
दूसरा शब्द प्रमुख इसलिए है क्योंकि शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर निर्भर है।