इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आस-पास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो?
इस गीत की निम्नलिखित पंक्तियों को हम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं-
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रास्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
इन लाइनों में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर किसी बड़े काम को अकेला करे तो वह थक सकता है या फिर उसे उस काम को करने में बहुत वक्त लग सकता है। जब उसी काम को कई लोग मिलकर करते हैं तो वह काम जल्दी हो जाता है। मेहनत करने वालों के आगे हर कोई झुक जाता है। चाहे कितनी बड़ी से बड़ी मुसीबत ही क्यों न हो। अगर मन में दृढ़ संकल्प है तो रास्ता अपने आप बन जाता है।
‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’- साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।
इन लाइनों से साहिर का मतलब है कि इरादे मजबूत हो तो आपके सामने पहाड़ भी झुक सकता है। यानी कि आपकी इच्छाशक्ति मजबूत हो तो आप किसी भी मुश्किल काम को आसानी से कर सकते हैं। यह पंक्तियाँ असल जिंदगी में भी सच साबित होती हैं। कई बार जीवन में ऐसा वक्त आता है कि आपको लगता है कि यह काम नहीं हो पाएगा। जब आप मन में ठान लेते हैं कि कैसे नहीं हो पाएगा और मैं करके दिखाऊंगा, तो वह काम हो जाता है। इसे ही इच्छाशक्ति कहते हैं जिसमें बहुत ताकत होती है।
गीत में सीने और बाँहों को फौलादी क्यों कहा गया है?
भगवान ने हमारी बांहों और सीने में अपार ताकत और सामर्थ्य प्रदान की है| यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपनी ताकत का इस्तेमाल किस तरह करते हैं। इसी वजह से गीत में बांहों और सीने को फौलादी कहा गया है।
अपने आसपास तुम किसे ‘साथी’ मानते हो और क्यों? इससे मिलते-जुलते कुछ और शब्द खोजकर लिखो।
मैं अपने माता-पिता और बहन को अपना साथी मानती हूं। परिवार ही ऐसा होता है जो आपका हर मुश्किल घड़ी में साथ देता है। अगर आप उनसे कुछ भी न कहो तब भी वे आपके दिल की बात आसानी से समझ जाते हैं।
साथी से मिलते-जुलते शब्द हैं- सहायक, सखा, सहचर, शुभचिंतक, मित्र, मीत आदि।
‘अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक’ कक्षा, मोहल्ले और गाँव/शहर के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम्हें इस वाक्य की सच्चाई महसूस होती है और कैसे?
जब महीने की आखिरी तारीख को अकाउंट में सैलरी आती है तो मेरे लिए सबसे बड़ा सुख वही होता है। उस दिन मन एकदम शांत रहता है। किसी भी तरह की कोई परेशानी दिमाग में नहीं घूमती। जैसे-जैसे महीने की 15 तारीख आती है फिर से परेशानियां दिमाग में आने लगती है। ऐसा लगता है कि सारी तकलीफें सिर्फ हमारे ही पास है। यह एक ऐसी चीज है जो मुझे लगता है कि हर शख्स के साथ होती होगी। यह लाइन सबके साथ फिट बैठती है ‘अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक।‘
इस गीत को तुम किस महौल में गुनगुना सकते हो?
कुछ खास मौकों पर इस गीत को गुनगुना सकते हैं। जैसें-स्वतत्रंता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं इस प्रकार के अन्य शुभ अवसरों पर| इसके अलावा जब किसी के जोश को बढ़ाना हो तब भी इस गीत को गुनगुना सकते हैं।
‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’-
(क) तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?
(ख) पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?
(ग) क्या वे एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं?
(क) वैसे तो मम्मी रोजाना हमारे लिए खाना बनाती हैं लेकिन जब मेरी ऑफिस से छुट्टी होती है तो मैं एक दिन किचन में उनकी मदद कर देती हूं। ऐसा इसलिए ताकि एक दिन तो उन्हें किचन के काम से मुक्ति मिल जाए।
(ख) पापा और मां के काम में बहुत अंतर है। वैसे तो आजकल ज्यादातर दोनों लोग नौकरी करते हैं। पापा जहां घर के वित्तीय मुद्दों फाइनेंशियल चीजों को ध्यान में रखते हैं तो वहीं मम्मी कपड़े से लेकर हम लोगों की पढ़ाई एवं घर से संबंधित अन्य बातों का ध्यान रखती हैं|
(ग) वे इन कामों में एक दूसरे का लगातार हाथ बंटाते रहते हैं ताकि किसी एक पर काम का अधिक दवाब न पड़े|
यदि तुमने ‘नया दौर’ फिल्म देखी है तो बताओ कि यह गीत फिल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है? यदि तुमने फिल्म नहीं देखी है तो फिल्म देखो और बताओ।
‘नया दौर’ फिल्म में जब कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए सब मिल-जुलकर काम करते हैं तब यह गीत आता है। यह गीत उनके सहयोग, उत्साह और जोश को प्रदर्शित करता है।
• अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
• एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पंक्तियों से मिलता-जुलता है?
(ख) इन दोनों कहावतों के अर्थ कहावत-कोश में देखकर समझो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
(क) एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
एक से एक मिले तो जर्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत।
(ख) अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता- इस कहावत का मतलब है कि अगर बहुत सारा काम हो तो एक आदमी उस काम को अकेले नहीं कर सकता। ठीक उसी तरह जिस तरह से युद्ध को एक अकेला सिपाही नहीं जीत सकता।
एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं- इस कहावत का मतलब है कि एक से बेहतर दो होते हैं। किसी एक काम को दो लोग मिलकर करें तो वह जल्दी हो जाएगा।
नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए गए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ।
(क) हाथ को हाथ न सूझना
(ख) हाथ साफ करना
(ग) हाथ-पैर फूलना
(घ) हाथों-हाथ लेना
(घ) हाथ लगाना
(क) पेपर का समय निकलने के बाद हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा।
(ख) मौका मिलते ही चोरों ने उसके घर पर हाथ साफ कर लिया।
(ग) सड़क पर दो लोगों को इस तरह लड़ते देख मेरे हाथ पावं फूल गए।
(घ) बाजार में नए डिजाइन के आते ही सबने उसे हाथों हाथ खरीद लिया।
(ड.) आज ये शख्स मेरे हाथ लगा है।
‘हाथ’ और ‘हस्त’ एक ही शब्द के दो रूप हैं। नीचे दिए गए शब्दों में ‘हस्त’ और ‘हाथ’ छिपे हैं। शब्दों को पढ़कर बताओ कि हाथों का इनमें क्या काम है-
(1) हाथघड़ी- इसे हाथ की कलाई पर पहनते हैं।
(2) निहत्था- जिसके हाथ में कोई भी हथियार न हो उस व्यक्ति को निहत्था कहते हैं।
(3) हथौड़ा- लोहे का औजार जिसे दीवार में कील ठोकने में मदद मिलती है।
(4) हथकंडा- गलत तरीके से काम कराने को हथकंडा कहते हैं।
(5) हस्तशिल्प – हाथ से जो कपड़े में कारीगरी की जाती है उस शिल्पकारी को हस्तशिल्प कहते हैं।
(6) हस्ताक्षर- अपना नाम लिखकर पेपर पर जो साइन किए जाते हैं उसे हस्ताक्षर कहते हैं। इसका मतलब यह होता है कि आपने पेपर पर लिखी बातों को सहमति दी है।
(8) हस्तक्षेप-किसी भी काम में दखल देने को हस्तक्षेप कहते हैं।
(9) हथकरघा- लघु और घरेलू उद्योगों को हथकरघा कहते हैं।
इस गीत में परबत, सीस, रस्ता, इंसाँ जैसे शब्दों के प्रयोग हुए हैं। इन शब्दों के प्रचलित रूप लिखो।
‘कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना’ इस वाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है- (तुमने) कल गैरों की खातिर (मेहनत) की, आज (तुम) अपनी खातिर करना। इस वाक्य में ‘तुम’ कर्ता है जो गीत की पंक्ति में छंद बनाए रखने के लिए हटा दिया गया है। उपर्युक्त पंक्ति में रेखांकित शब्द ‘अपनी’ का प्रयोग कर्ता ‘तुम’ के लिए हो रहा है, इसलिए यह सर्वनाम है। ऐसे सर्वनाम जो अपने आप के बारे में बताएँ निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। (निज का अर्थ ‘अपना’ होता है।) निजवाचक सर्वनाम के तीन प्रकार होते हैं, जो नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित हैं-
मैं अपने आप (या आप) घर चली जाऊँगी।
बब्बन अपना काम खुद करता है।
सुधा ने अपने लिए कुछ नहीं खरीदा।
अब तुम भी निजवाचक सर्वनाम के निम्नलिखित रूपों का वाक्यों में प्रयोग करो-
बातचीत करते समय हमारी बातें हाथ की हरकत से प्रभावशाली होकर दूसरे तक पहुँचती हैं। हाथ की हरकत से या हाथ के इशारे से भी कुछ कहा जा सकता है। नीचे लिखे हाथ के इशारे किन अवसरों पर प्रयोग होते हैं? लिखो-
(1) ‘क्यों’ पूछते हाथ-जब कोई दूर बैठा हो या फिर सबसे सामने उस व्यक्ति से कुछ कह नहीं सकते हैं तो हाथ से ‘क्यों’ पूछने का इशारा करते हैं।
(2) बुलाते हाथ – किसी को बुलाने के लिए बुलाते हाथ का इशारा करते हैं।
(3) मना करते हाथ- किसी काम को मना करने के लिए मना करते हाथ का इशारा करते हैं।
(4) समझाते हाथ- कुछ समझाने के लिए समझाते हाथ का इशारा करते हैं।
(5) आरोप लगाते हाथ- किस पर आरोप लगाने के लिए उंगुली से उसकी तरफ इशारा करते हैं।
(6) जोश दिखाते हाथ- जोश दिखाने के लिए मुट्ठी बांधकर जब इशारा करते हैं तो उसे जोश दिखाते हाथ कहते हैं।
(7) चेतावनी देते हाथ- किसी को चेतावनी देते हैं तो उंगुली दिखाते हुए इशारा करते हैं।