छोटू का परिवार कहाँ रहता था?
छोटू का परिवार मंगल ग्रह की जमीन के नीचे रहता था।
छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत क्यों नहीं थी? पाठ के आधार पर लिखो।
छोटू हमेशा अपने माता-पिता की नजरों से बचकर इस ताक में रहता था कि वह सुरंग वाले रास्ते पर जा सके। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे वहां जाने की इजाजत नहीं थी। इसके पीछे की वजह वहां का वातावरण था। उस माहौल में आम आदमी बिना सुरक्षा उपकरणों के जिंदा नहीं रह सकता था। एक बार छोटू सुरंग वाले रास्ते पर गया था भी लेकिन वहां मौजूद यंत्रों ने छोटू की तस्वीर खींच ली और वहां मौजूद सिपाहियों ने उसे घर वापस भेज दिया।
कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या देखा और वहाँ उसने क्या हरकत की?
कंट्रोल रूम में जाकर छोटू को अंतरिक्ष यान क्रमांक एक साफ नजर आ रहा था। वहां पर छोटू की नजर एक कॉन्सोल पैनल पर पड़ी जिसके ऊपर कई बटन लगे हुए थे। छोटू ने लाल बटन को दबाया। छोटू के इस एक कदम से अंतरिक्ष यान क्रमांक एक का यांत्रिक हाथ बेकार हो गया। जिसके बाद उसे उसके पिता ने खूब मारा ।
इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था। वह सब नष्ट कैसे हो गया? इसे लिखो।
इस कहानी के आधार पर मंगल ग्रह पर जीवन था और लोग उसकी सतह पर अपना जीवन बिताया करते थे| धीरे-धीरे वातावरण में बदलाव आया और सब कुछ बदलने लगा। सूरज की रोशनी से जीवों को पोषण मिला करता था। जैसे ही उसमें परिवर्तन हुआ प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया। इस परिवर्तन को पशु-पक्षी और पेड़-पौधे बर्दाश्त नहीं कर पाए और सभी नष्ट हो गए और इसी प्रक्रिया में मंगल ग्रह पर आम जन जीवन नष्ट हो गया और लोग उसकी सतह के नीचे गुफाओं में रहने के लिए मजबूर हो गए|
कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों?
अंतरिक्ष यान को पृथ्वी ग्रह पर स्थित नेशनल ऐरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने मंगल ग्रह की मिट्टी के नमूने लाने के लिए भेजा था। पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी के वैज्ञानिक अध्ययन और शोध के लिए बहुत उत्सुक थे। उन्हें इस अध्ययन से यह पता लगने की उम्मीद थी कि पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह पर भी जीवों का अस्तित्व है या नहीं।
नंबर एक, नंबर दो और नंबर तीन अजनबी से निपटने के कौन-से तरीके सुझाते हैं और क्यों?
नंबर एक, दो और तीन ने अजनबियों से निपटने के कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हुए थे। नंबर एक पर सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। वह यान में कितने लोग सवार हैं या नहीं इस बात की जानकारी देने में सक्षम थे। नंबर दो एक वैज्ञानिक हैं। वह पाठ में यह बता रहा है कि अंतरिक्ष यान को नष्ट कर देने में खतरा भी है। नष्ट करने से दूसरे ग्रह के लोगों को हमारे अस्तित्व के बारे में पता चल जाएगा। नंबर तीन, सामाजिक व्यवस्था का काम देखते हैं। वह कहते हैं कि हमें अपनी धरती पर ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिससे उन यंत्रों को यहां की कोई चीज अपने काम की न लगे।
(क) दिलीप एम साल्वी
(ख) जयंत विष्णु नार्लीकर
(ग) आइजक ऐसीमोव
(घ) आर्थर क्लार्क
ऊपर दिए गए लेखकों की अंतरिक्ष-संबंधी कहानियाँ इकट्ठी करके पढ़ो और एक-दूसरे को सुनाओ। इन कहानियों में कल्पना क्या है और सच क्या है, इसे समझने की कोशिश करो। कुछ ऐसी कहानियाँ छाँटकर निकालो, जो आगे चलकर सच साबित हुई हैं।
(क) दिलीप एम साल्वी- एक प्रसिद्ध विज्ञान लेखक है। दिलीप एम साल्वी ने विज्ञान पर करीब 35 सूचनापरक और लोकप्रिय पुस्तकें लिखी हैं। इसमें उनका द्वारा लिखी गई विज्ञान कथाएं भी शामिल हैं। प्रश्नों पर आधारित गणित, पर्यावरण विज्ञान और खगोल विज्ञान की प्रश्नोत्तरी रूपी पुस्तकें भी लिखी हैं।
(ख) जयंत विष्णु नार्लीकर- जयंत विष्णु नार्लीकर ने विज्ञान से संबंधित अकल्पित और कल्पित दोनों तरह की किताबें लिखी हैं। यह सारी किताबें अंग्रेजी, हिंदी और मराठी के अलावा कई और भाषाओं में भी उपलब्ध हैं। नार्लीकर को अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया। इन पुरस्कारों में स्मिथ पुरस्कार, पद्म भूषण , कलिंग पुरस्कार शामिल हैं।
(ग) आइजक ऐसीमोव- अमेरिकी लेखक और बोस्टर विश्वविद्यालय में जैव रसायन के प्रोफेसर थे जिन्हें अपने साइंस फिक्शन से संबंधित कामों और लोकप्रिय किताबों के लिए जाना जाता था। ऐसीमोल लेखन के क्षेत्र में सबसे अधिक काम करने वाले लेखकों में से एक हैं जिन्होंने 500 से अधिक किताबों और पोस्टकार्डों को लिखा और संपादित किया है।
(घ) आर्थर क्लार्क- विज्ञान कथाओं के मशूहर लेखक थे। इन्होंने अपने जीवन काल में 80 पुस्तकें और 100 से अधिक लेख लिखे हैं।
इस पाठ में अंतरक्षि यान अजनबी बनकर आता है। ‘अजनबी’ शब्द पर सोचो। इंसान भी कई बार अजनबी माना जाता है और कोई जगह या शहर भी। क्या तुम्हारी मुलाकात ऐसे किसी अजनबी से हुई है? नए स्कूल का पहला अनुभव कैसा था? क्या उसे भी अजनबी कहोगे? अगर हाँ तो ‘अजनबीपन’ दूर कैसे हुआ? इस पर सोचकर कुछ लिखो।
‘अजनबी’ कुछ भी हो सकता है फिर चाहे स्कूल के पहले दिन में अनजान लोगों से मिलना हो या फिर ऑफिस का पहला दिन। आप उन लोगों के बारे में कुछ भी जानते नहीं हो, कभी मिले नहीं हो, स्वभाव कैसा होगा ऐसी अनेक बातें मन में तैर रही होती है। हालांकि कुछ वक्त बिताने के बाद अजनबीपन दूर होने लगता है। कुछ महीनों बाद तो ऐसा लगने लगता है कि कभी अजनबी थे ही नहीं।
यह कहानी जमीन के अंदर की जिदंगी का पता देती है। जमीन के ऊपर मंगल ग्रह पर सब कुछ कैसा होगा, इसकी कल्पना करो और लिखो।
छोटू के पापा की बातें जानकर ऐसा लगता है कि मंगल ग्रह के ऊपर का जीवन धरती की तरह बिल्कुल सामान्य रहा होगा। वहां पर पेड़-पौधे और पशु-पक्षी भी होंगे। हालांकि मौसम में बदलाव की वजह से धीरे-धीरे सबकुछ बदलने लगा होगा। सूरज की रोशनी से पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को जीवन मिलता होगा लेकिन मौसम के बदलाव की वजह से वहां का माहौल बदलने लगा होगा। धीरे-धीरे सब नष्ट होने लगा होगा। यहां तक कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा होगा। बाद में मंगल की धरती पर जीवन के आवश्यक परिस्थितियाँ नष्ट हो गयीं और फिर मंगल की धरती पर आम लोगों का जीवन संभव नहीं रहा और फिर वे उस ग्रह पर जमीन के नीचे गुफाओं में रहने के लिए मजबूर हो गए|
मान लो कि तुम छोटू हो और यह कहानी किसी को सुना रहे हो तो कैसे सुनाओगे? सोचो और ‘मैं’ शैली (आत्मकथात्मक शैली) में यह कहानी सुनाओ।
मैं हमेशा इस ताक में रहती थी कि कब पापा का सिक्योरिटी कार्ड मेरे हाथ लगे और मैं सुरंग के रास्ते से जाऊं। एक दिन पापा का सिक्योरिटी कार्ड मेरे हाथ लग ही गया। मैंने झट से उठाया और सुरंग की ओर बढ़ गया। अंदर घनघोर अंधेरा था। मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि सुरंग में यंत्र लगे हैं जो मेरी तस्वीर खींच रहे हैं। यंत्रों को खतरों का आभास हुआ तभी सुरक्षा गार्ड आ गए। उन्होंने मुझे वापस घर प भेज दिया। उस दिन मां तो मारने वाली थीं लेकिन पापा ने बचा लिया। उन्होंने ही बताया कि वह सुरंगनुमा रास्ता मंगल की धरती के ऊपर जाता है। वहां आम आदमी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के जीवित नहीं रह सकता। यहां पर हमारा जीवन कुछ विशेष यंत्रें की सहायता पर टिका हुआ है। इन्हीं यंत्रों की देखरेख का काम करने पापा उस सुरंगनुमा रास्ते से जाया करते हैं। एक दिन पापा मुझे अपना कंट्रोल रूम दिखाने ले गए। मैं बहुत खुश था। उन्होंने कंप्यूटर स्क्रीन पर मुझे एक अंतरिक्ष यान दिखाया। वह किसी अनजान जगह से आया था और हमारे मंगल ग्रह पर उतर गया था। किसी को उसके बारे में सही जानकारी नहीं थी। बस सब उसे देखे ही जा रहे थे। उस यान से एक मशीनी हाथ जैसा कुछ निकला। वह शायद मंगल की मिट्टी निकालना चाहता था। मेरा ध्यान वहां पर नहीं था। मैंने लाल रंग के बटन को दबा दिया। तभी कहीं से घंटी की आवाज आई और पापा ने मुझे जोर से एक थप्पड़ मारा। थोड़ी देर में मैंने उन्हें बात करते सुना। उस अंतरिक्ष यान का मशीनी हाथ खराब हो गया था। सब सांस रोकर उसे देख रहे थे। थोड़ी देर में वह अपने आप ही ठीक हो गया। उसने मंगल की मिट्टी उठाई और वापस उड़कर चला गया। किसी को पता नहीं चला कि वह कहाँ से आया था और उसने हमारी मिट्टी ले जाकर उसका क्या किया।
‘वार्तालाप’ शब्द ‘वार्ता+आलाप’ के योग से बना है। यहाँ ‘वार्ता’ के अंत का ‘आ’ और ‘आलाप’ के आरंभ का ‘आ’ मिलने से जो परिवर्तन हुआ है, उसे संधि कहते हैं। नीचे लिखे कुछ शब्दों में किन शब्दों की संधि है:
कार्ड उठाते ही दरवाजा बंद हुआ।
यह बात हम इस तरीके से भी कह सकते हैं-
जैसे ही कार्ड उठाया, दरवाजा बंद हो गया।
ध्यान दो कि दोनों वाक्यों में क्या अंतर है। ऐसे वाक्यों के तीन जोड़े तुम स्वयं सोचकर लिखो।
(1) जैसे ही सर ऑफिस आए, सब काम पर लग गए।
सर के ऑफिस आते ही सब काम करने लगे।
(2) जैसे ही वह ऑफिस आया, बहाने शुरू हो गए।
ऑफिस आते ही उसके बहाने शुरू हो गए।
(3) जैसे ही मैं गया, वे खेलने लग गए|
मेरे जाते ही वे खेलने में लग गए|
छोटू ने चारों तरफ नजर दौड़ाई।
छोटू ने चारों तरफ देखा।
• उपर्युक्त वाक्यों में समानता होते हुए भी अंतर है। मुहावरे वाक्यों को विशिष्ट अर्थ देते हैं। ऐसा ही मुहावरा पहली पंक्ति में दिखाई देता है। नीचे दिए गए वाक्यांशों में ‘नजर’ के साथ अलग-अलग क्रियाओं का प्रयोग हुआ है, जिनसे मुहावरे बने हैं। इनके प्रयोग से वाक्य बनाओ-
नजर पड़ना, नजर रखना, नजर आना, नजरें नीची होना
नीचे एक ही शब्द के दो रूप दिए गए हैं। एक संज्ञा है और दूसरा विशेषण है। वाक्य बनाकर समझो और बताओ कि इनमें से कौन से शब्द संज्ञा हैं और कौन से विशेषण-