‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’- हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था?
जिन लोगों के पास आंखें हैं फिर भी वह कम देखते हैं ऐसा हेलेन केलर को इसलिए लगता था क्योंकि जब भी उन्होंने किसी से कुछ पूछा कि आपने क्या देखा? तो जवाब में उन्हें सिर्फ यह सुनाने को मिला की कुछ खास नहीं। यह जवाब सुनकर हेलेन केलर को बहुत तकलीफ होती थी। हेलेन केलर की आंखें नहीं थी इसके बावजूद उन्होंने कई किताबें लिखी। हर चीज को अपने हाथों से महसूस किया और उसकी सुंदरता को बंद आंखों से होते हुए कलम के जरिए कागज पर उतारा। हेलेन केलर जब बिना आंखों के इतना सबकुछ महसूस करके लिख सकती थीं तो लोगों का यह जवाब कि कुछ खास नहीं देखा उन्हें सुनने में अटपटा लगता था।
प्रकृति का जादू किसे कहा गया है?
अलग-अलग पेड़ों की छाल, रंग बिरंगे फूल, हर फूल की बनावट एक दूसरे से अलग, फूलों की सुंदरता अलग, किसी पेड़ की मोटी टहनी तो किसी की पतली। इन्हीं सब चीजों को प्रकृति का जादू कहा गया है।
‘कुछ खास तो नहीं’- हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?
कुछ खास तो नहीं, यह जवाब हेलेन को तब मिला जब उनकी दोस्त जंगल की सैर करके वापस लौटी थीं। हेलेन को यह सुनकर इसलिए आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि वह इस तरह के जवाब पहले भी कई बार सुन चुकी थीं। उन्हें यह बात बिल्कुल भी समझ नहीं आती थी कि लोग आंखें होते हुए भी आसपास मौजूद चीजों को इतनी हल्की तरह से कैसे लेते हैं?
हेलेन केलर प्रकृति की किन चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो।
आंख न होते हुए भी हेलेन कई चीजों को सिर्फ छूकर या फिर जानवरों की आवाज सुनकर पहचान लिया करती थीं। जैसे- चिकनी छाल या फिर खुरदरी छाल को छूकर पहचान लिया करती थीं। फूलों की महक या फिर बनावट के आधार पर यह पहचान जाती थीं कि वह कौन सा फूल है। वहीं चिड़ियों और जानवरों की आवाज सुनकर उन्हें भी पहचान लिया करती थीं।
जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है। तुम्हारी नजर में इसका क्या अर्थ हो सकता है?
इन लाइनों में आंखों इंसान के जीवन में आँखों के महत्त्व के बारे में बताया गया है| इस पाठ में इस बात का जिक्र किया गया है कि हेलेन केलर की आंखों की रोशनी न होने के बावजूद वह प्रकृति की सुंदरता को पहचान लिया करती थीं। यह कला बहुत कम लोगों में होती है। पाठ में यह भी बताने की कोशिश की गई है कि आँखें कितनी आवश्यक होती है। आंखों के जरिए हम प्रकृति की सुंदरता को देख सकते हैं। यह एक ईश्वर का वरदान है जिसकी देखभाल करना बहुत आवश्यक है। आंखों से ही जिंदगी की सारी खुशियां जुड़ी होती है। आप किसी पर किसी भी चीज के लिए निर्भर नहीं होते हैं। अपने काम आप खुद कर सकते हैं। आंखों की वजह से जिंदगी के हर रंग है और इनके न होने से जिंदगी बेरंग सी हो जाती है।
आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रें के साथ सामूहिक चर्चा करो।
जब मैं अपने घर से ऑफिस जा रही थी तो कई चीजों की तरफ मेरा ध्यान गया। एटीएम के बाहर लंबी लाइन लगी थी क्योंकि आसपास के किसी भी एटीएम में कैश नहीं था सिर्फ एक में था इसलिए लोग लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। सड़क पर ही एक मंदिर बना है जहां पर भंडारे की तैयारी हो रही थी। हलवाई खाना बना रहे थे और वहां से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। बगल में चाय की दुकान थी तो वहां पर लोग लोकसभा चुनाव 2019 की बात कर रहे थे। लोग कह रहे थे कुछ भी हो इस बार भी मोदी सरकार ही आएगी। चाय की दुकान पर चाय पर चर्चा जारी थी। जैसे ही ई-रिक्शा आगे बढ़ा तो फिर जाम में फंस गई। गाड़ियों के हार्न की आवाज ने मुझे इरीटेट कर दिया था तब तक। जैसे-तैसे ऑटो तक पहुंची। ऑटो में जैसे ही बैठी तो एक महिला अपनी बच्ची को लेकर ऑटो में चढ़ी। वह बच्ची मुझे बहुत क्यूट लग रही थी। महिला को लगा कि बच्ची कहीं झटके से गिर न जाए तो उन्होंने उसे गोद में बैठा लिया लेकिन बच्ची सीट पर बैठने की जिद करने लगी। फाइनली बच्ची सीट पर बैठ ही गई। आखिरकार मेरा ऑफिस आ गया और मैं बहुत लेट हो चुकी थीं। जल्दी से पंच किया और फिर एंट्री की।
कान से न सुन पाने पर आस-पास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।
कान से न सुन पाने वाला व्यक्ति अपनी दुनिया में मस्त रहता है। वह अपने चारों ओर अनकही ऐसी रेखा खींच लेता है कि मानों उसे किसी से कोई मतलब नहीं। वह लोगों के चेहरे के हाव-भाव या फिर उनके हाथों के इशारों से दूसरों की बात समझ सकता है। इस वजह से कुछ लोग उनसे कतराते हैं। इसी वजह से ऐसे लोग कभी-कभी दुनिया से अपने आप से अलग समझने लगते हैं। उन्हें कई बार दूसरों के देखकर अपनी कमी का अहसास भी होता होगा।
तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे सुनकर, सूँघकर, चखकर, छूकर अनुभव की जानेवाली चीजों के संसार के विषय में क्या-क्या प्रश्न कर सकते हो? लिखा।
हम उनसे मिलकर निम्नलिखित प्रश्न कर सकते हैं:
(1) आंख की रोशनी न होने के बावजूद आप हर काम को इतनी आसानी से कैसे कर लेते हैं?
(2) आखिर ऐसी कौन सी चीज है जिससे आपको प्रेरणा मिलती है?
(3) क्या कभी आपको इस कमी की वजह से किसी ने तकलीफ पहुंचाई?
(4) आप किसी भी चीज को छू कर कैसे पहचान लेते हैं?
(5) जब आपको पता चला कि आपके आंखों की रोशनी चली गई है तो आपने खुद को कैसे संभाला?
हम अपनी पाँचों इन्द्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते हैं। ऐसी चीजों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इन्द्रियों से महसूस करते हो-
पाठ में ‘स्पर्श’ से संबंधित कई शब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीजों का स्पर्श ऐसा होता है-
चिकना ----------------- चिपचिपा --------------
मुलायम ---------------- खुरदरा ------------------
सख्त -------------------- भुरभुरा ------------------
अगर मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा।
ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। नीवे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को प्ढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो-
मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।
उस बगीचे में आम, अमतलास, सेमल आदि तरह-तरह के पेड़ थे।
ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो-
इस तस्वीर में तुम्हारी पहली नजर कहाँ जाती हैं?
इस तस्वीर में मेरी पहली नजर आसमान से आ रही रोशनी की तरफ जा रही है।
गली में क्या-क्या चीजें हैं?
गली में चाट की दुकान, परचूनी की दुकान के अलावा, दो महिलाएं घर के बाहर बैठकर बात कर रही हैं। सलून वाला दुकान खोल रहा है। मोमोज की दुकान अभी तक बंद है। एक आंटी सुबह-सुबह डॉग को घुमाने ले जा रही हैं। कुछ लोग घर के बाहर सफाई कर रहे हैं। बच्चे स्कूल जाते हुए दिखाई दिए।
इस गली में हमें कौन-सी आवाजें सुनाई देती होंगी?
अलग-अलग समय में ये गली कैसे बदलती होगी?
गली तो वही रहती होगी बस आने जाने वाले लोग बदलते रहते होंगे। सुबह और शाम में जितनी हलचल रहती होगी रात और दोपहर के वक्त सन्नाटा रहता होगा।
ये तारें गली को कहाँ-कहाँ से जोड़ती होगी?
मेन रोड से जोड़ती होगी। अपने घर से जोड़ती होगी। चारों तरफ फैले तार गली में लगे खंभों के जरिए एक दूसरे से जुड़े रहते होंगे।
साइकिलवाला कहाँ से आकर कहाँ जा रहा होगा?
साइकिलवाला एक घर में दूध देकर दूसरे घर में दूध देने जा रहा होगा।
एनसीआरटी द्वारा निर्मित श्रव्य कार्यक्रम ‘हेलेन केलर’।
विद्यार्थी इस कार्यक्रम को देखें|
सई पंराजपे द्वारा निर्देशित फीचर फिल्म ‘स्पर्श’।
‘स्पर्श’ फिल्म सल 1980 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह मुख्य किरदार में थे। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे दृष्टिहीन बच्चे अपना जीवन जीते हैं उनका स्कूल में जीवन कैसे बीतता है। स्कूल में वह किस तरह महसूस करते हैं। यही इस फिल्म की कहानी है। इस फिल्म की कहानी एक नवजीवन विद्यालय से शुरू होती है जिसके प्राचार्य नसीरुद्दीन शाह होते हैं। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह का नाम अनिरुद्ध परमार है। एक दिन चिकित्सक के पास जाते वक्त नसीरुद्दीन शाह को गाना सुनाई देता है। इस गाने को सुनकर वह मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वह गाना कोई और नहीं बल्कि शबाना आजमी (कविता आजमी) गा रही होती हैं। कुछ वक्त पहले ही कविता के पति की मौत हुई होती है। कविता की एक खास दोस्त होती है जिसका नाम मंजु होता है। मंजु के द्वारा ही कविता की मुलाकात अनिरुद्ध से होती है। अनिरुद्ध कविता की आवाज पहचान जाता है। वह कविता से कहता है कि उसके स्कूल में संगीत टीचर की जरूर है। पहले तो कविता मना कर देती है लेकिन बाद में मान जाती है। धीरे-धीरे कविता और अनिरुद्ध की दोस्ती अच्छी हो जाती है।