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Main Kyon Likhta Hun?

Class 10th Hindi कृतिका भाग 2 CBSE Solution
Exercise
  1. लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है,…
  2. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?…
  3. मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि- (क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित…
  4. कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता…
  5. क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़ रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से…
  6. हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते…
  7. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग…
  8. एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?…

Exercise
Question 1.

लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?


Answer:

लेखक का मानना है कि अनुभव घटित का होता है जबकि अनुभूति संवेदना और कल्पना के माध्यम से उस सत्य और अहसास को आत्मसात कर लेती है जो वास्तव में रचनाकार के साथ प्रत्यक्ष रूप में घटित ही नहीं हुई है और एक बार जब रचनाकार उस घटना की प्रत्यक्ष अनुभूति कर लेता है तब उसे ऐसा लगता है कि यह घटना उसके सामने प्रत्यक्ष रूप में घटी हो, मानो वह उस घटना को असल में जी लेता है|

अतः लेखक अज्ञेय जी का का मानना है कि जब तक रचनाकार का हृदय संवेदना से व्यथित नहीं होता है तब तक प्रत्यक्ष अनुभव उसे लिखने के लिए विवश नहीं कर सकता है। लिखने की यह विवशता आंतरिक अनुभूति से होती है और भावना स्वयं शब्दों में प्रस्फुटित होने लगती है। इसी कारण से लिखने में अंदर की अनुभूति विशेष मदद करती है और लिखने की प्रक्रिया को लेखक के लिए आसान और रोचक बना देती है| इसलिए लेखक प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति को लिखने में अधिक सहायक मानता है|



Question 2.

लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?


Answer:

लेखक ने हिरोशिमा के बम-विस्फोट के परिणामों को अखबारों में पढ़ा था, इसके बारे में लेखक लोगों से सुन चुका था। जब लेखक जापान की यात्रा पर था तब उसने हिरोशिमा के अस्पतालों में आहत लोगों को भी देखा। उसने जापान में अणु-बम के प्रभाव को प्रत्यक्ष तौर पर देखा था लेकिन देखने के पश्चात भी उसे देखने की अनुभूति न हुई इसलिए वह भोक्ता नहीं बन सका। फिर एक दिन वहीं सड़क पर घूमते हुए एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया देखी| संभव है विस्फोट के समय वहाँ कोई खड़ा रहा होगा और विस्फोट से निकले रेडियो धर्मी पदार्थ की किरणें उसमें रुद्ध हो गयी होंगी| उन रेडियो-धर्मी किरणों ने उस पत्थर को झुलसा दिया होगा और जो किरणें उस व्यक्ति पर पड़ी होंगी उन्होंने उसे भाप बनाकर उड़ा दिया होगा| इस प्रकार समूची ट्रेजडी जैसे पत्थर पर लिखी गई है। इस अनुभूति को अनुभूत कर लेखक जैसे उस घटना में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो गया और तब उस त्रासदी को असल में महसूस कर पाया और इस घटना के बाद ही लेखक हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गया।



Question 3.

मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि-

(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?

(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं?


Answer:

(क) किसी भी लेखक को लिखने के लिए निम्न बातें प्रेरित करती हैं-

सर्वप्रथम तो लेखक को यह जानने की प्रेरणा लिखने के लिए प्रेरित करती है कि वह लिखता क्यों है| इस बात को जानने, समझने के लिए वह लिखता है|


(A) आंतरिक विवशता- लेखकीय समुदाय के व्यक्तियों में अपनी अनुभूति को प्रकट करने अथवा अपनी बात को कहने की इच्छा या उत्कंठा इतनी बलबती हो जाती है कि वह उसे लिखने के लिए मजबूर कर देती है| जब तक वह अपनी बात को लिख न दे तब तक उसकी अंतरआत्मा उसे बेचैन किये रहती है|


(B) संपादक और प्रकाशक के आग्रह पर- लेखक आर्थिक लाभ के उद्देश्य से अथवा किन्हीं संपादकों और प्रकाशकों के आग्रह करने पर भी लिखते हैं|


(C) आर्थिक विवशता- लेखक को लिखने के लिए पारिश्रमिक भी मिलता है| लेखक भी एक आम नागरिक होता है और उसे भी अपनी जिंदगी को सुचारू रूप से चलाने के लिए आर्थिक संसाधन चाहिए इसीलिये लेखक आर्थिक लाभ के लिए भी लिखते हैं|


(D) प्रसिद्धि पाने अथवा शौक के लिए- ऐसे भी कई लेखक होते हैं जिनके लिए लेखन एक शौक होता है| वे इसके माध्यम से प्रसिद्धि पाना चाहते हैं अथवा अपने खाली वक्त को रोचक बनाना चाहते हैं और इसी उद्देश्य से वे लिखते हैं|


(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणास्रोत रचनाकार को कुछ भी लिखने के लिए विविध प्रकार से उत्साहित करते और बेहतरीन रचना लिखने की अपेक्षा करते हैं। लेखक को जो बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं उन सबकी सम्पूर्ति को पूरा होने की बात कहते हैं या उनसे मुक्त हो जाने का अवसर बताते हैं।



Question 4.

कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?


Answer:

कुछ रचनाकारों की रचनाओं में स्वयं की अनुभूति से उत्पन्न विचार उनके लिखने के लिए जिम्मेदार होते हैं साथ ही कुछ बाह्य दबाव भी उन्हें लिखने के लिए मजबूर करते हैं| निम्न प्रकार के बाह्य दबाव लेखकों को लिखने के लिए मजबूर करते हैं-

(क) समाज की परिस्थितियाँ


(ख) आर्थिक लाभ या कहें की जीवन जीने के लिए आवश्यक संसाधनों को जुटाना


(ग) प्रकाशकों और संपादकों का आग्रह


(घ) किसी विशिष्ट व्यक्ति या समूह के पक्ष में विचार व्यक्त करने का दवाव



Question 5.

क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़ रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?


Answer:

बाह्य-दबाव केवल रचनाकारों को ही प्रभावित नहीं करते बल्कि अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों/कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं| शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें कार्य करने वाले लोग दबाव से मुक्त हों, जैसे कि-

(क) गायक- इन पर कार्यक्रम के आयोजकों और एवं इन्हें सुनने वाले श्रोताओं का दबाव होता है|


(ख) सिनेमा में कार्य करने वाले कलाकार- इन पर कार्य करने के लिए निदेशकों एवं इनके शुभचिंतकों का दबाव रहता है|


(ग) चित्रकार और मूर्तिकार- चित्रकार एवं मुर्तिकारों पर ग्राहकों एवं उनके मालिक का दबाव रहता है|



Question 6.

हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं?


Answer:

हिरोशिमा पर लिखी कविता में कवि ने अपने मन के भीतर उठे तूफ़ान एवं अनुभूत त्रासदी को अपने शब्दों में उतारने की कोशिश की है| उसने हिरोशिमा में घटी उस भयानकतम त्रासदी को अपनी अनुभूति के आधार पर व्यक्त करने की कोशिश की है| कवि ने हिरोशिमा के भयंकर रूप को देखा था, कवि ने उन पीड़ितों की हालत को देखा| पीड़ितों की हालत को देखकर लेखक के मन में उनके प्रति सहानुभूति तो उत्पन्न हुई होगी किंतु वह लेखक की व्यक्तिगत त्रासदी नहीं बनी। लेखक शहर में निकला तो उसे एक स्थान पर एक पत्थर के ऊपर मनुष्य की छाया दिखाई दी और मनुष्य की उस छाया को देखकर उस त्रासदी का सारा दृश्य उसकी आँखों के सामने उभर आया और उस भयानक त्रासदी को लेखक ने प्रत्यक्ष रूप में महसूस कर लिया| उसने अणु-बम के विस्फोट से हुई उस त्रासदी को प्रत्यक्ष रूप में जी लिया| जैसे यह घटना उसके साथ ही घटी हो| मानो बम उसकी उपस्थिति में ही फटा हो| वह त्रासदी जब लेखक ने प्रत्यक्ष रूप में महसूस कर ली तो लेखक का मन उस भयानकतम दुर्घटना के बारे में लिखने के लिए अधीर हो गया| इस तरह हम कह सकते हैं कि हिरोशिमा पर लिखी कविता अंतः दबाव का परिणाम थी।

बाह्य दबाव मात्र इतना हो सकता है कि जापान से लौटने पर लेखक ने अभी तक कुछ नहीं लिखा? वह इससे प्रभावित हुआ होगा और कविता लिख दी होगी अथवा इस सबसे भयानकतम दुर्घटना के बारे में लिखना उस वक्त की आवश्यकता रही हो|



Question 7.

हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है।


Answer:

हिरोशिमा पर परमाणु-बम गिराया जाना ऐसी घटना थी जिसने संपूर्ण मानवता को हिलाकर रख दिया था| यह विज्ञान का निकृष्टतम प्रयोग था और इसके गंभीर दुष्परिणाम हुए| विज्ञान के अन्य भयानकतम दुरूपयोग इस प्रकार हैं-

(क) विज्ञान की मदद से जन्म से पहले ही लिंग का पता आज लगाया जा सकता है और इसी कारण से कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिलता है|


(ख) कंप्यूटर में अनेक प्रकार की सूचनाएँ सुरक्षित रखी जा सकती हैं एवं इसके अन्य महत्वपूर्ण उपयोग भी हैं लेकिन आजकल सायबर धोखाधड़ी बहुत अधिक बढ़ गयी है| जिसके शिकार अधिकतर आम लोग हो जाते हैं|


(ग) सुरक्षा के लिए हथियारों का निर्माण तो ठीक है लेकिन इसी विज्ञान का प्रयोग कर आतंकवादी हथियारों का निर्माण कर लेते हैं और फिर समाज में हिंसा फैलाते हैं|


(घ) ऐसे रसायन जो प्रकृति के लिए हानिकारक हैं उनका उपयोग मानव द्वारा वर्तमान में बड़े स्तर पर किया जा रहा है| इन रसायनों का बहुत भयानकतम असर वातावरण पर हो रहा है जोकि मानव के अस्तित्व के लिए भी खतरा बन सकता है|



Question 8.

एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?


Answer:

वर्तमान दौर में एक संवेदनशील युवा नागरिक होने के नाते हमारी यह जिम्मेदारी है कि विज्ञान के दुरूपयोग को रोकने में अपनी भूमिका निभाएँ| हम निम्न प्रकार से यह भूमिका निभा सकते हैं-

(क) प्रदूषण फैलाने वाले एवं उसमें तेजी लाने वाले उत्तरदायी कारकों जैसे- प्लास्टिक, शहरी कूड़ा-कचरा आदि फैलाने वाले संसाधनों का का कम से कम एवं जिम्मेदारी से उपयोग करना| समाज के अन्य लोगों से इस संबंध में बात करके हम वातावरण में फैलने वाले कचरे पर रोक लगा सकते हैं| कचरा हमारे वातावरण के लिए के बहुत ही गंभीर खतरा है| अतः उसके स्त्रोतों पर रोक लगाना आवश्यक है| विज्ञान का रचनात्मक उपयोग कर हम कचरे की समस्या से निपट सकते हैं|


(ख) विज्ञान का उपयोग इंसान की जान बचाने के लिए किया जा सकता है साथ ही उसका उपयोग युद्ध क्षेत्र में खतरनाक हथियार के रूप में एक ही झटके में सैकड़ों लोगों की जान लेने के लिए भी किया जा सकता है| लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विज्ञान का उपयोग मानव के हाथ में है| यह मानव पर निर्भर करेगा कि वह इसका उपयोग जान बचाने में करता है अथवा जान लेने में करता है| अगर इस प्रकार के निर्णय लेने की शक्ति मेरे हाथ में होगी तो मैं विज्ञान का रचनात्मक कार्यों में उपयोग करूँगा|


(ग) विज्ञान के अनेक चिकित्सकीय उपयोग हैं| इसके द्वारा विकसित दवाइयों एवं तकनीकों के माध्यम से अनेक लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव हो पाया है लेकिन इसके अनेक दुरूपयोग भी किये जा रहे हैं| जैसे कि- गैर कानूनी लिंग परीक्षण| अतः हमें रचनात्मक कार्यों में विज्ञान का उपयोग करना चाहिए| मैं ऐसी गतिविधियों का कभी भी भागीदार नहीं बनूँगा और इस प्रकार की गतिविधियों को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाऊंगा|


(ड़) मैं अधिक से अधिक लोगों को इसके रचनातमक उपयोगों के बारे में जागरुक करूँगा कि किस प्रकार विज्ञान के माध्यम से हम कृषि, स्वास्थ्य, चिकित्सा आदि में क्रांति ला सकते हैं| अतः विज्ञान का उपयोग मानव की भलाई के लिए किया जाए तो यह मानव सभ्यता के लिए बेहतर है|