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Diye Jal Uthe

Class 9th Hindi संचयन भाग 1 CBSE Solution
Exercise
  1. किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया?…
  2. जज़ को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।…
  3. “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।”- यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धृत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट…
  4. “इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें”- गाँधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?…
  5. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- ‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक…
  6. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।…
  7. “यह धर्म यात्रा है। चलकर पूरी करूँगा।”- गाँधी जी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण…
  8. गाँधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपके…
  9. गाँधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

Exercise
Question 1.

किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया?


Answer:

वल्लभभाई पटेल 7 मार्च को दांडी-कूच की तयारी के सिलसिले में यात्रा पर आये थे| उस वक्त वहाँ पर निषेधाज्ञा लागू थी और इसलिए कोई भी सभा करना मना था। लेकिन पटेल लोगों के आग्रह करने पर भाषण देने के लिए राजी हो गए और उन्होंने अपने भाषण में लोगों को सत्याग्रह करने के लिए कहा| इस कार्य को शासन के विरुद्ध माना गया और इसीलिये स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया।



Question 2.

जज़ को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।


Answer:

जब पटेल को जज के सामने पेश किया गया तो उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया पर असल में उन्होंने कोई अपराध किया ही नही था अपितु उनकी गिरफ्तारी ‘अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता’ के अधिकार के खिलाप थी इसीलिए जज यह फैसला नहीं कर पा रहे थे कि वे पटेल को कितनी सजा सुनाएं और वह सजा किस धारा के तहत सुनाई जायेगी| इसी कशमकश में जज ने अपना फैसला लिखने में डेढ़ घंटे का समय लगा दिया|



Question 3.

“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।”- यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धृत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए?


Answer:

पटेल को निषेधाज्ञा के आरोप में तीन महीने की जेल हो जाती है| जब उन्हें साबरमती जेल ले जाया जाता है तो वे रास्तें में गांधीजी और बाकि आश्रमवाशियों से मिलते हैं तब वे कहते हैं “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।“ इसके माध्यम से वे कहना चाहते है, कि उनकी अनुपस्थिति में स्वाधीनता के लिए चल रहा आंदोलन रुकना नहीं चाहिए| उनकी अनुपस्थिति में गाँधीजी और बाकि नेता आन्दोलन नेतृत्व करें और आंदोलन को आगे बढ़ाए|



Question 4.

“इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें”- गाँधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?


Answer:

एक बार गाँधीजी रास गए। वहाँ उनका भव्य स्वागत होता है जिसमें दरबार समुदाय के लोग सबसे आगे थे। गांधीजी ने यह बात “ इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें” दरबार समुदाय के लोगों के बारे में कही थी। उनके ऐसा कहने के अभिप्राय था कि इसी भावना के बल पर हम अंग्रेजों को अपने देश से खदेड़कर स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते है| दरबारी रियासतदार होते हैं। वहाँ मौजूद दरबारी गोपालदास और रविशंकर महाराज ने गांधीजी का भव्य स्वागत किया जिससे गांधीजी उनसे बहुत प्रभावित हुए। ये दरबार लोग अपना सब कुछ छोड़कर रास आकर बस गए थे। गांधीजी उनके इस त्याग एवं हिम्मत की भावना से बहुत प्रभावित थे और इसीलिये उन्होंने ऐसा कहा था।



Question 5.

पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- ‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है’। अपने शब्दों में लिखिए।


Answer:

भारत को स्वतंत्रता दिलाने में आन्दोलनकारियों एवं लोगों से बहुत संघर्ष किया है और इस पाठ में इन संघर्षों की बात की गयी है| इस पाठ में बताया गया है कि स्वतंत्रता के दौर में आन्दोलनकारियों के सामने बहुत बार भयंकर परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनका डटकर ददृढ़ता से सामना किया व उन पर विजय प्राप्त की| स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान ऐसी कई परिस्थितियाँ थी जो बहुत मुश्किल थी लेकिन भारतीयों ने उनका सामना तात्कालिक सुझबुझ और आपसी मेलजोल से किया और उन पर सफलता प्राप्त की| दिए गए पाठ में ऐसी कई घटनाओं की बात की गयी है|



Question 6.

महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।


Answer:

रात के अंधेरे को मिटाने के लिए महिसागर नदी के दोनों किनारों पर हज़ारों लोग अपने हाथों में जलते दिये लेकर खड़े थे क्योंकि गांधी जी और सत्याग्रहियों को नदी पार करनी थी गांधीजी घुटनें भर पानी में चले और नाव में बैठकर नदी पार करने के लिए रवाना हुये इसी के साथ चारों ओर’ महात्मा गांधी की जय, सरदार पटेल की जय और जवाहर लाल नेहरु की जय के नारे गूँज रहे थे। गांधीजी के नदी पार करने के बाद भी लोग तट पर दिये लेकर अन्य सत्याग्रहियों की प्रतीक्षा में रात-भर खड़े रहे। इस प्रकार हजारो लोग हाथों में दीये लेकर एकता का परिचय दे रहे थे और नारे लगाकर सत्याग्रहियों का उत्साह वर्धन कर रहे थे| ऐसा लग रहा था मानो नदी के किनारे भव्य मेले का आयोजन किया गया हो|



Question 7.

“यह धर्म यात्रा है। चलकर पूरी करूँगा।”- गाँधी जी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?


Answer:

गांधीजी ने दांडी यात्रा को धर्म यात्रा का नाम दिया उन्होंने यात्रा पदैल चलकर पूरी करने का निश्चय किया था पर रास्ते बहुत दुर्गम थे तो लोगों ने यात्रा कार से करने का आग्रह किया पर गांधीजी ने कहा “यह धर्म यात्रा है। चलकर पूरी करूँगा।”- गांधीजी का यह कथन उनके अटूट साहस, उत्साह और तीव्र लगन का परिचय देता है। गांधीजी अपने वादे के पक्के थे अगर वे किसी कार्य को करने की ठान लेते थे तो उसे पूरा करके ही छोड़ते थे चाहे फिर उनके राह में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आयें| अटूट साहस, उत्साह, सत्यता और अहिंसा का पालन वे जीवन भर करते रहे|



Question 8.

गाँधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?


Answer:

ब्रिटिश अधिकारी इस बात से आश्वस्त थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपके से नहीं करेंगे क्योंकि गांधी जी सत्यवादी, अहिंसाप्रिय, देशभक्त, धार्मिक, विद्वान, कर्तव्यनिष्ठ, दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे। और आजादी के लड़ाई के दौर में उन्होंने कोई भी कम चुपके से अथवा अनैतिक ढंग से नहीं किया फिर भी अंग्रेजों ने एहतियाती कदम उठाए क्योंकि वरिष्ठ अधिकारियों को डर था की कहीं गांधीजी बाकि सत्याग्रहियों के साथ मिलकर नमक कानून न तोड़ दें इसीलिए वरिष्ठ अधिकारीयों ने एतियाहत बरतते हुये नदी के आस-पास के सभी नमक के भंडारों को नष्ट कर दिया|



Question 9.

गाँधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?


Answer:

गांधीजी के नदी पार करने के बाद भी वहाँ के स्थानीय लोग रात-भर हाथों में दीये लेकर खड़े रहे क्योंकि उन्हें पता था की रात में और भी सत्याग्रही आयेंगे जिन्हें नदी पार करनी होगी और उस वक्त उन्हें रोशनी की जरूरत होगी इसीलिए लोग गांधीजी के नदी पार करने के बाद भी नदी तट पर खड़े रहें|